आलेख रूपी मोतियों से सजी पुस्तक ‘दो टूक’

पुस्तक: दो टूक

लेखक: योगेश कुमार गोयल

पृष्ठ संख्या: 112

प्रकाशक: मीडिया केयर नेटवर्क, 114, गली नं. 6, वेस्ट गोपाल नगर, नजफगढ़, नई दिल्ली-43.

कीमत: 150/- रु. मात्र

       पिछले तीन दशकों से पत्रकारिता और साहित्य जगत में निरन्तर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक योगेश कुमार गोयल की चौथी पुस्तक है ‘दो टूक’, जिसमें उन्होंने कुछ सामयिक और सामाजिक मुद्दों की गहन पड़ताल की है तथा आम जनजीवन से जुड़े कुछ विषयों पर प्रकाश डाला है। हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से प्रकाशित इस पुस्तक में लेखक ने पर्यावरण, धूम्रपान, प्रदूषण, बाल मजदूरी, श्रमिक समस्याओं तथा कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को चित्रित किया है, वो भी चित्रों के साथ। निसंदेह पुस्तक के सभी लेख उपयोगी बन पड़े हैं, कहीं समाजोपयोगी, कहीं बाल-उपयोगी और कहीं साहित्य धरातल के करीब। लेखक को अपने विषय का गहन ज्ञान है और उन्होंने इस पुस्तक में इतनी सरल व सहज भाषा का उपयोग किया है ताकि आम पाठक भी आसानी से समझ सकें। तीन दशकों में योगेश गोयल ने ज्वलंत, ताजा मुद्दों तथा सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषयों पर देशभर के विभिन्न समाचारपत्रों व पत्रिकाओं के लिए कई हजार लेख लिखे हैं और उनकी नशे के दुष्प्रभावों पर पहली पुस्तक वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी, जो उन्होंने मात्र 19 वर्ष की आयु में लिखी थी, जिसके लिए उन्हें कई सम्मान भी प्राप्त हुए थे। उनकी समसामयिक मुद्दों पर बहुत अच्छी पकड़ हैं, यह बात उनके समीक्ष्य निबंध संग्रह में स्पष्ट परिलक्षित भी है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी योगेश गोयल का यह निबंध संग्रह उनकी कड़ी तपस्या का फल है, जिसमें उन्होंने राजनीति, समाज और अन्य उपयोगी विषयों को लेकर इन रचनाओं की रचना की है।

       इन दिनों पर्यावरणीय खतरों को लेकर हर कोई चिंतित है और पर्यावरणीय समस्या को लेकर इस पुस्तक के पहले ही निबंध ‘विकराल होती ग्लोबल वार्मिंग की समस्या’ में न केवल इस गंभीर समस्या पर प्रकाश डाला गया है बल्कि इसके कारण बताते हुए इस पर लगाम लगाने के उपाय भी बताए गए हैं। समाज की विभिन्न समस्याओं के साथ-साथ बच्चों की समस्याओं को लेकर भी लेखक जागरूक है, जो उनके इस निबंध संग्रह में सम्मिलित लेखों से स्पष्ट परिलक्षित है। धूम्रपान की भयावहता का उल्लेख करता निबंध ‘धुआं-धुआं होती जिंदगी’, बच्चों के लिए उपयोगी निबंध ‘बच्चे और बाल साहित्य’, ‘परीक्षा को न बनाएं हौव्वा’, आधुनिक जीवनशैली के कारण बच्चों में बढ़ते मोटापे पर ‘खतरे का सायरन बजाता आया मोटापा’, श्रमिकों तथा बाल मजदूरी की समस्या को उजागर करते लेख ‘कैसा मजदूर, कैसा दिवस’ और ‘श्रम की भट्टी में झुलसता बचपन’ के अलावा ‘वाहनों के ईंधन के उभरते सस्ते विकल्प’, ‘भूकम्प व विस्फोटों से नहीं ढ़हेंगी गगनचुंबी इमारतें’ इत्यादि। ‘ऐसे कैसे रुकेंगी रेल दुर्घटनाएं’ में लेखक ने रेलवे की त्रुटियों को उजागर करते हुए ऐसी दुर्घटनाओं से होने वाली जान-माल की हानि की ओर समाज का ध्यान आकृष्ट किया है और रेल दुर्घटनाएं रोकने के उपाय भी सुझाए हैं। ‘गौण होता रामलीलाओं का उद्देश्य’ में रामलीला के घटते आकर्षण व उसके कारणों की चर्चा की गई है। उपभोक्ता जागरूकता, मानवाधिकार संगठनों की संदिग्ध भूमिका, दीवाली पर बढ़ते प्रदूषण, एड्स की बीमारी जैसे विषयों पर भी विस्तृत लेख हैं। ‘आज के दमघौंटू माहौल में मूर्ख दिवस की प्रासंगिकता’, ‘कैसे हुई आधुनिक ओलम्पिक खेलों की शुरूआत?’, ‘दुनिया की नजरों में महान बना देता है नोबेल पुरस्कार’, ‘विश्व प्रसिद्ध हैं झज्जर की सुराहियां’ बारे दर्ज किए गए आलेख पाठकों की जानकारी बढ़ाते हैं। धरती के अलावा दूसरे ग्रहों पर भी जीवन की संभावनाओं को लेकर लोगों के मन में हमेशा ही जिज्ञासा बरकरार रही है और इसी जिज्ञासा को शांत करने के लिए इस विषय पर कुछ फिल्में भी बन चुकी हैं तथा कहानियां भी खूब लिखी गई हैं। ‘धरती से दूर जीवन की संभावना’ लेख पाठकों की इसी जिज्ञासा को शांत करने में काफी उपयोगी है।

       कुल मिलाकर 20 भिन्न-भिन्न उपयोगी आलेख रूपी मोतियों से सजी यह पुस्तक बेहद उपयोगी व पठनीय है, जो अपने पाठकों के ज्ञान में उल्लेखनीय वृद्धि करती है। पुस्तक में लेखक ने न सिर्फ अपने विचार बल्कि तथ्य और आंकड़े भी शामिल किए हैं, जिससे पुस्तक की उपयोगिता काफी बढ़ गई है। ‘दो टूक’ पुस्तक में लेखक ने अपने विचारों को सही मायने में दो टूक रूप में ही प्रस्तुत किया है। आजकल सामयिक विषयों पर निबंध की पुस्तकें बहुत ही कम प्रकाशित हो रही हैं, ऐसे में मीडिया केयर नेटवर्क द्वारा प्रकाशित योगेश कुमार गोयल की यह पुस्तक एक सुखद प्रयास है, जो हर किसी के लिए बेहद उपयोगी व संग्रहणीय बन पड़ी है तथा किशोरों, युवाओं व अपना कैरियर संवारने में सचेष्ट छात्रों के लिए तो यह पुस्तक बहुत उपयोगी साबित हो सकती है। पेपरबैक संस्करण में प्रकाशित 112 पृष्ठों की इस पुस्तक का आवरण तथा मुद्रण बेहद आकर्षक हैं।

  • श्वेता अग्रवाल
  • 2/69, लोहाई रोड़, फर्रूखाबाद (उ. प्र.)-209601.

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