मैंने नौवीं कक्षा से स्कूल छोड़ दिया है”। .

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villagesआगा अशफाक सेहड़ी ख्वाजा,
पुंछ

खबरों के अनुसार नई शिक्षा नीति के संबध मे विभिन्न राजनीतिक दलों के माध्यम से ससंद के दोनो सदनो के सदस्य से रायशुमारी की जाएगी। नई शिक्षा नीति पर सभी सदस्यों से 30 सितम्बर तक राय मांगी गई है ताकि इसे अमल मे लाने मे विलंब न हो। एक ओर शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए ये प्रयास और दुसरी ओर खूबसूरत राज्य जम्मू कशमीर के जिला पुंछ की तहसील सुरनकोट के गांव हाड़ी- मरहोट मे शिक्षा की दयनीय स्थिति सभी शिक्षा योजनाओं पर प्रशन चिंह लगाती है।
गांव हाड़ी मे हर व्यक्ति शिक्षा के लाभ से अवगत है लेकिन शिक्षा प्रणाली में खामियां होने के कारण यहां के बच्चे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। इस बारे में एक बुजुर्ग का कहना है कि “इस क्षेत्र को राजनीतिक भेदभाव की वजह से नजरअंदाज किया जाता है, जबकि इस गांव में बड़ी आबादी निवास करती है। लेकिन मूलभूत सुविधाओं से वंचित है जिनमें शिक्षा की हालत सबसे बदतर है”। यहां के अधिकांश छात्र दसवीं कक्षा के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं, क्योंकि यहाँ सिर्फ दसवीं कक्षा तक ही स्कूल है आगे की पढ़ाई के लिए घंटों का सफर तय करने के बाद मड़होट बस अड्डे पर पहुंचने पर वहां से मेटाडोर द्वारा लठोन्ग उच्च विद्धालय जाना पड़ता है, जो कि इस गांव के बच्चों की पहुंच से बाहर है। इसलिए आगे की पढ़ाई के बजाय शिक्षा को अलविदा कहना पड़ता है”।
ऐसी स्थिति में लड़कियां और भी जल्दी स्कूल को अलविदा कह देती हैं जिसकी मिसाल सुमय्या खातुन है। इस सिलसिले में सुमय्या कहती हैं, ” मैंने हाई स्कूल हाड़ि में नौवीं कक्षा में दाखिला लिया था, लेकिन स्कूल दूर होने की वजह से स्कूल नहीं जा सकी। मुझे अपने घर से स्कूल तक जाने में काफी समय लग जाता था इसलिए मैं समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाती थी। मैंने नौवीं कक्षा से स्कूल छोड़ दिया है”। .
मालुम हो कि गांव में जो स्कूल है उसमें शौचालय की सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है। जिन की अनुपलब्धता की वजह से लड़कियों को बहुत पहले ही स्कूल से मुंह मोड़ना पड़ता है। यह समस्या सिर्फ हाड़ी गांव की ही नही है बल्कि तहसील सुरनकोट के गांव मरहोट की लड़कियाँ भी इस समस्या से परेशान हैं। इस संबंध में अपर मरहोट के सरपंच हाजी खादिम हुसैन ने चरखा से बात करते हुए बताया कि ”एक तो पूरे गांव में एक ही हाई स्कूल है। हालांकि हमने बार बार सरकार से मांग की कि लड़कियों के लिए एक अलग उच्च विद्यालय बनाया जाए लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नही दिया,। दूसरा बड़ा मुद्दा यहाँ से उच्च माध्यमिक स्कूल जाने के लिए लगभग पंद्रह किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता तय करना होता है जिसमे आधे रास्ते में सही सड़क नही है जबकि बाकी के रास्ते मे सड़क ही नही है। स्कूल का समय तो सभी के लिए एक ही है, लेकिन सड़क सही न होने के कारण एक ही समय मे बड़ी संख्या मे वाहन उपलब्ध नहीं होते ताकि सारी बच्चियां समय पर स्कूल पहुंच सकें और नौबत यहां तक पहुंच जाती है कि बच्चियों को आम सवारी के साथ भेड़-बकरियों की तरह धकेल दिया जाता है”।
इस संबध मे जब एक स्कूली छात्र से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ” नौवीं कक्षा का छात्र हूँ, मैं डॉक्टर बनना चाहता हूँ, उच्च विद्यालय हाड़ि में पढ़ रहा हूँ और मेरे स्कूल में विज्ञान के शिक्षक ही नहीं हैं ” इससे साफ जाहिर होता है कि बच्चों में उत्साह और उल्लास की कमी नहीं है बल्कि सुविधाएं न मिलने के कारण उनके सपने अधूरे रह जाते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि हमारी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए हर तरह से नेक इरादे रखती है। और शिक्षा नीति को उत्तम बनाने के लिए नीत नए प्रयास कर रही है लेकिन पुंछ मे शिक्षा की वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिए मात्र शिक्षा नीति मे सुधार लाने की ही नही बल्कि शिक्षित होने के लिए सुविधाओं की ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

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