एक नई मुलाकात - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
मैं जब भी फरोलता हूँ अलमारी में रखे अपने जरूरी कागजात तो सामने आ ही जाती है एक चिट्ठी जो भेजी थी वर्षों पहले मेरे दिल के महरम ने भले ही उससे मुलाकात हुए हो गए वर्षों पर चिट्ठी करा देती है अहसास एक नई मुलाकात का -विनोद सिल्ला