आशा जगाता मोदी का एक साल

-सुरेश हिन्दुस्थानी-

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वर्तमान केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली को देखकर यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साल पहले जिस भ्रष्टाचार को मिटाने की बात कही थी, आज वह कम से कम केन्द्र सरकार के कामों में कहीं भी दिखाई नहीं देता। कहते हैं कि किसी अच्छे काम की शुरूआत जब ऊपर से होती है, तब उसके परिणाम प्रभावी और स्थायी रूप से बहुत नीचे तक जाते हैं। इसके लिए सबसे पहले जरूरी यह होना चाहिए कि ऊपर वाले व्यक्ति अपनी साफ नीति और नीयत से सरकार का संचालन करे। हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में पूरे देश की यह स्पष्ट परिकल्पना है कि इनके कार्यकाल में देश कम से कम भ्रष्टाचार जैसी बुराई से बहुत दूर होगा।

भारत में सकारात्मक राजनीति का सूत्रपात करने वाले नरेंद्र मोदी देश के ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होने स्वतंत्र भारत में जन्म लिया है, भारत में अभी तक जितने भी प्रधानमंत्री बने हैं, वे सभी गुलाम भारत में जन्म लेने वाले रहे। स्वतंत्रता प्राप्त करने से पूर्व भारत के महापुरुषों ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद जिस भारत की कल्पना की थी, क्या भारत उस दिशा की ओर जाता दिख रहा है? यदि नहीं तो वे कौन सी कमियाँ हैं, जिनके कारण भारत अपने मूल स्वरूप को खोता जा रहा है। आज देश के मूल स्वरूप को आधार बनाकर ही नरेंद्र मोदी ने अपने कदम राष्ट्रोत्थान की ओर अग्रसर किए हैं। ऐसे में देश के अंदर एक आशा तो अवश्य ही जागी है कि मोदी देश को सकारात्मक राह पर ले जाएँगे।

आज हमारे देश के युवाओं के अंदर यह भाव भी जागृत हुआ है कि हमारा देश विश्व के अनेक विकसित देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा है, इतना ही नहीं, अमेरिका जैसा देश भी आज भारत को बराबर का महत्व देने की प्रक्रिया अपना रहा है। यह सब कैसे हुआ, इसका अध्ययन करने से पता चलता है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भारत के भविष्य की स्पष्ट कल्पना है। अमेरिका इस बात को भली भांति जानता है कि भारत जिस दिन भी अपने मूल स्वरूप को प्राप्त कर लेगा, उस दिन भारत को आगे बढऩे से कोई ताकत नहीं रोक सकती। हम इस बात को अभी तक भूले नहीं होंगे कि अटलबिहारी वाजपेयी ने अपने शासन काल में जिस प्रकार से अमेरिका को अपनी शक्ति का एहसास कराया था, उससे अमेरिका हिल गया था। इसको व्यापक रूप से समझने के लिए हमें पोखरण परीक्षण के बाद के हालातों का अध्ययन करना होगा। पोखरण परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत को दबाने के लिए एक चाल चली, जिसमें इस परीक्षण का विरोध करते हुए अमेरिका ने भारत पर तमाम प्रतिबंध लगा दिये, इतना ही नहीं भारतीय मूल के छह वैज्ञानिकों को अमेरिका से देश निकाला दे दिया। इसके पश्चात उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने अमेरिका में रह रहे सारे भारतीयों का आव्हान करते हुए कहा कि भारतीय मूल के अमेरिका में जितने भी वैज्ञानिक हैं, वे सभी भारत आ जाएँ, हमारी सरकार उन सभी को काम देगी। केंद्र सरकार के इस कठोर निर्णय के चलते पूरे अमेरिका में खलबली मच गई और अमेरिकी सरकार ने अपने कदम वापस खींच लिए।

वर्तमान केंद्र सरकार के कार्य भी भारत को उत्थान की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करते हुए दिखाई दे रहे हैं। हमने पहले भी कहा है कि जब शासक की नीयत ठीक होती है तब सारे कार्य अच्छे ही होते हैं, नरेंद्र मोदी की सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह मानी जा सकती है कि मोदी सरकार ने पिछली सरकार की कार्यशैली को त्यागकर एक नई नीति के तहत कार्य किया है, हम यह भी जानते होंगे कि पिछली सरकार का हर व्यक्ति एक सरकार था, यहाँ तक कि उसके परिवार वाले भी शासक वाला ही रुतबा रखते हुए दिखाई देते थे, पूरा देश इससे परेशान था। मोदी सरकार की अच्छी बात में एक बात यह भी शामिल की जा सकती है कि इस सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण प्राप्त किया है, पिछली सरकार के समय जहां महंगाई हर वर्ष दस से पच्चीस प्रतिशत तक बढ़ रही थी, आज उस पर लगाम लगी है, पेट्रोल के दाम कम होने की किसी को भी उम्मीद नहीं थी, लेकिन मोदी सरकार ने यह करके दिखाया कि पेट्रोल के दाम भी कम किए जा सकते हैं। महंगाई को लेकर देश में लंबे समय बाद एक अच्छा वातावरण दिख रहा है। हम जानते हैं कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के समय महंगाई को लेकर जनता त्राहि त्राहि करने लगी थी, देश भर में आंदोलन होने लगे थे, लेकिन कांग्रेस के नेता हमेशा यही कहते दिखाई देते थे, कि हमारे पास महंगाई बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। लेकिन यह सुखद खबर है कि देश में पिछले एक वर्ष के दौरान महंगाई के खिलाफ आंदोलन करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। इस बात से यह तो साफ है कि नरेंद्र मोदी के शासन काल में महंगाई या तो कम हुई है या फिर नियंत्रण में रही है। मोदी सरकार आज भी इसी दिशा में अपने कदम बढ़ा रही है।

हमारे देश का यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यहाँ अच्छे काम की तारीफ करने की बजाय उसकी आलोचना करने की कवायद की जाती है। यह बात सही है कि हमारे देश में बोलने की आजादी है लेकिन जो वाक्य देश में असामंजस्य के भाव का निर्माण करते हैं, वे देश के लिए अत्यंत ही घातक हैं। ऐसी शब्दावली से हम सबको बचना चाहिए। हम जानते हैं कि कोई भी देश दूसरों के बनाए हुए मार्ग पर चलकर अपना सुखद भविष्य नहीं बना सकता, लेकिन हमारे देश की सरकारों ने हमेशा ही दूसरे देशों को अच्छा लगने वाला कार्य ही किया था। विश्व के कई देश भारत को जो निर्देश देते थे, भारत उसी का अनुशरण करने लगता था, लेकिन जबसे नरेंद्र मोदी ने देश की सत्ता संभाली है, तब से देश के अंदर स्वत्व का पैदा हुआ है। राष्ट्रीय स्वाभिमान का जागरण हुआ है, ऐसी स्थिति में भारत के नागरिक ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों में बसे भारतीय मूल के लोगों का सीना चौड़ा हो गया है। भारत के प्रति अच्छे भाव रखने वाले हर व्यक्ति के मन में एक आशा का संचार हुआ है कि अब भारत की प्रगति को कोई रोक नहीं सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अभियान के तहत विदेश यात्राएं करके वहाँ बसे भारतीय मूल के लोगों के मन में विकास का एक सकारात्मक माहौल बनाया है, मोदी की अमेरिका यात्रा कई मायनों में लंबे समय तक याद की जाएगी। कहा जाता है कि अमेरिका के कई समाचार पत्रों में नरेंद्र मोदी को रॉक स्टार बता दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश और देश के बाहर जिस वातावरण का निर्माण किया है, वह पूर्व नियोजित कार्यक्रम की तरह ही लगता है, नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके से राष्ट्र की आराधना का पाठ देश को पढ़ाया है, वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पाठशाला की देन है,। वास्तव में संघ राष्ट्र निर्माण की एक ऐसी पाठशाला है जहां से कोई भी व्यक्ति पढ़कर बाहर निकला तो उसने केवल और केवल मेरा अपना देश के भाव को अंगीकार करते हुए ही अपने कार्यों को संपादित किया।

आज से एक वर्ष पूर्व दुनिया के राजनैतिक पंडितों को अचम्भे में डालते हुए भारत की सवा सौ करोड़ जनता ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और भाजपा को स्पष्ट बहुमत देकर शासन संचालन का अवसर दिया। भारत के संसदीय इतिहास में यह पहला अवसर था जब जनता ने न केवल परिवार की राजनैतिक गुलामी से मुक्त कर नये नेतृत्व को अवसर दिया, बल्कि राष्ट्रवादी विकल्प को भी पसंद किया। सिद्धांत, नेतृत्व और पार्टी का विकल्प प्रस्तुत किया। यह स्थिति इस बात की परिचायक है कि भारत की जनता जिसे गरीब, अनपढ़ और राजनैतिक समझ के लिए अपरिपक्व माना जाता रहा है, उसमें क्रांतिकारी बदलाव करने की क्षमता है।

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