मनुष्य का धर्म सद्ज्ञान व विवेक की प्राप्ति और उसके अनुसार आचरण कर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति है’ - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
मनमोहन कुमार आर्य मनुष्यों को अपने कर्तव्यों का ज्ञान कहां से प्राप्त हो सकता है? क्या मत-मतान्तरों की शिक्षा से कर्तव्यों का यथार्थ ज्ञान मिलता है कि जिससे मनुष्य जीवन का उद्देश्य पूरा होता हो? ऐसा नहीं है। यदि ऐसा होता तो फिर सभी मनुष्य आपस में प्रेम से रहते…