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अस्मिता - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अप्रिय सदा अभिमान मुझे,पर प्राणों से भी प्रिय स्वाभिमान। मुझे मिले सम्मान नहीं,पर रक्षित रहे आत्मसम्मान ।। * मिथ्या-गौरव नहीं चाहिये, मुझे हो जीने का अधिकार । चाहे मुझे मिले न आदर, क्यों दे कोई तिरस्कार।। * चाहे सुयश कभी न पाऊँ, अपयश रहे सदा ही दूर। नहीं प्रशंसा की…