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वही ज़िस्तेंसोराब है वही तिश्ना कारवाँ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
वही ज़िस्तेंसोराब है वही तिश्ना कारवाँ प्यास बुझी कभी न बदल कभी समां सफर था सब्रतलब हमराही थे नातवाँ ठेस लगी ज़रा और सभी घबरा गए यहाँ गुमनाम रास्ते थे , मंज़िल थी बेनिशाँ जोशी जुनूँ में भटकते रहे जाने कहाँ कहाँ ख्वाहिशें बेहिसाब थी , कविशें थी कम शायद…