आमिर खान : शत्रु देश में शूटिंग से विवाद

आमिर खान तुर्की में गये तो फ़िल्म की शूटिंग के लिए हैं किन्तु वे वहाँ राजनीतिक व्यक्तियों से मेल जोल बढ़ाते हुए दीख रहे हैं | इन भेंट-वार्ताओं ने उनकी यात्रा को विवादों में ला दिया है | इस समय चीन और पाकिस्तान दोनों भारत के शत्रु देश हैं | इन देशों के प्रति सहानुभूति रखने वाले अथवा सहायता करने वाले व्यक्ति, संस्था एवं राष्ट्र को भारत का शत्रु ही माना जाएगा | भारतीय जनमानस की भावनाएँ इस बात से आहत हैं कि हमारे देश का अभिनेता शत्रु समर्थक, भारत विरोधी  देश में फ़िल्म की शूटिंग के बहाने वहाँ के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोआन  की पत्नी  एमिन एरदुगान के घर अतिथि बन कर आहार-विहार एवं मंत्रणा करता हुआ दीख रहा है  | इस मंत्रणा पर संदेह होना इसीलिये स्वाभाविक है क्योंकि आमिर खान देश विरोधी वयानों के लिए पहले भी विवादित हो चुके हैं | जब तथाकथित बुद्धिजीवियों एवं कट्टर पंथियों ने भारत की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से असहिष्णुता कार्ड खेलकर आवार्ड वापिसी का प्रहसन किया था, तब उस अभियान का समर्थन करते हुए आमिर खान ने एक समारोह में विवादित साक्षात्कार दिया | इसमें उन्होंने भारत को न रहने लायक देश सिद्ध करते हुए यहाँ तक कह दिया, कि उनकी पत्नी अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर इतना डरी हुई है कि देश छोड़ने की कह रही है | देश की छवि बिगाड़ने  के लिए उन्होंने जो शब्द चयन किया था वह भी आपत्ति जनक था उन्होंने ने कहा था यहाँ “भारत में असहनशीलता,असुरक्षा और निराशा का वातावरण है |”

फिल्म की शूटिंग के लिए तुर्की की जगह संसार के किसी भी अन्य देश का चयन किया जा सकता था | क्योंकि इस समय  तुर्की एक मात्र ऐसा मुस्लिम देश है जो खुलकर पाकिस्तान के साथ खड़ा है | भारत ने जब पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद को बंद कराने के लिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) से पाकिस्तान को ब्लैक लिस्टेड करने का दबाव बनाया तो तुर्की ने अपनी पहुँच का प्रयोग कर उसे बचा लिया | पिछले कुछ वर्षों से तुर्की भारत के विरुद्ध विष-वमन करते हुए उसके आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयत्न कर रहा है ? कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद पाकिस्तान, इस्लामिक देशों से बार-बार यह विनती करता रहा कि कश्मीर विषय पर वह उसका समर्थन करें, किंतु मलेशिया एवं तुर्की के अतिरिक्त किसी भी अन्य इस्लामिक देश ने पाकिस्तान का समर्थन नहीं किया । आश्चर्य की बात तो यह भी  है जहाँ  दुनिया के सभी देश ( इस्लामिक देश भी ) पाकिस्तानी नागरिकों को अपने यहाँ से भगा रहे हैं (पाकिस्तान गृहमंत्रालय के अनुसार 2014 के बाद 5 लाख 19 हजार नागरिक निर्वासित किये गए) तब तुर्की पाकिस्तानी नागरिकों को दोहरी नागरिकता देने पर विचार कर रहा है | इससे यह संदेह भी जताया जा रहा है कि क्या आमिर खान भी दोहरी नागरिकता लेने की सोच रहे हैं ? क्योंकि उनकी पत्नी पहले भी देश छोड़ने की इच्छा व्यक्त कर चुकी हैं |

 पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के पोषण एवं निर्यात की नीति का पूरी दुनिया विरोध कर रही है किन्तु तुर्की एकमेव देश है जो पाकिस्तान का साथ दे रहा है | तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोआन ने पाकिस्तान की संसद में कश्मीरी जनता से पाकिस्तान और अपना रिश्ता होने की बात कह कर स्वयं को पाकिस्तान के भारत विरोधी अभियान में शामिल कर चुके हैं | 24 सितंबर 2019 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में  तुर्की कश्मीर राग अलाप कर भारत का अपमान कर चुका है | यही नहीं तुर्की विदेश मंत्रालय द्वारा कश्मीर से 370 हटाने  की आलोचना करना भी भारत के प्रति उसके बैर-भाव को स्पष्ट रूप से इंगित करता है | अब इन्हीं राष्ट्रपति महोदय के घर आमिर खान को देख कर आमजन का आहत होना स्वाभाविक ही है |

इस समय पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में है | व्यापार धंधे चौपट हो रहे हैं इस स्थिति में यदि भारत के अभिनेता भारत में हीं फिल्मों की शूटिंग करें तो इसका लाभ देश के लोगों को ही मिलेगा | उचित होता यदि आमिर अपनी फिल्म की शूटिंग कश्मीर और लद्दाक में करते | इस से वहाँ के लोगों को आर्थिक लाभ के साथ साथ मानसिक सुख भी मिलता और भारत के शत्रु देश चीन पाकिस्तान दोनों को ही कड़ा सन्देश जाता | किन्तु इसके उलट आमिर खान तो अभी भी चीनी सोशल साईट सिना वीबो पर अपने चीनी दोस्तों का मन बहला रहे हैं | भारत के प्रधान मंत्री तक ने  सिना वीबो से अपना अकाउंट बंद कर दिया किन्तु आमिर ने ऐसा नहीं किया | ये सही है कि आमिर खान की कुछ फिल्में चीन में बहुत लोकप्रिय रही हैं किन्तु उन्हें इस ऊँचाई पर चीन ने नहीं भारतीय दर्शकों ने पहुँचाया है | क्या अपनी फ़िल्म को चीन में चलाने के लिए देश के करोड़ों चाहने वालों की भावनाओं से खिलवाड़ करना उचित है | आमिर अभिनेता होने से पहले इस देश के नागरिक हैं और एक नागरिक के रूप में उनका कर्तव्य है कि वे  मित्रदेश और शत्रुदेश का भेद समझें और ऐसा कोई कार्य न करें जिस से देश की छवि धूमिल हो | अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ शत्रु देशों को लाभ पहुँचाना नहीं है | हो सकता है तुर्की उनके एन्जियो को कुछ धन दे दे या वहाँ उनकी फ़िल्म थोड़ा अधिक लाभ कमा ले अथवा उन्हें कोई सम्मान या दोहरी नागरिकता मिल जाए किन्तु उनकी इस यात्रा से देश को जो क्षति होने वाली है उसकी कल्पना अभी उन्होंने ने नहीं की होगी | आज का तुर्की कट्टर इस्लामिक देश बनने की राह पर है इसीलिये उसे भारत में भी अपने लोग तैयार करने हैं | वह भारत के मुसलमानों को कश्मीर के मुद्दे पर (धारा 370 हटने पर)  भड़काना चाहता है | उसे भारत में ऐसे मुस्लिम सेलिब्रिटी की आवश्यकता है जो यहाँ  तुर्की समर्थकों की संख्या बढ़ा कर उसके मंतव्य को फलीभूत कर सके | भारतीय मुसलमानों को यह भी स्मरण रखना होगा कि जिन लोगों ने खिलाफ़त आन्दोलन के पक्ष में  भारत में अभियान चलाया था तुर्की के कमाल पाशा ने उसी  खिलाफ़त का अंत कर भारत एक मुसलामानों को अपमानित किया था | तुर्की अपने हितों के लिए भारतीय मुसलमानों का उपयोग (यूज) करना चाहता है | अपना काम निकल जाने पर वह पुनः मुँह मोड़ लेगा |

डॉ.रामकिशोर उपाध्याय

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