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आलिंगन - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
पृथक् थी प्रकृति हमारीभिन्न था एक-दूसरे से श्रमईंट के जैसी सख़्त थी वोऔर मैं था सीमेंट-सा नरम भूख थी उसको केवल भावों कीमैं था जन्मों-से प्रेम का प्यासाजगत् बोले जाति-धर्म की बोलीहम समझते थे प्यार की भाषा प्रेम अपार था हम दोनों में मगरना जाने क्यों नहीं होता था हमारा…