52 शक्तिपीठों मे से एक मां मनसा देवी धाम जहां पेड पर पवित्र धागा बांधने से ही पूरी हो जाती है सभी मनोकामनाएं

0
681

माता मनसा देवी ने कठोर तप कर हासिल किया था वेंदो का ज्ञान व कियाकल्पतरु मंत्र

भगवत कौशिक। नवरात्र यानि देवी मां के वे नौ दिन जब हम सब मां की भक्ति में लीन रहने के साथ ही शक्ति की उपासना करते हैं। इन नौ रातों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है।भारत में यूं तो हर जगह मंदिरों का मिल जाना आम बात है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि देवी मां कोे ‘पहाड़ोें वाली माता’ क्यों कहते हैं। और साथ ही माता मंदिरों के पहाड़ों पर ही होने का रहस्य क्या है? आखिर पहाड़ों पर ऐसा क्या है, जो अन्य जगहों पर नहीं है।पहाड़ों पर दैवीय स्थल होने की वजह यह है कि देवी उमा यानि पार्वती पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। जहां तक पहाड़ों वाली माता का संबंध है तो उसका मुख्य कारण ये है कि देवी का जन्म यहीं हुआ। इस स्थान को देव भूमि भी कहते हैं। पुराणों में मां भवानी के शक्तिपीठों की अलग-अलग संख्या बताई गई है। शक्तिपीठ ही सिद्ध मंदिरों के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन यहां कुछ ऐसे मंदिरों की बात करने जा रहे हैं जो शक्तिपीठ भी हैं और चमत्कारिक भी। वेदी भागवत पुराण में शक्तिपीठ मंदिरों की संख्या 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गाप्तसति और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है।देवी मां के इन्हीं शक्तिपीठ मंदिरों में से एक मंदिर ऐसा भी है जिसके संबंध में मान्यता है कि इस मंदिर के प्रांगण में स्थित पेड की शाखा पर भक्त अपनी इच्छा पूरी करने के लिए एक पवित्र धागा बांधते हैं। जिनसे उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है।

मनसा देवी मंदिर ,हरिद्वार

मनसा देवी का प्रसिद्ध मंदिर हरिद्वार शहर से लगभग 3 किमी दूर शिवालिक पहाड़ियों पर बिलवा पहाड़ पर स्थित है। यह जगह एक तरह से हिमालय पर्वत माला के दक्षिणी भाग पर पड़ती है।मनसा का अर्थ इच्छा से होता है और माना जाता है की देवी उनके भक्तो की मनोकामनाओ को पूरी करतीं हैं। इस मंदिर में देवी की दो मूर्तियां हैं। एक मूर्ति की पांच भुजाएं और तीन मुंह हैं। जबकि दूसरी मूर्ति की आठ भुजाएं हैं। यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है।नवरात्रों मे माता के मंदिर मे श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमडता है।

मनसा देवी की जन्म की कहानी

कहानी के अनुसार जब भगवान शिव और माता पार्वती मानसरोवर झील में जल क्रीड़ा कर रहे थे। तब दोनों के तेज इकट्ठा होकर कमल के पत्ते पर जमा हो गया था। तब उनकी संरक्षण के लिए वहां मौजूद सर्पिणियों ने इस तेज को अपनी कुंडली में लपेट दिया था। महादेव और जगदंबा के तेज से जिस कन्या का जन्म हुआ वह मनसा देवी माता का रूप है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि मां मनसा कश्यप ऋषि के मन से जन्म ली थीं इसलिए उनका नाम मनसा पड़ा।

नागराज वासुकी की मां हैं मनसा देवी

वैसे तो मनसा देवी को कई रूपों में पूजा जाता है। इन्हें कश्यप की पुत्री तथा नागमाता के रूप में साथ ही शिव पुत्री, विष की देवी के रूप में भी माना जाता है।मा मनसा देवी नागराज वासुकी की माता है। 14 वीं सदी के बाद इन्हें शिव के परिवार की तरह मंदिरों में आत्मसात किया गया। मां की उत्पत्ति को लेकर कहा जाता है कि मनसा का जन्म समुद्र मंथन के बाद हुआ।

माता मनसा देवी ने कठोर तप कर हासिल किया था वेंदो का ज्ञान व कियाकल्पतरु मंत्र

कहते हैं कि मनसा माता ने भगवान शंकर की कठोर तपस्या करके वेदों का ज्ञान और श्रीकृष्ण मंत्र प्राप्त किया था, जो कल्पतरु मंत्र कहलाता है। इसके बाद उन्होंने राजस्थान के पुष्कर में पुन: तप किया और श्रीकृष्‍ण के दर्शन प्राप्त किए थे। भगवान श्रीकृष्‍ण ने उन्हें वरदान दिया था कि तीनों लोक में तुम्हारी पूजा होगी।

कालसर्प दोष का काल है माता मनसा देवी

कुंडली में काल सर्प दोष हो तो उसका सभी ज्योतिष और पंडित एक ही हल बताते हैं और वो है मां मनसा देवी की पूजा।साथ ही सांपों से जान का खतरा हो या नागों का विष काल बनने वाला हो तो सबका अंत केवल मां मनसा देवी की पूजा ही कर सकती है ऐसी मान्यताएं हैं।

उल्टे हाथ से पूजा स्वीकार करती है मां मनसा देवी

माता मनसा देवी के हर मंदिर में एक रहस्यमयी और अलौकिक पेड़ होता है, कहा जाता है कि मंदिर के इस पेड़ से सीधे माता का संपर्क होता है और इस पेड़ पर धागा या चुनरी बांधने से भक्त की हर मनोकामना पूरी हो जाती है।इतना ही नहीं कहते हैं किसी भगवान को उलटे हाथ से जल, फूल या प्रसाद चढ़ाया तो वो नाराज़ होकर श्राप दे सकते हैं लेकिन मनसा देवीके बारे में मान्यता है कि वो उन्हीं भक्तों की पूजा स्वीकार करती हैं जो उलटे हाथ से करते हैं।कहते है कि देवी बनने के लिए मनसा देवी को अहंकार का त्याग करना पड़ा था और उस अहंकार को हमेशा त्यागने के लिए मां ने अपनी पूजा की इस विधि को दुनिया में प्रचलित किया।

भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं मां मनसा देवी

मनसा देवी मंदिर में मां की 2 मूर्तियां स्‍थापित हैं। इनमें से एक मूर्ति की पंचभुजाएं और एक मुख है और वहीं दूसरी मूर्ति की 8 भुजाएं हैं। यहां मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। जैसा कि मां का नाम है मनसा यानी मन की कामना। ममता की मूर्ति मां मनसा अपने भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। यहां पर आने वाले भक्‍त अपनी मुराद लेकर एक पेड़ पर धागा बांधते हैं। फिर इच्‍छा पूर्ण हो जाने के बाद उस धागे को खोलते हैं और फिर मां का आशीर्वाद लेकर चले जाते हैं।

मां मनसा देवी मंदिर खुलने का समय

मंदिर सुबह 8 बजे खुलता है और शाम 5 बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है। दोपहर 12 से 2 तक मंदिर बंद रहता है।मान्‍यता है कि इस वक्‍त में मनसा देवी का श्रृंगार किया जाता है।

मां मनसा देवी मंदिर मे ऐसे पहुंचे

मंदिर तक पहुंचने के लिए या तो आपको सीधी चढ़ाई चढ़नी होगी या फिर उडनखटोले की सवारी लेकर भी आप यहां आकर दर्शन कर सकते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको कुल 786 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here