एक गजल सच्चाई पर - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
कोई टोपी कोई पगड़ी कोई इज्जत अपनी बेच देता है मिले अच्छी रिश्वत,जज भी आज न्याय बेच देता है वैश्या फिर भी अच्छी है उसकी हद है अपने कोठे तक पुलिस वाला तो बीच चौराहे पर अपनी वर्दी बेच देता है जला दी जाती है,अक्सर बिटिया सुसराल में बेरहमी से…