एक नया सबेरा

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अगर शाखे रही तो,नये पत्ते भी आयेंगे |
ये दिन बुरे है तो, अच्छे दिन भी आयेंगे ||

कुछ दिन कट गये और दिन भी कट जायेंगे |
नया सबेरा आयेगा,धुंध के बादल छट जायेंगे ||

हर अँधेरी रात के बाद आता है नया प्रभात |
सूखे पत्ते के बाद आते है तरु पर नये पात ||

यही प्रकृति का नियम है,सदा चलता आ रहा |
मानव तू माटी का पुतला ,तू क्यों घबरा रहा ||

जन्म मृत्यु का यह नियम,यह भी एक विधान |
कोरोना की भी मृत्यु होगी,मत घबरा तू इंसान ||

बीत गया उसे भूल जा आगे का करो तुम ध्यान |
वर्तमान को ख़ुशी से जियो, मत हो तुम परेशान ||

कोरोना के बारे में मत सोचो, प्रभु का करो ध्यान |
प्रभु ही सब कुछ करेंगे,वे है आज सर्व शक्तिमान ||

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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