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अबूझ है संवेदना का समाजशास्त्र....!! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
रकेश कुमार ओझा कुछ साल पहले मेरी नजर में एक एेसे गरीब युवा का मामला आया, जो आइआइटी में दाखिला लेने जा रहाथा और उसे मदद की आवश्यकता थी। मेने अपना कर्तव्य समझ कर उसकी समस्या को प्रचार की रोशनी में लाने की सामर्थ्य भर कोशिश कर दी। क्या आश्चर्य…