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आज मेरा मन डोले ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
आकुल-व्याकुल आज मेरा मन , ना जाने क्यों डोले…..विघटित भारत की वैभव को ले लेभाषा इंकलाब की बोलेआज मेरा मन डोले !कष्टों का चित्रण कर रहा व्यथित ह्रदय मेरासुदृढ दासता और बंधन की फेरा…..उजड रही जीवों की बसेरा,सुखद शांति की कब होगी सबेरा…..!न्यायप्रिय शांति के रक्षक, त्वरित क्रांति को…