एक गजल बेटा बाप को नहीं देखता

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जीता हूँ अपनी धुन में,इस दुनिया का कायदा नहीं देखता
रिश्ते निभाता हूँ दिल से  कभी अपना फायदा नहीं देखता

लिखता हूँ  अपने दिल से, कभी किसी का दिल नहीं दखाता
शब्दों की माला पिरोता हूँ कभी किसी की कविता नहीं चुराता

आँखे सभी की दो दो है,पर वह अपने पापो को नहीं देखता
अँधा पापो को महसूस करता है पर वह आँखों से नहीं देखता

मोदी देश के विकास को देखता,पर प्रधानमंत्री पद नहीं देखता
पप्पू प्रधानमंत्री पद देखता है,पर देश का विकास नही देखता

झांकते है दुसरे के गिरेबान में,कोई अपना गिरेबान नहीं देखता
बनना चाहते है प्रधानमंत्री,कोई अपनी काबिलियत नहीं देखता

रस्तोगी और क्या ज्यादा लिखे,अब कोई किसी को नहीं देखता
दूर अब मत जाईये कही,अब तो बेटा सगे बाप को नहीं देखता

आर के रस्तोगी 

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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