‘आमची मुम्बई, आमची नाइट लाइफ’

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                      प्रभुनाथ शुक्ल
महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने मुम्बई को और जिंदादिल बनाने के लिए ‘नाइट लाइफ’ की शुरुवात की है यानी ‘आमची मुम्बई , आमची नाइट लाइफ’। मुम्बई वैसे भी दिन- रात चलती है सरकार के इस फैसले के बाद और गति आएगी। लेकिन चुनौतियां भी बहुत होंगी। सरकार को बेहद सतर्क रहना होगा। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर खास निगरानी सुरक्षा तंत्र विकसित करना होगा। मुम्बई के कुछ खास इलाकों मे 26 जनवरी की आधी रात से इसका प्रयोग शुरु हुआ। लेकिन मीडिया में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र और राज्य के पर्यावरण और पर्यटन विभाग के कैबिनमंत्री आदित्य ठाकरे के इस फैसले पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। भीड़ न जमा होने पर इसे फ्लाप शो करार दिया जाने लगा है। यह सरासर गलत है। किसी फैसले का परिणाम इतने जल्द नहीं आता है। अभी लोग इस पर गहराई से विचार करेंगे। सुरक्षा को लेकर लोगों के मन में जो शंकाएं उभर रहीं होंगी उस फैसला लेंगे। अभी लोगों के मन एक डर बसा होगा जिसे साफ़ करना होगा। जब ‘नाइट लाइफ’ मुम्बईकरों की जिंदगी का हिस्सा हो जाएगी तो सब कुछ समान्य हो जाएगा।आदित्य ठाकरे का यह फ़ैसला बेहद अहम है। इससे जहाँ आम आदमी को सुकून मिलेगा वहीं सरकार के राजस्व में इजाफा होगा। होटल, बीच, रेस्तरां और माल पूरी रात गुलज़ार होंगे। इसका आम मुम्बईकरों को बेहतर लाभ मिलेगा , लेकिन वक्त का इंतजार करना होगा। फैसले पर इतनी जल्द सवाल उठाना उचित नहीं है।

मुम्बई बोले तो बिंदास। सागर की लहरों पर जिंदगी यहाँ अठखेलियां खेलती है। दिन – रात सरपट पर दौड़ती, भागती और हांफती है जिंदगी। सबकी अपनी- अपनी उम्मीदें हैं और मंजिलें। मुम्बई ऐसी जगह है जहाँ कोई आकर खो गया, तो कोई सब कुछ पा कर फ़िर भी सब कुछ खो गया। जो इसे चाहा वह यहीं का होकर रह गया। समुन्दर की लहरों पर यहां संभावनाएं और सपने तैरते हैं। जिसने सिद्दत से चाहा उसे सब कुछ मिल गया। मुम्बई कभी ठहरती नहीं है। दूसरे शब्दों में कहें तो चलती का नाम है मुम्बई। यहां झोली भर कर देती है और सम्भले नहीं तो अपने लहरों में लपेट लेती है। यहां की लाइफ ज्वार- भाटें जैसी है। फिसले तो गए जिंदगी, जिंदादिली दिललगी, जाम और काम से। इसलिए किनारों को गहराई और मज़बूती से पकड़ रखो वरना लहरों का आगोश आपको निगल जाएगा।

महाराष्ट्र में पर्यटन और सांस्कृतिक विकास की असीम सम्भावनाएं। मुम्बई में अगर समुन्दर के बीच का अच्छा- खासा विकास कर दिया जाय तो सरकार के राजस्व में बड़ा इजाफा होगा। ‘नाइट लाइफ’ की शुरुवात सरकार ने इसी तर्ज पर किया है। वह मुम्बईकर की जिंदगी को और खुलापन और बिंदास स्वरूप देना चाहती है। आम तौर पर यह शिकायत रहती थी कि रात में मुम्बई के माल, रेस्तरां और होटल बंद होने से विदेशी मेहमानों के साथ मुम्बई के लोगों को काफी दिक्कत होती थी। उनके पास वक्त कम होता था। रात में सब कुछ बंद होने से वह खरीददारी नहीं कर पाते थे। मुम्बई की लाइफ का वह लुत्फ नहीं उठा पाते थे। इसके अलावा कामकाजी लोगों को भी दिक्कत होती थी। वीकेंड पर ही मुम्बई घूमने का उनके पास वक्त होता था, उसमें भी जिंदगी की कई उलझने होती थी। जिसकी वजह से अपनी कार्य और ऑफिसियल व्यस्तता की वजह से परिवार को वक्त नहीं दे पाते हैं। परिवार में तनाव की वजह का एक कारण महानगरीय जीवन में यह भी होता है। कामकाजी जीवन की व्यस्तता की वजह से जिंदगी रीयल लाइफ से रील लाइफ बन जाती है। लेकिन अब ‘नाइट लाइफ’ की शुरुवात होने से वह रात में कभी भी आप मुम्बई और जिंदगी का आनंद उठा सकते हैं। हालांकि इसे लेकर महिलाओं और दूसरे लोगों में अभी डर भी बना है। जिसे लेकर अभी लोग कम निकल रहे हैं। होटल और माल खाली हैं , लेकिन यह बहुत वक्त तक नहीं रहेगा।

उद्धव सरकार के इस फैसले से कुछ मुश्किलें भी हैं लेकिन फायदों से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। पश्चिमी संस्कृति के अधिक विस्तार की सम्भावनाएं बढ़ेगी। ‘नाइट लाइफ’ एक खुली जीवन संस्कृति को आकार देगा। हुल्लड़ मचाने वाला गैंग की सक्रिय होगा। सिगरेट से धुएँ उड़ा कर छल्ला बनाने वाले रिवाज़ अधिक तेजी से बढ़ेगा। युवाओं की सेक्स लाइफ अधिक बिंदास होंगी जिसका असर हमारी मध्यमवर्गीय पारिवार और दूसरे लोगों पर पड़ेगा। रेप की घटनाओं के बढ़ने का भी खतरा है। इसके अलावा नशे की लत की सबसे अधिक युवापीढ़ी शिकार होंगी। हांलाकि सरकार ने साफ़ किया है कि रात एक बजे के बाद शराब परोसना दण्डनीय अपराध होगा। ऐसा करते हुए कोई मिला तो लाइसेंस निरस्त करने का भी आदेश जारी हुआ है। लेकिन देश में कानून हाथी के दांत सरीखे हैं। पुलिस यानी जिसके ऊपर ऐसे कानूनों के अनुपालन की जिम्मेदारी और जवाबदेही होती है, वह जेबें भर कैसे कानून की हवा निकालती है यह किसी से छुपा नहीं है।  ‘नाइट लाइफ’ के आने के बाद जिंदगी को एक बिंदासपन मिलेगा। जिसकी वजह से महिलाओं की सुरक्षा की चिंता अधिक लाज़मी होगी। जहां तक कामकाजी या आम महिलाओं की सुरक्षा का सवाल है उस रैंकिंग में दिल्ली से कहीं अधिक सुरक्षित मुम्बई है। बेंगलूर के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर मुम्बई सबसे सुरक्षित जगह है। कुछ घटानाओं को अपवाद छोड़ दें तो यहाँ महिला सुरक्षा की चुनौती देश के दूसरे हिस्सों की बनिस्बत कम है। लेकिन ‘नाइट लाइफ’ के यह चुनौती बढ़ जाएगी। यह ठाकरे सरकार और मुम्बई पुलिस के लिए बड़ी समस्या होगी। प्रतिपक्ष किसी घटना के बाद तीखा होगा। महा अघाडी की उलझन बढ़ेगी। वैसे सरकार की मंशा को धरातलीय स्वरूप देने के लिए मुम्बई महानगर पालिका सरकार के साथ है। बीएमसी ने पुलिस , आयकर विभाग, कामगार और आबकारी औैर पर्यटन विभाग के साथ मिल कर अच्छी और कठोर नीति भी बानाई है। सख्ती बेहद जरूरी है। अब आने वाले दिनों में बीएमसी और सरकार का प्रयास कितना कारगर होगा यह देखना होगा।

फिलहाल ‘नाइट लाइफ’ की शुरुवात अख्खा मुम्बई में नहीं होगी। उपनगर के जुहू और गिरगांव चौपटी, बीकेसी, नरीमन पॉइंट , बांद्रा के बैंड स्टैंड, वरली के सीफेज़ और एनसीपीए कार्नर पर यह प्रयोग लागू होगा। रात 10 बजे से सुबह छह तक फूड वाहन लगाने की अनुमति होगी। शिवसेना के युवामंत्री आदित्य ठाकरे की यह संकल्पना जमीनी स्तर पर कितना कामयाब होंगी यह तो वक्त बताएगा। लेकिन युवा सोच और उमीद के चेहरे आदित्य ने मुम्बईकर को एक नया नज़रिया दिया है । उन्होंने एक प्रयोग को दोबारा अमल में लाया है। सरकार के इस फैसले से मुम्बई को कई लाभ होंगे, लेकिन चुनौतियां भी बेशुमार होंगी। फैसले से मुम्बईकर की लाइफ जहां थोड़ी फ्री होंगी। उन्हें और विकल्प मिलेगा। बजार में छायी एक मंदी का दौर ख़त्म होगा। शिफ्ट में युवाओं को अधिक रोजगार की ज़मीन मिलेगी। होटल, रेस्तरां, फूड, रिज़ॉर्ट के साथ बीच पर धंधे करने वाली आमद बढ़ेगी। लोगों में जिंदगी प्रति नज़रिया बदलेगा। एक नई उम्मीद और सोच आएगी। सरकार को अधिक राजस्व मिलेगा। यह एक अच्छी पहल होंगी। आदित्य की ‘आमची मुम्बई , ‘आमची नाइट लाइफ’ की सोच अच्छी और सकारात्मक है, लेकिन हम बार- बार कह रहे हैं चुनौतियां भी बहुत हैं। अपसंस्कृति के फैलने का खतरा भी हैं । क्योंकि कोई चीज जब बहाव का स्वरूप लेती है तो उसे रोकना बेहद कठिन होता है। बस इंतजार कीजिए। फैसला अच्छा है तो परिणाम भी सकारात्मक होना

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