एक नई मुलाकात 

0
329
मैं जब भी
फरोलता हूँ
अलमारी में रखे
अपने जरूरी कागजात
तो सामने आ ही जाती है
एक चिट्ठी 
जो भेजी थी
वर्षों पहले
मेरे दिल के
महरम ने
भले ही उससे
मुलाकात हुए
हो  गए  वर्षों
पर चिट्ठी
करा देती है अहसास
एक नई मुलाकात का
-विनोद सिल्ला

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here