एक टीस अंतरमन में - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
जब भी मेरे प्राणों में अवतरित होता है सत्यगीत देह वीणा बन जाती है, सत्य बन जाता है परमसंगीत। एक टीस सी उठती है हृदय में, किसी को मैं दिखला न सका जीवन सॉसों के बंधन पर, ह़दय के क्रंदन को मैं जान न सका। रिसता प्राणों से जो हरपल,…