एक गजल -वादा करके भी तुम मुकर जाते हो

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वादा करके भी तुम मुकर जाते हो |
सच सच बताओ,तुम किधर जाते हो ||

करती हूँ तुम्हारा इन्तजार,बैचेन रहती हूँ |
साथ मुझको भी ले जाओ,जिधर जाते हो ||

उमर नहीं है तुम्हारी,इधर उधर घूमने की |
मेरा भी ख्याल रखो,क्यों नहीं सुधर जाते हो || 

बदनामी हो रही,लोगो की उँगलियाँ उठ रही |
जहाँ जाना नहीं चाहिए ,तुम उधर जाते हो ||

जाने को कहीं जाओ,तुमको कोई मनाही नहीं |
उधर मत जाओ,जहाँ लोग बिगड़ जाते हो ||

रस्तोगी की इल्तजा है,बुढापे में तो सुधर जाओ |
ऊपर जाने को बैठे हो,क्यों नहीं सुधर जाते हो ||

आर के रस्तोगी 
गुरुग्राम मो 9971006425

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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