9/11 की बरसी – जवाब मांगते कुछ सवाल

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वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुआ हमला न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया के लिहाज से आतंकवाद के खिलाफ एक व्यापक अभियान का प्रस्थान बिंदु बना। इसी वजह से अमेरिकी फौज अफगानिस्तान में आई, जिससे वहां 2001 में तालिबानी सत्ता खत्म हुई। अब बीस साल के बाद जब अमेरिकी सेना वापस लौटी तो भारत के इस पड़ोसी देश में एक बार फिर सत्ता पर तालिबान काबिज हो गए हैं। क्या इसका यह मतलब माना जाए कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम एक बार फिर उसी बिंदु पर पर पहुंच गए हैं, जहां से हमने चलना शुरू किया था?

अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले को आज 20 साल पूरे हो गए हैं। 11 सितंबर 2001 को 19 आतंकियों ने चार कमर्शियल प्लेन हाइजैक किए। इनमें से दो प्लेन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ और साउथ टावर से टकरा दिए गए। वहीं, तीसरा प्लेन पेंटागन पर क्रैश किया गया था। इस हमले में 93 देशों के 2 हजार 977 लोग मारे गए थे। हमला अल-कायदा नाम के आतंकी संगठन ने किया था। बीस साल बाद अल-कायदा फिर से चर्चा में है। इसकी वजह है तालिबान। वही तालिबान जो इस वक्त अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज है। इस तालिबान के अल-कायदा से सालों पुराने रिश्ते हैं। ये रिश्ते आने वाले वक्त में दुनिया के लिए नया खतरा बन सकते हैं। ऐसा कई एक्सपर्ट कह रहे हैं।

नवंबर 2002 में लादेन ने अमेरिका के नाम एक लेटर लिखा था। इस लेटर में उसने अमेरिका पर किए हमले का कारण बताया था। लादेन ने हमले की वजह जियोनिस्ट क्रुसेडर अलायंस को बताया। उसका आरोप था कि ये अलायंस कई देशों में मुस्लिमों के खिलाफ हमले करता है। इसमें सोमालिया, बोस्निया हर्जेगोविना और लेबनान जैसे देश शामिल हैं। इसके साथ ही लादेन ने सऊदी अरब में अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति, इजराइल को अमेरिका के समर्थन और कुवैत पर हमले के बाद इराक पर लगाए अमेरिकी प्रतिबंधों पर भी नाराजगी जताई थी।

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुआ हमला न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया के लिहाज से आतंकवाद के खिलाफ एक व्यापक अभियान का प्रस्थान बिंदु बना। इसी वजह से अमेरिकी फौज अफगानिस्तान में आई, जिससे वहां 2001 में तालिबानी सत्ता खत्म हुई। अब बीस साल के बाद जब अमेरिकी सेना वापस लौटी तो भारत के इस पड़ोसी देश में एक बार फिर सत्ता पर तालिबान काबिज हो गए हैं। क्या इसका यह मतलब माना जाए कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम एक बार फिर उसी बिंदु पर पर पहुंच गए हैं, जहां से हमने चलना शुरू किया था?

यह भी एक बड़ी अजीब बात है कि जिस 11 सितंबर की बरसी अमेरिका में बड़ी तकलीफ के साथ हर बरस मनाई जाती है, उसके ठीक पहले अफगानिस्तान में ऐसी सरकार बन रही है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया की माने, ताे तालिबान अफगान सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 9/11 की बरसी पर आयोजित करने वाला था। तालिबान ने उद्घाटन समारोह में रूस, ईरान, चीन, कतर और पाकिस्तान को आमंत्रित किया था। हालांकि रूस ने कथित तौर पर कतर को सूचित किया, कि अगर यह 9/11 की बरसी पर आयोजित होता है तो वह शपथ ग्रहण समारोह में भाग नहीं लेगा।

रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी कतर सरकार पर तालिबान को 9/11 की बरसी पर समारोह आयोजित न करने की सलाह देने के लिए दबाव डाल रहे थे, क्योंकि इस दिन को चुनना एक अमानवीय कदम के रूप में सामने आएगा।

अमेरिकी मीडिया इस बरस उसे कुछ अधिक याद कर रहा है क्योंकि अमेरिकी फौजें अफगानिस्तान को 20 बरस बाद उसी हालत में छोड़कर एक शर्मनाक हार झेलकर लौटी हैं और थकान उतार रही हैं। ऐसे में अमेरिकी मीडिया 2001 के 11 सितंबर के उस हमले को हर किस्म से याद करने की कोशिश कर रहा है, और उसमें कुछ ऐसे परिवार हैं जिन्हें वह हर बरस खबरों में लाता है, क्योंकि उनमें ऐसे बच्चे हैं जो उस हमले के तुरंत बाद पैदा हुए थे। अमेरिका में ऐसे बच्चों का एक पूरा समुदाय है जिन्होंने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उस हमले में अपने मां-बाप को खोया था। ऐसे करीब 3000 बच्चों की एक फेहरिस्त है जिनके पास उस भयानक हमले की याद है, और जख्म हैं।

आर एल फ्रांसिस

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