-अनुराग सिंह शेखर-
नेस्ले के अतिलोकप्रिय उत्पाद मैगी में जब लेड 2.5 पीपीएम (पार्टिकल पर मिलियन) से अधिक व सोडियम ग्लूटामेट भी निर्धारित मात्रा से अधिक पाया गया तो लोगों को एहसास हुआ कि जिस मैगी को दो मिनट में बनने वाले फास्टफूड के रूप में अपना रहे थे वह वास्तव में दीर्घकालिक ज़हर का कार्य कर रही थी व धीरे -धीरे हमे अस्वस्थ बना रही है।
आज के समय में हमारे खान – पान में व्यापक स्तर पर बदलाव आया है। हमने विश्व के खान – पान के प्रकारों को धीरे -धीरे अपनाया है। ऐसे में बहुत सी विदेशी कंपनियो ने अपने बाजार यहाँ पर स्थापित किये।कोई भी कंपनी खाद्य सामग्री बेचने से पहले (FSSAI) भारतीय खाद्य संरक्षा एवम् मानक प्राधिकरण से मंजूरी लेती है।इसके बाद ही वह उत्पाद बाज़ार में उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध होता है।इन सभी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद भी मैगी प्रकरण में अगर ऐसी कमी पायी जा रही है तो यह निश्चित तौर पर प्राधिकरण की घोर लापरवाही है।इस घटना के बाद जब लोगोँ को यह एहसास हुआ की ये प्राधिकरण अपना कार्य उचित ढंग से नहीं कर रही है तो प्राधिकरण ने अपनी खोई शाख फिर से स्थापित करने के लिये जांच का दायरा बढ़ाया और आनन
-फानन में फास्टफूड के 33 ब्रांड्स जांच के दायरे में आ गए। इसके बाद इस जांच के दायरे को और बढ़ाते हुए युवाओं में अतिलोकप्रिय हो रहे एनर्जी ड्रिंक्स तक बढ़ाया गया तो वह भी नतीजा उपभोक्ताओं के लिहाज से नकारात्मक मिला।महिलाओं के सौंदर्य प्रसाधन के निर्माण में प्रयोग की गयी सामग्री से मानव मष्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव की पुष्टि हुई।यह एक विडम्बना है
की निर्धारित एजेंसी अपना काम नही करती लेकिन जब कुछ हो हल्ला होता है तो अचानक सक्रिय ही जाती हैं।क्या हर बार किसी को उन्हें अपने कर्तव्य के बारे में जागरूक करने की जरूरत पड़ेगी?यहाँ पर गौर करने वाली बात यह भी है की जिन पदार्थों की खपत अधिक है व लोकप्रिय हैं उनमे यह गड़बड़ी अधिक हो रही है,मैगी,एनर्जी ड्रिंक्स व लिपिस्टिक में पायी गयी गड़बड़ी इसका
पुख्ता सबूत है।
प्राधिकरण लगातार जांच के आदेश ही दे रहा था की वहाँ
की एक सचाई फिर उभरकर सामने आई।प्राधिकरण के ही पूर्व अधिकारियों ने
स्वास्थ्य मत्री को पत्र लिखकर वहां पर चल रहे धांधली से अवगत कराया की
किस प्रकार से उत्पादों को मंजूरी देने में रिश्वतखोरी हो रही है।ऐसे में
एक प्रश्न यह भी उठता है की क्या यह धांधली इन पूर्व अधिकारियों के रहते
हुए भी ही रहा था?अगर हाँ हो उस समय यह बात उजागर क्यों नही हुई?ऐसी
परिस्थिति में इन पूर्व अधिकारियों की मदद से मामले की गंभीरता से पड़ताल
करने की आवश्कता है।अगर वास्तव में वहां पर ऐसी धांधली चल रही है तो तो
उन्हें तुरन्त बर्खास्त कर उनपर सख्त कार्यवाई करनी चाहिए क्योंकि लोगों
के स्वास्थ्य के मामले में सरकार का ढीला रवैया ऐसी चीज़ों को और भी
प्रोत्साहित करेगा जो लगातार लोगों के पेट में ज़हर घोलते
रहेंगे।प्राधिकरण में औचक निरिक्षण दल की सक्रियता की आवश्कता है जो समय
-समय पर विभिन्न उत्पादों का औचक निरिक्षण करें।जितनी कोशिश सरकर भारतीय
संस्कृति में विरासत रूप में प्राप्त योग को आगे बढ़ाने व इसे अच्छे
स्वास्थ्य के एक जरिये के रूप में देख रही है जो बिलकुल सही है ,उसे
स्वस्थ्य सम्बन्धी इन मामलों को भी उतनी ही लगन व गंभीरता से देखने का
प्रयास करना होगा ताकि लोगों के स्वस्थ्य से खिलवाड़ न हो सके।