रुपया बड़ा या राष्ट्रहित

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प्रवीण दुबे
समय रात्रि 8:37 बजे, अचानक इंटरनेट, टी.वी., यूट्यूब सहित सभी आधुनिक संचार माध्यमों पर सिर्फ एक ही नाम की धूम और वह था भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का। इस बार उन्होंने भारत-पाक सीमा पर नहीं बल्कि आर्थिक जगत या यूं कहें तो ज्यादा सटीक होगा कि आम हिन्दुस्तानी के जीवन से जुड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की घोषणा करके कुछ देर के लिए देशवासियों की धडक़नों को जैसे थाम सा दिया। सच पूछा जाए तो देशहित में नरेन्द्र मोदी ने ऐसा साहस भरा कदम उठाया है जिसकी शायद फिलहाल किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। मोदी के इस कदम से सबसे बड़ा झटका उन लोगों को लगा है जो भारत को खोखला कर रहे थे।

झटका लगा है उन सफेदपोश धन्नासेठों को जिनकी कोठियां और तिजोरियां काले धन से सजी हैं। झटका लगा है सीमापार बैठे उन आतंकवादी शक्तियों को जो नकली करेंसी भारत में भेजकर हमारी अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर रहे थे। वो एक ऐसे छुपे हथियार से भारत पर वार कर रहे थे जिसका एकमात्र यही जवाब था जो आज मोदी ने दिया। देशहित में पिछले माह कश्मीर सीमा पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक का यह अगला कदम कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होना चाहिए। इससे भारत मजबूत होगा, काला धन बाहर आएगा और देश में अच्छे दिन लाने में आसानी होगी।

एक तरफ नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए साहस भरा कदम उठाया है तो दूसरी ओर इस घोषणा से देशवासियों में खासतौर से छोटे शहरों, गांवों और कस्बों में लोगों के बीच घबराहट देखी जा रही है। ऐसा होना अवश्यम्भावी भी है। सबसे ज्यादा घबराहट भारत जैसे देश की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा कहे जाने वाले असंगठित क्षेत्र के लोगों में है। जिसके पास बैंक खाता नहीं ऐसे लोग क्या करेंगे? नि:संदेह उनके लिए यह खबर एक बड़े झटके से कम नहीं है। लोगों में इस बात का डर भी है कि वो बाजार में जाते हैं और उनके पास पांच सौ या हजार रुपए का नोट ही है तो वह कैसे सामान ले पाएंगे। इस निर्णय से कितना कालाधन बाहर आएगा? या फिर प्रधानमंत्री का यह तरीका तिजोरियों में जमा काले धन को कितना नेस्ताबूत कर पाएगा इसकी असल तस्वीर आने में अभी समय लगेगा।

हालांकि प्रधानमंत्री जब देश से सीधे संबंध रखने वाले इस बड़े फैसले की घोषणा कर रहे थे उस समय भी उन्हें इस बात का बखूबी ध्यान था कि इससे सर्वाधिक झटका उन मध्यम वर्गीय लोगों को लग सकता है जो अपनी रोजमर्रा की जरूरतों अथवा हारी-बीमारी के लिए आवश्यकता से कुछ थोड़ा ज्यादा पैसा अपने पास जमा रखते हैं।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ऐसे लोगों को भरपूर भरोसा दिलाते हुए उनके हितों के संरक्षण की बात कही, उन्होंने कहा कि देश के लिए देश का नागरिक कुछ दिनों के लिए यह कठिनाई झेल सकता है, मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों की मदद से भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई को और आगे ले जाना चाहता हूँ, उन्हीं के शब्दों में ‘ तो आइए जाली नोटों का खेल खेलने वालों और कालेधन से इस देश को नुकसान पहुंचाने वालों को नेस्तनाबूत कर दें, ताकि देश का धन देश के काम आ सके, मुझे यकीन है कि मेरे देश का नागरिक कई कठिनाई सहकर भी राष्ट्र निर्माण में योगदान देगा। मोदी के इन शब्दों को पूरे देशवासियों को ध्यान से पढऩा चाहिए। हमें नहीं भूलना चाहिए कि राष्ट्रहित से बड़ा कोई नहीं।

हमारा व्यक्तिगत स्वार्थ और समस्याएं तो कतई नहीं। जरूरत धैर्य और समझ से काम लेने की है। उन लोगों को कतई घबराने की आवश्यकता नहीं जिन्होंने अपनी मेहनत की कुछ कमाई बुरे वक्त के लिए जमा की है। हां यह निर्णय उन लोगों के लिए किसी वज्राघात से कम नहीं जो कालेधन को बाहर लाने की लगातार की जा रही अपीलों को नजर अंदाज कर रहे थे। इस निर्णय से सरकार की लगातार आलोचना में जुटे कुछ वामपंथी छाप तथा कथित धर्मनिरपेक्षतावादियों को हो सकता है एक मुद्दा अवश्य मिल गया है, लेकिन जिन्हें इस देश से प्यार है वह भली प्रकार समझ चुके हैं कि जब भी राष्ट्रहित की बात आती है इन लोगों को देश खतरे में नजर आता है। इस बार भी मोदी ने राष्ट्रहित में साहस भरा कदम उठाया है तो आइए इसका स्वागत करें।

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