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भगवान को न्याय हेतु एक न्यायाधिकरण - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-अरुण तिवारी- चैंकिए नहीं ! यह भगवान कोई और नहीं, वे पंचतत्व ही हैं, जो इस प्रकृति को बनाते और चलाते हैं: भ से भूमि, ग से गगन, व से वायु, अ से अग्नि और न से नीर। जीव, इस भगवान का निर्माण भले ही न कर सकता हो, किंतु…