रामभरोसे नगर की रामलीला ………एक व्यंग …………

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रामभरोसे बड़े ही भरोसे के आदमी है इसलिए नहीं कि उनका नाम रामभरोसे है बल्कि इसलिए कि वो रामभरोसे नगर के निवासी है,राम भरोसे नगर की खास बात ये है कि वहां के सभी निवासियों का नाम रामभरोसे है और नेताओं का नाम राम है,रामभरोसे नगर के सभी निवासियों का नाम रामभरोसे इसलिए है  क्योंकि इन लोगों में भरोसे का लक्षण मात्रात्मक रूप में बहुत ज्यादा है,इन्हें अभी भी अपनी जात-पात धर्म-संप्रदाय पर बहुत ज्यादा यकीन है यही अतिशय यकीन ही इने अतिशय भरोसे  का आदमी बना देता है यही कारण है कि यहाँ के नेताओं को इनके यकीन से जुड़े जाती,धरम और आरक्षण के  समीकरणों को हल करने पर ज्यादा भरोसा है.
वैसे  आज कल  रामभरोसे नगर में ”बड़का राम” चुनने के लिए रामलीला का माहौल बड़ा गरमाया हुआ है,असल में रामभरोसे नगर में मुख्यमंत्री को ”बड़का राम”  और विधान सभा चुनाव को ”रामलीला” कहते है,इस बार  रामलीला आयोजित करने वाला महामहिम  रामलीला आयोग  कुछ ज्यादा ही सख्त है,उसकी महामहिमी के आगे बड़े-बड़ों की महामहिनी नहीं चल पा रही है,बेचारे राम वानर सेना की मदद को व्याकुल हैं,लंका दहन,सेतु निर्माण,अक्षय कुमार वध,अशोक वाटिका उजड़ने जैसे  कृत्य वानर सेना से कराने  है पर रामलीला आयोग है कि मामले में खाटाई घोले दे रहा है सभी रामों का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है,इस बार राम वानर सेना के बिना राम लीला करने में कुछ असहज महसूस कर रहे है, उधर वानर बल कुछ खली बैठा  तो उसे  अपनी शक्ति का अंदाजा हुआ इसीलिए हनुमान,सुग्रीव,अंगद,नल,नील जैसे बाहुबली वानर भी राम बनकर रामलीला के मैदान में कूद पड़े, किसी जामवंत ने उनसे कह दिया है कि जब तुम राम बना सकते हो तो खुद राम क्यों नहीं बन सकते,फिर क्या था उन्होंने अपराध का  सागर लाँघ कर कानूनी गंगा नहाई और राम के गेट-अप रामलीला करने आ गए.
वानरों के आलावा अभी कुछ दिन पहले रामभरोसे नगर में हाथियों को भी सेलेब्रटी स्टेटस प्राप्त था, सभी हांथी मीडिया में सलमान शाहरुख़  की तरह छाये हुए थे ,वो हुआ कुछ यूँ था कि उन्होंने काफी हरी नोटें खा ली थी जिससे वो  काफी मोटे  हो गए  थे सो मोटापे की  वजह से चला नहीं जा रहा था,बेचारे हंथियों ने  अपने दल के ”राम जी”जो की पिछले रामलीला में ”बड़का राम”चुनी गयीं थी, से इच्छा जताई कि वो  आराम करना चाहते  है फिर क्या था” राम जी ” ने तथास्तु कह दिया और वो सब पत्थर की  मूर्ती बन गए और चिर काल के लिए विश्राम रत हो गए,इन सोये हुए हाथियों को रामभरोसे नगर के दो गावों के पार्कों में लगवा दिया गया बस इतनी सी बात न जाने क्यों महामहिम  रामलीला आयोग को चुभने लगी उन्होंने उन हाथियों को ढकने का आदेश दे दिया उनका कहना था कि इस रामलीला में सभी दलों के रामों को सामान अवसर मिलना चाहिए जबकि ये हांथी मन ही मन दल विशेष के रामों का नाम जप कर रहे हैं,जो कि ”रामलीला संहिता” का उलंघन है,वैसे जब उन हाथियों को धांका जा रहा था ठण्ड से कई राम भरोसे तड़प कर मर रहे थे उन्ही में से किसी राम भरोसे ने धीमी आवाज़ में कहा था कि ”रामलीला आयोग को इस बात कि चिंता थी कि कहीं बेचारेर हांथी ठण्ड से पतले ना हो जाएँ सो उन्होंने कई राम भरोसों के हक के कपडे उन मोटे हांथियों को पहना दिए,
खैर राम भरोसे नगर में जो कुछ होना था हो गया, जो कुछ होना है… हो रहा है पर इन सब के बीच ये तो तय है कि जब राम के विरुद्ध राम लड़ रहे हो तो विजय राम कि ही होनी है अगर किसी की हार होनी है तो वो है राम भरोसे वो इसलिए क्योंकि रामभरोसे खुद से ज्यादा ”राम” पर विश्वास करता है ….. शायद  वो पूरी तरह भूल गया है कि ये त्रेता के राम नहीं है ये कलयुगी राम है
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अनुराग अनंत
बाबासाहेब भीम राव अम्बेडकर केंद्रीय विश्विद्यालय,लखनऊ से जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग से परास्नातक की पढाई , मूल निवासी इलाहाबाद, इलाहाबाद विश्विद्यालय से स्नातक, राजनीतिक जीवन की शुरूवात भी वहीँ से हुई. स्वंतंत्र लेखन व साहित्य लेखन में रत हूँ . वामपंथी छात्र राजनीति और छात्र आन्दोलन से सीधा जुड़ाव रहा है. छात्र संघर्षो और जन संघर्षों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता रहा हूँ और ज्यादा कुछ खास तो नहीं पर हाँ इंसान बनने की प्रक्रिया में सतत लिप्त हूँ. अपने सम्पूर्ण क्षमता और ज्ञान से उन लोगों की आवाज़ बुलंद करना चाहता हूँ जिनकी आवाज़ कुचल दी गयी है या फिर कुचल दी जाती है सत्ता और जनता के संघर्ष में मैं खुद को जनता का सिपाही मानता हूँ । ( मोबाइल :-09554266100 )

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