27 साल बाद शनि अपनी राशि में वापसी करेंगे

किसी बड़े राष्ट्र अध्यक्ष की हत्या के बन रहे हैं आसार – 

ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव

शनि ग्रह ज्योतिष में अधिकार, अनुशासन, कड़ी मेहनत, श्रम और प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है। यह अपराधबोध, प्रतिरोध और देरी का भी कारक ग्रह है। जन्म पत्री में शनि जिस भाव में स्थित होता है, उस भाव के कारकतत्वों की प्राप्ति सहज नहीं होती है। इसके विपरीत जिन भावों को शनि देखता है उन भावों के फल व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी अवश्य प्राप्त होते है। वास्तव में शनि हमें हमारी कमियों से अवगत करता है, यह हमारे भीतर का आलोचक और निंदक है। शनि ठिक हमारे लिए एक माता-पिता या शिक्षक की तरह काम करता जो हमें सदमार्ग पर ले जाने के लिए हमारी आलोचना करता रहता है। वह हमें हमारे संघर्षों और दायित्वों से अवगत कराता है। शनि हमारी जन्मपत्री में जिस भाव में स्थित होता है उस भाव के अनुसार हमें फल प्रदान करता है। शनि ग्रह कर्म का देवता है, आईये आज इस आलेख के माध्यम से हम इसे करीब से जानने का प्रयास करते है-

मकर राशि में शनि और विश्वस्तरीय घटनाएं

हमारी जन्मपत्री में शनि विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह कर्म प्रधान ग्रह है। 24 जनवरी 2020 से 2022 तक शनि मकर राशि में रहेगा। मकर राशि शनि की स्वयं की राशि है। स्वराशि का शनि जातक से मेहनत करा कर अनुकूल फल देता है। मकर राशि में शनि इससे पूर्व 20 मार्च 1990 से मार्च 05, 1993 के मध्य रहा था। इस प्रकार यह 27 साल बाद मकर राशि में वापसी कर रहा है। इस गोचर अवधि में विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के प्रधानमंत्री पद पर उस समय आसीन राजीव गांधी की हत्या हुई। इसके फलस्वरुप देश के सबसे ऊंचा पद की हानि हुई। स्पेश में हुब्बल टेलेस्कोप स्थापित कर नई ऊंचाईयां हासिल की गई।

आपरेशन सोलोमन चलाया गया, आदि जैसी कुछ घट्नाएं इस समय में घटित हुई। इसके अलावा  बर्लिन की दीवान तोड़ दी गई। पहला खाड़ी युद्ध हुआ और नेल्सन मंडेला को जेल से मुक्त किया गया एवं राजकुमार चार्ल्स और राजकुमारी डायना का तलाक भी इस समय में हुआ। मकर एक पृथ्वी राशि है और शनि ग्रह पृथ्वी तत्व और वायु राशियों को अनुकूल फल देता है। इसलिए इस समय में जब जब शनि पर अन्य किसी पापी ग्रह का प्रभाव न हो तब तब यह अवधि सामान्यत: शुभ फलदायक साबित हो सकती है।

अनुशासन

शनि ग्रह हमें हमारे दायित्व देकर हमें परखता है, हमारे अधिकारों को सीमित करता है। और हमें हमारी जिम्मेदारियों की सीमा रेखा के भीतर धकेल देता है। ग्रीस भाषा में शनि को कर्म का स्वामी ग्रह कहा गया है। सरल शब्दों में शनि अनुशासन, अभ्यास और प्रतिबद्धता का कारक ग्रह है। इसका अर्थ यह नहीं है कि शनि ग्रह सदैव दंडित करता है, बल्कि यह भी अन्य ग्रहों की तरह ईनाम देने की शक्ति रखता है। शनि ग्रह निरंतर प्रयास, अभ्यास और वास्तविक संतुष्टि देता है। मंगल यदि शनि की मकर राशि में हो तो व्यक्ति सामान्य से अधिक पुरुषार्थ और मेहनत करने वाला होता है। इस योग का जातक वजन प्रशिक्षण लेकर अपनी मांसपेशियों को मजबूत बनाकर एक नए रुप में सामने आता है। 

वास्तव में शनि एक आध्यात्मिक ऊर्जा है, जिसके भीतर जाने का प्रयास व्यक्ति करता है, यह ध्यान देता है, मंद गति से सुनना और गवाह आदि इसके विशेषताएं है। यह व्यक्ति को स्वयं को एक सबक के रुप में याद नहीं रखवाता बल्कि यह व्यक्ति को सीखने के लिए तैयार करता है। शनि को गूढ़ शासक कहा जा सकता है। यह स्कूल की शिक्षा के दिन याद दिला देता है, अर्थात आपको जीवन मूल्यों को सीखने के लिए विवश कर देता है। यह व्यक्ति को बहुत कुछ सीखने के लिए तैयार करता है। इसका मतलब है कि यह जातक को अपने शरीर, भावनाओं को मन पर नियंत्रण रखना सीखाता है। यह आंतरिक मार्गदर्शक बनकर शिक्षक का कार्य करता है। हालांकि यह सभी के लिए सहज नही है। अनुशासन और बदलाव का विरोध करने का स्वभाव हम सभी का होता है। यह हम सभी के अहम का मुख्य भाग है।


जन्म कुंडली में शनि और चंद्रमा

जन्मपत्री में जब शनि और चंद्र एक साथ हो तो यह योग जातक के जीवन में ऐसी परिस्थितियां पैदा कर देता है कि हम जीवन कष्टॊं से प्रभावित होकर उपेक्षित और निराश महसूस करते है। स्वयं को स्वतंत्रता के मार्ग पर लेकर जाते है। आत्मनिर्भरता अपने आप में कोई बुरी बात नहीं है, सिवाय इसके कि जब हम यह मानते हैं कि हमें अपने दम पर सब कुछ करने की जरूरत है और मदद मांगने से इंकार करते हैं। हमारे जीवन में शनि की स्थिति को समझने के लिए फिल्म 127 आवर्स इसका एक शानदार उदाहरण है। यह पर्वतारोही एरॉन राल्स्टन की एक सच्ची कहानी है जिसमें एक पुरुष अपने दम पर एक बड़े जंगल में चला जाता है, और किसी को भी यह नहीं बताता है कि वह कहां जा रहा है। अति आत्मविश्वास के चलते वह एक गहरी मुसीबत में पड़ जाता है। और चट्टान से फिसल कर एक गहरी दरार में फंस जाता है। बिना पानी और भोजन के वह इस स्थिति से बाहर आने के लिए १२७ घंटों जिस प्रक्रिया से गुजरता है, उसका चित्रण इस फिल्म में किया गया है। कहानी के अंत में उसके शरीर के निर्जलीकरण के कारण कमजोर होने पर वह खुद को मुक्त करता है और इस स्थिति से बाहर आता है। अतं में वह बच तो जाता है लेकिन बड़ी कीमत पर।

यह कहानी एक ऐसे शख्स की कहानी है जिसकी जन्मपत्री में चंद्र और शनि सिंह राशि में है, जो जातक को बहादुर, साहसयुक्त ह्रदय के साथ-साथ एक मजबूत इरादों का व्यक्ति बना रहा है। ध्यान देने योग्य बात  यह है कि इस अभियान के शुरु होने से पूर्व उसकी प्रेमिका ने उसे धोखा दे दिया था, अर्थात वह भावनात्मक रुप से कमजोर और दुखी था। इस कथा ने उसका जीवन बदल दिया और अंत में जाकर उसे उसका सच्चा प्यार मिला। उसके बाद उसे अपने जीवन साथ और अपनी संतान का स्नेह भी मिला। इस कथा को यदि हम ध्यान से देखें तो यह कहानी शनि के पूर्ण सिद्धांत को दर्शाती है। 

रिश्तों में सच्चाई

हमारे रिश्तों में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्धता जरूरी है। इसका मतलब है कि रिश्ते की सच्चाई के लिए रिश्ते के प्रति प्रतिबद्ध होना आवश्यक है। प्रत्येक साथी को संवाद करने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है और दोनों रिश्ते में शामिल भागीदारों को एक ही दिशा में अग्रसर होना चाहिए। शनि का यह स्वभाव है कि वो चाहे कोई रिश्ता हो या कार्यक्षेत्र सभी के प्रति प्रतिबद्धता चाहते हैं। हमारे जन्म चार्ट में यह एक प्रकार का हमारा अहंकार है जिसका उद्देश्य हमारे कार्यों में देरी करना और हमें बुराई से डरा कर रखना है।

यह नसों को ब्लॉक करता है और पुराने रोग फिर से प्रभावी करता है। यह हमें सिखाता है कि डर के साथ जीवन में आगे कैसे बढ़ा जाता है। शनि ग्रहों में सातवें क्रम पर आता है। क्योंकि शनि सत्य का प्रतिक ग्रह और यह व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर लेकर जाता है। इसके साथ ही यह आध्यात्मिक ज्ञान की प्रथम सीढ़ी भी कहा जा सकता है।

शनि हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी को नियंत्रित करता है।  इसलिए यह हमारे जीवन में हमें जिम्मेदारियों को संभालने और आने दो पैरों पर खड़े होने के लिए प्रेरित करता है। जन्म शनि पर गोचर शनि तब वापसी करता है जब हम 28-31 वर्ष की आयु में होते है, यह हमारे जीवन का महत्वपूर्ण समय होता है। इस आयु में जातक शादी करने, घर खरीदने, संतान सुख, व्यवसाय शुरु करने, करियर में तरक्की और नेतृत्व की स्थिति में होने के कारण बड़े बड़े फैसले लेता है। यह आयु आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत करने के लिए उपयुक्त नहीं मानी जा सकती। इसके बाद शनि जब दोबारा जन्म शनि पर वापसी करता है तो हमारे आयु 55-58 वर्ष की होती है।

इस आयु में दान, सेवा कार्य कर हम हमारा आध्यात्मिक विकास करते है। यह शनि की ऊर्जा का एक रचनात्मक रुप है। वास्तव में शनि जीवन में प्रमुख सबक देने का कार्य करता है। यह जातक के इरादों और सीखे जाने वाले सबक को गहराई से देखता है। पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार अतीत के पाठों से सीखते हुए वर्तमान जीवन लक्ष्यों को स्पष्ट करता है। आगे बढ़ने से पूर्व आईये अन्य कुछ ग्रहों के व्यवहार को समझ लेते हैं-

चंद्रमा पूर्व जीवन के अनसुलझे मुद्दों को वहन करता है। सूर्य इस जीवन की शक्ति, आत्मबल का प्रतिनिधित्व करता है और शनि आपकी ऊर्जाशक्ति की कमी, अवरोधों, कमजोरियों और भय को दर्शाता है। शनि जातक को उन क्षेत्रों से जोड़ता है जहां अधिक ध्यान लगाने, प्रयासों को केंद्रित रखने और अनुशासनात्मक व्यवहार की आवश्यकता होती है। यह आपकी सबसे बड़ी ताकत के रुप में सामने आ सकता है। 

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