दूसरा चरण-11 जिलों की 67 सीटों पर 15 को वोटिंग

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सपा के दबदबे वाला है यह इलाका
2012- 34 सपा, 18 बसपा, 10 भाजपा, 3 कांग्रेस, 2 अन्य
संजय सक्सेना

उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण में जिन क्षेत्रों मेें मतदान होना है उसमें भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से सटे कई जिले शामिल हैं। 15 फरवरी को ही उत्तराखड़ में भी 70 सीटों के लिये चुनाव हो रहा है। बात यूपी चुनाव की कि जाये तो हर वर्ष बाढ़ से जुझते रूहेलखंड में किसानों का अपना दर्द है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उद्योग ध्ंाधों को अलग राह की तलाश है। भाजपा को केन्द्र की सत्ता दिलाने तो राज्य में सपा को सत्ता तक पहुंचाने में खास मदद करने वाले इस क्षेत्र के विधानसभा चुनाव से कुछ खास उम्मीदंे हैंै।
दूसरे चरण की 67 सीटों में वह बदायंू जिला भी है जहां थाने में रेप कांड हुआ था, जिसे आज सत्तारूढ़ गठबंधन भुला देना चाहता है तो विपक्ष उसे भूलने को तैयार नहीं है। इस कांड कई ऐसे मोड़ आए जब सरकार अहसज हुई। वहीं 2016 में प्रकृति के कहर के रूप में बाढ़ ने भी रूहेलखंड को खूब सताया। फसले बर्बाद हुई और असके साथ किसान भी। गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया तो हर चुनाव का मुद्दा बन चुका है।
इस चरण में पीतल नगरी मुरादाबाद भी है जहां लोग बिजली की आपूर्ति से लेकर निर्यात सब्सिडी के समय पर उनके खातेे मे पहुंचाने की मांग कर रहे है। यहां से ब्रास का सामान एक्सपोर्ट होता है,परंतु पिछले कुछ वर्षो में इसमें भी कई समास्याएं आई हैं। बरेली के जरी के काम को भी दुनिया के फलक पर चमकने के लिए कुछ सरकारी मदद की जरूरत है।
खीरी और शाहजहांपुर में गन्ना किसान हों या बरेली, पीलीभीत के छोटे व मझोले उद्योगों के मालिक सभी सरकार की तरफ मदद के लिए देखते आए हैं लेकिन सरकार की नजरें इस तरफ कितनी ईनायत हुई है, ये चुनाव में पता चल जायेगा।
सियासी तस्वीरः यंू तो प्रदेरा की सत्ता पाने में समाजवादी पार्टी की मदद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन जिलों व रूहेलखंड ने खूब की। 67 में से 34 सीटंें सपा के पास है। बसपा के पास 18 हैं तो भाजपा के पास यहां से 10 सीटे है।

सपा के लिए बड़ी चुनौती

सपा के लिए यहां की सीटे बचाना चुनौती होगा। क्यांेकि लोकसभा के लिए भी साफ संदेश यही से गया। भाजपा को इस क्षेत्र ने खासी मदद की। केन्द्र ने भी इसे अनदेखा नही किया है। पीलीभीत की सांसद मेनका गांधी बरेली से सांसद संतोष गंगवार, शाहजहांपुर की सांसद कृष्णा राज को मोदी मंत्रिमण्डल में जगह मिली है। लिहाजा सपा सरकार के 5 सालोें के काम के मुकाबले भाजपा के ढाई सालों के कामों का मुकाबला होगा। जनता बताएगी कि उसे मोदी सराकार के अच्छे दिन नजर आए या फिर अखिलेश सरकार का ‘काम बोलता‘ दिख रहा। पश्चिम उत्तर प्रदेश जाट, गुर्जर और जाटव के भरोसे पार्टियां चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश करेेेंगी। तो रूहेलखंड में लोध और कुर्मी वोट भी नतीजों पर असर डालेंगे।
अपराध-धनबल में सपा प्रत्याशी सबसे आगे
719 प्रत्याशियों में बीएसपी के 87 प्रतिशत करोड़पति
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने यूपी में दूसरे चरण के चुनाव के प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि का ब्योरा जारी किया है। रिपोर्ट के अनुसार दूसरे चरण में सबसे ज्यादा आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को टिकट सपा ने दिए हैं। वहीं सपा और बीएसपी दोनों ही करोड़पतियों के मामले में लगभग बराबर हैं। बीजेपी भी करोड़पतियों को टिकट देने के मामले में इनसे थोड़ी ही पीछे है।
दूसरे चरण में 69 विधानसभा सीटों के लिए 92 दलों के 721 प्रत्याशी मैदान में है। इसमें 6 राष्ट्रीय, 6 क्षेत्रीय और 80 गैर मान्यता प्राप्त पार्टियां हैं। कुल 719 की पृष्ठभूमि उनके एफिडेविट के आधार पर परखी गई। इस चरण के लिए वोट 15 फरवरी को पड़ेंगे। रिपोर्ट के अनुसार 84 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन पर हत्या, हत्या के प्रयास, महिला अत्याचार, अपहरण जैसे गंभीर मुकदमे हैं। सपा-कांग्रेस गठबंधन ने 69 सीटों में 37 सीटों पर आपराधिक रेकार्ड वालों को टिकट दिया है। वहीं, गठबंधन के 64 उम्मीदवार करोड़पति हैं। बीएसपी के 25 उम्मीदवार आपराधिक बैकग्राउंड के और 58 करोड़पति हैं। खास बात है कि बीएसपी प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 7.01 करोड़ है जो कि सभी दलों में सर्वाधिक है। बीजेपी के 16 उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे हैं जबकि 50 करोड़पतियों को पार्टी ने टिकट दिया है।
प्रत्याशियों का रेकॉर्ड

36 करोड़पति, 15 पर आपराधिक और 12 पर गंभीर मुकदमें
दो निरक्षर, 15 साक्षर, 39 5वीं से 12वीं, 43 ग्रेजुएट या अधिक पढ़े

पार्टी आपराधिक गंभीर आपराधिक करोड़पति
सपा 41 प्रतिशत 33 प्रतिशत 88 प्रतिशत
बीएसपी 37 प्रतिशत 25 प्रतिशत 87 प्रतिशत
बीजेपी 24 प्रतिशत 15 प्रतिशत 75 प्रतिशत
कांग्रेस 33 प्रतिशत 22 प्रतिशत 72 प्रतिशत
आरएलडी 12 प्रतिशत 12 प्रतिशत 29 प्रतिशत
निर्दल 06 प्रतिशत 06 प्रतिशत 18 प्रतिशत
प्रमुख चेहरेः आजम खां-रामपुर। धर्म सिंह सैनी-नकुड़। रोमी साहनी-पालिया। काजिम अली-स्वार टांडा।
इन 67 सीटों पर पड़ने हैं वोट

इन 11 जिलों में होगा मतदान-सहारनपुर,बिजनौर,मुरादाबाद
सभ्ंाल,रामपुर,बरेली,अमरोहा,पीलीभीत,खीरी,शाहजहांपुर, बदायंू।
बेहट नकुड़ सहारनपुर नगर सहारनपुर
देवबंद रामपुर मनिहार (सू.) गंगोह नजीबाबाद
नगीना(सू.) बरहापुर धामपुर नटहौर (सू.)
बिजनौर चांदपुर नूरपुर कांठ
ठाकुरद्वारा मुरादाबाद ग्रामीण मुरादाबाद नगर कुदरकी
बिलारी चंदौसी (सू.) असमोली संभल
गन्नौर स्वार चमरउवा बिलासपुर
रामपुर मिलक (सू.) बहेड़ी मीरागंज
भोजीपुरा फरीदपुर (सू.) बिथरी चैनपुर बरेली
बरेली कैंट आंवला धनौरा(सू.) नौगांव सादात
अमरोहा हसपुर पीलीभीत बरखेड़ा
बीसालपुर पूरनपुर (सू.) पलिया निघासन
गोलागोकर्रण श्रीनगर (सू.) धौरहरा लखीमपुर
कस्ता(सू.) मोहम्मदी कटरा जलालाबाद
तिलहार पुवायां (सू.) शाहजहांपुर ददरौली
बिसौली(सू.) सहसवन बिसली बदायंू
शेखपुर दातागंज

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संजय सक्‍सेना
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी संजय कुमार सक्सेना ने पत्रकारिता में परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मिशन के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत 1990 में लखनऊ से ही प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र 'नवजीवन' से की।यह सफर आगे बढ़ा तो 'दैनिक जागरण' बरेली और मुरादाबाद में बतौर उप-संपादक/रिपोर्टर अगले पड़ाव पर पहुंचा। इसके पश्चात एक बार फिर लेखक को अपनी जन्मस्थली लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र 'स्वतंत्र चेतना' और 'राष्ट्रीय स्वरूप' में काम करने का मौका मिला। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक 'आज' 'पंजाब केसरी' 'मिलाप' 'सहारा समय' ' इंडिया न्यूज''नई सदी' 'प्रवक्ता' आदि में समय-समय पर राजनीतिक लेखों के अलावा क्राइम रिपोर्ट पर आधारित पत्रिकाओं 'सत्यकथा ' 'मनोहर कहानियां' 'महानगर कहानियां' में भी स्वतंत्र लेखन का कार्य करता रहा तो ई न्यूज पोर्टल 'प्रभासाक्षी' से जुड़ने का अवसर भी मिला।

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