40 सालों से समाज की प्यास बुझा रहा है, जिले सिंह

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ललित कौशिक

पश्चिम की आबोहवा में सब कुछ बहता जा रहा है, इस बहतेपन को ही लोगों ने जिंदगी समझ लिया है, जिस किसी से बात करें या बात नहीं भी करे तो उसको अपने लिए एक शब्द बहुत ही प्रिय लगता है, वो है ‘समाजसेवी’ (social worker) लेकिन ये समाज सेवी सेवा के बदले कुछ चाहता है.

क्या चाहता है ? पद्, प्रतिष्ठा, मान, सम्मान,धन, लाभ आदि ! क्योंकि सेवा के बदले काम करने वाले लोग समाज की सेवा लेन-देन की मंडी की भांति करतें हैं, लेकिन हमारी नजर उन लोगों तक नही जा पाती जो सेवा के बदले अपने को कुछ मिलेगा इस कारण से सेवा नहीं करते बल्कि समाज के हालात देखकर जिनसे रहा न जाए, जो अपने आपको समाज की भट्टी में झोंक देतें है, और समाजसेवा की सेवा को ही भगवान की सेवा मानकर कार्य करता है.

शनिवार की रात्रि जब किसी व्यक्तिगत कार्य से ही सोनीपत से गोहाना के लिए निकला तो सोनीपत डिपो से गोहाना के लिए आखिरी बस 07:30 वाली पकड़ी 1 बस आखरी होने के कारण भीड़ इतनी ज्यादा थी कि ठीक से खड़ा भी होना मुश्किल हो रहा था.

उस रात्रि में गर्मी भी इतनी ज्यादा थी कि श्वास लेना भी दूभर हो रहा था, उपर से बहुत तेज पानी की प्यास लगी हुई थी, मानों गला कह रहा था एक बूंद पानी भी अगर मिल जाए तो आत्मा तृप्त हो जाए. सोनीपत से गोहाना जाते समय रस्ते में कोई इस प्रकार का स्टॉप भी नहीं है जहा पानी की बोतल ही मिल जाए, लेकिन जैसे तैसे बस लाठ-जौली गांव के स्टैंड पर रुकी तो बस की अगली खिड़की से आवाज आनी शुरू हुई ‘पानी-पानी…. पानी-पानी’ की आवाज सुनतें ही मन प्रफुल्लित हो गया और मुख से झट से आवाज निकली … ताऊ जी एक बोतल पानी मुझकों भी… लेकिन उन ताऊ जी ने अपने बगल में दबाए हुए 15 KG के डिब्बे से मुझकों पानी दिया, पानी मिलते ही मैने पानी पिया पीते ही लगा मानों अमृत मिल गया हो.

मैने ताऊ जी से पूछा ताऊ जी कितने पैसे तो ताऊ ने मुस्कराते हुए मेरे कंदे पर हाथ रखते हुए कहा कुछ नही बेटा..पानी पैसे के लिए नहीं लोगो की प्यास बुझाने के लिए पिलाता हू और इतना कहकर ताऊ और लोगों को पानी पिलाने में व्यस्त हो गया. इस प्रकार की सेवा देखकर मन तार-तार हो गया और अब मेरे मन में सवालों का तूफान खड़ा हो गया. बस में सीट नही मिलने के कारण मैं खड़ा हुआ था, लेकिन पास में ही बैठे एक मध्यम उम्र के व्यक्ति ने कहा पिछलें करीब 40 सालों से राहगीरों को बस के अंदर चढ़-चढकर पानी पिलाता है, अब इस ताऊ जिसका नाम ज़िले सिंह है उसकी उम्र 70 साल के पार हो चुकी है और साथ में ही जौली गांव का यह मूल निवासी है.

इस 70 वर्षीय ज़िले सिंह की सच्ची समाज सेवा देखकर मन प्रफुल्लित हो गया, लगता है और लोग कहतें भी है अब समाज सेवा केवल स्वार्थ के लिए है लेकिन ऐसा नहीं है समाज में अभी भी इस प्रकार के लोग है जो केवल और केवल समाज के सच्चे प्रहरी के रूप में ही कार्य करते है, लेकिन उन समाज के प्रहरियों को देखनें की अपनी दृष्टि चाहिए.

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