खूबसूरती का एहसास

-रवि श्रीवास्तव-
poem

क्या है खूबसूरती, किसने इसे तराशा है,
हर दिन, हर पल देखकर, मन में जगी ये आशा है।
दिल को देता है सुकून, खूबसूरती का एहसास,
दुनिया में बस है भी क्या, इससे ज़्यादा भी क्या ख़ास।
नदी झील तारें चन्द्रमा, खूबसूरती के नज़ारे,
झरनें पहाड़ मौसम, लगते हैं कितने प्यारे।
समुन्दर की लहरों को देखो, किनारों से जब टकराती हैं,
कोयल की मीठी आवाज, जब गीत कोई गाती हैं।
उगता सूरज को देख और, ढलते दिन की रोशनी,
नाचे जब जंगल में कोई, पंख फैलाकर मोरनी।
दृश्य होता है ये अनोखा, दुनिया में सबसे प्यारा,
प्रकति ने दिया है यह सब खूबसूरती का नज़ारा।
इन सभी को देखकर, दिल में मेरे जग गई है आस,
खूबसूरत है दुनिया सारी , खूबसूरत है इसका एहसास।

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