उत्तरप्रदेश की बदहाली को दर्शाता खटिया लूट

khatiyaसुरेश हिंदुस्थानी
अभी हाल ही में उत्तरप्रदेश की जनता में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की खटिया सभा के बाद जिस प्रकार का खटिया लूट का वातावरण दिखाई दिया, उससे निसंदेह प्रदेश के बारे में यह संदेश तो गया ही है कि उत्तरप्रदेश में जो विकास की धारा बहनी चाहिए, वह आज तक कोसों दूर है। अब सवाल यह उठता है कि इसके लिए दोषी किसे माना जाए। निश्चित रुप से राजनीतिक दलों को प्रथम तौर पर दोषी माना जाना चाहिए। प्रदेश की गरीब जनता के लिए सरकारों के जो प्राथमिक कर्तव्य होने चाहिए, उनसे सरकार हमेशा दूर ही रहती आई है। वास्तव में सरकार कार्य योजना का चित्र तो बना देती है, लेकिन उस कार्ययोजना पर कितना अमल किया गया, इस बात पर चिन्तन करने की आवश्यकता है।
वर्तमान में केन्द्र और प्रदेश में कांग्रेस मुक्त सरकारें हैं। कांग्रेसी नेताओं की कार्य पद्धति का अध्ययन किया जाए तो ऐसा ही लगता है कि उन्होंने जो भी किया, केवल वही सही है, कांग्रेस का मानना है कि बाकी सारे राजनीतिक दल हमेशा गलत काम करते हैं। चलो यह मान भी लिया जाए कि कांग्रेस ने हमेशा अच्छा ही किया है, तब यह भी सत्य है कि देश में अधिक समय कांग्रेस की सत्ता रही है। फिर देश के प्रमुख राज्य की हालत ऐसी क्यों है, जिसके कारण कांग्रेस को उत्तरप्रदेश बदहाल दिखाई दे रहा है। इस बदहाली के लिए क्या कांग्रेस की सरकारें जिम्मेदार नहीं हैं ? अगर हैं तो कांग्रेस के नेताओं को आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांककर अवश्य ही देखना चाहिए।
राहुल गांधी की खटिया सभा में जिस प्रकार से खटिया लूटने का चित्र दिखाया गया था, उससे प्रदेश की तसवीर खुलकर सामने आ जाती है। यह प्रदेश की बदहाली को चित्रित करता हुआ दिखाई देता है। कांग्रेस का आरोप है कि प्रदेश में विगत 27 वर्षों से जिन राजनीतिक दलों का शासन है, वही इसके लिए दोषी हैं। लेकिन केन्द्र में तो कांग्रेस का ही शासन रहा, हालांकि प्रदेश की हालत सुधारने में ज्यादातर काम प्रदेश की सरकारों को ही करना होता है, यह बात कांग्रेस के नेता जानते ही होंगे, फिर सवाल आता है कि लम्बे समय तक केन्द्र की सत्ता पर काबिज कांग्रेस की सरकारों ने प्रदेश को बदहाली से उबारने के लिए कुछ नहीं किया, तब वर्तमान केन्द्र सरकार को आरोपित करना महज राजनीतिक बयानबाजी का हिस्सा है। कौन नहीं जानता कि कांग्रेस जिस राहुल गांधी के सहारे सत्ता प्राप्त करने का सपना पाले हुए है, उसे प्रदेश के मतदाता पहले भी खारिज कर चुके हैं। वर्तमान प्रदेश कांग्रेस के पास ऐसा कोई नेता नहीं है, जिसके सहारे प्रदेश में कांग्रेस के प्रति वातावरण बनाया जा सके। कांग्रेस की इसी मजबूरी के चलते राहुल को इस बार भी आगे किया जा रहा है।
प्रदेश के देवरिया क्षेत्र में खाट पंचायत के बाद का जिस प्रकार खटिया लूट का दृश्य दिखाई दिया, उसे भले ही कांग्रेस बहुत अच्छा माने, लेकिन सत्य यही है कि खाट पंचायत का यह प्रयोग अव्यवस्था फैलाने वाला ही रहा। कांग्रेस ने खटिया बनाने के लिए जितना पैसा व्यय किया, उसके बदले में उसे वह प्राप्त नहीं हो सका, जिसके लिए वह प्रयत्न करती दिखाई दे रही है। कांग्रेस नेताओं के उतावले पन को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि वह सत्ता प्राप्त करने के लिए और भी अचंभित करने वाले प्रयोग कर सकती है। एक कांग्रेसी नेता का तो साफ कहना है कि सत्ता के सहारे ही हमारी राजनीति ठीक ठाक चलती है, बिना सत्ता के हम जी नहीं सकते। यह बात सही भी हो सकती है, क्योंकि लम्बे समय तक सत्ता की सुख सुविधाओं का प्रयोग करने से कांग्रेसी नेता उन सुविधाओं के आदी हो गए हैं। उनके स्वभाव के हिसाब से सत्ता प्राप्त करना जरुरी है।
वर्तमान में कांग्रेस को जो दिन देखने पड़ रहे हैं, वह किसी और के कारण नहीं, बल्कि उनके किए गलत कामों की देन ही कहा जाएगा। भ्रष्टाचार और कांग्रेस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जनता की कमाई को डकारने वाले कई कांग्रेसी नेता आज अपनी प्रारंभिक फटेहाल जिंदगी से मुक्त हो चुके हैं। आज भी कांग्रेस नेताओं के परिजन भ्रष्टाचार के आरोप के घेरे में हैं। कांग्रेस भले ही इसे राजनीतिक बदले की भावना की कार्यवाही बताकर पल्ला झाड़ ले, लेकिन यह सत्य है कि कांग्रेस के शासन काल में जमकर भ्रष्टाचार हुआ। अब उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन भी जाती है, तो इस बात की क्या गारंटी है कि कांग्रेस वह सब नहीं करेगी, जो अभी तक करती आई है।

कांग्रेस ने अपने शासनकाल में हमेशा ही लीक से हटकर असंवैधानिक काम किए हैं। अपनी पार्टी के नेताओं की जयन्ती और पुण्यतिथियों को सरकारी कार्यक्रम बनाकर करोड़ों रूपये खर्च किए जाते रहे हैं। अगर कांग्रेस देश के नेता मानकर यह करने की बात करती है तो उन्हें भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को भी ऐसा ही सम्मान देना चाहिए था। कांग्रेस की नजर में केवल कांग्रेसी नेता ही महान हैं। इसके अलावा वह किसी को भी उतना सम्मान नहीं देती। जबकि देश में ऐसे अनेक महापुरुष हैं, जिनका जीवन दर्शन देश को नई दिशा दे पाने में समर्थ है। कांग्रेस का यही सोच उनकी पार्टी को संकुचित करता जा रहा है। कांग्रेस में जबरदस्ती तौर पर राष्ट्रीय नेता के रूप स्थापित करने की राजनीति के चलते राहुल गांधी की समझ और सोच के चलते यह कहा जा सकता है कि आज देश का युवा तकनीक के मामले में बहुत आगे है। अन्तरताने पर उपलब्ध नित नवीन जानकारी हासिल करके युवा वर्ग अपने आपको अद्यतन रखता है, इसलिए आज के युवा को गुमराह करना कतई आसान नहीं है।

कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वह देश के युवा वर्ग को प्रभावित कर पाने असफल साबित हो रही है। उसका समर्पित वर्ग पूरी तरह से दूर होता जा रहा है। जहां तक उत्तरप्रदेश की बात है तो यहाँ मुस्लिम मतदाता बहुत प्रभावी हैं। कांग्रेस को भय इस बात का है कि प्रदेश का मुस्लिम मतदाता अधिकतम सत्ता केंद्रित राजनीति करता रहा है, इसलिए इस बार मुस्लिम मत भाजपा के खाते में भी जाएंगे, यह तय है। इसके अलावा आज कई मुस्लिम यह खुले रूप में स्वीकार कर चुके हैं कि कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति के चलते मुस्लिम समाज का अहित ही किया है। भाजपा का सबका साथ और सबका विकास वाली नीति सभी को पसंद आ रही है। इसके अलावा सपा व बसपा के प्रति भी मुस्लिम झुकाव पहले की तरह ही दिखाई दे रहा है।
आरोप प्रत्यारोप के इस राजनीतिक वातावरण में लोगों को गुमराह करने का खेल प्रारम्भ हो गया है। लेकिन मात्र दो वर्ष की केन्द्र सरकार को उत्तरप्रदेश की दुर्दशा को जिम्मेदार मामने वाले राहुल गांधी संभवत: यह भूल रहे हैं कि आज प्रदेश में जिन समस्याओं को लेकर वे केन्द्र पर आरोप लगा रहे हैं, पहले तो वे केन्द्र सरकार की परिधि में कतई नहीं आती। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि ये समस्याएं केन्द्र में कांग्रेस के शासनकाल में भी विद्यमान रहीं। राहुल गांधी आज कांग्रेस के सर्वेसर्वा माने जाने लगे हैं, तब सवाल यह आता है कि जब समस्याएं पहले से थीं, तब राहुल गांधी ने कांग्रेस के शासन के दौरान उनका समाधान करने के बारे में क्यों नहीं सोचा। कांग्रेड का हमेशा यही सोचना रहा है कि देश में समस्याएं नहीं होंगी, तब राजनीति कैसे की जाएगी। शायद यही सोचकर कांग्रेस ने देश की समस्याओं के समाधान के बारे में कभी नहीं सोचा।

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