वेब मीडिया की स्वीकार्यता – रवि श्रीवास्तव

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अख़बार, रेडियो, खबरिया चैनल के बाद सबसे तेज अपने अस्तित्व को लगातार वेब मीडिया आगे ले जा रहा है। बढ़ती सुविधाओं के साथ लोगों द्वारा आसानी से किसी वेबसाइट का प्रयोग जानकारी के लिए किया जा सकता है। बदलते जमाने के साथ अब समय की महत्वता भी महत्वपूर्ण होने लगी। लगभग वर्ष 1995 में देश में वेब मीडिया का उदय हुआ था। अगर हम बात करे कि देश में इंटरनेट की सुविधा 1990 के मध्य में मिलने लगी थी तब वेब-पत्रकारिता के चेन्नई का द हिन्दू पहला भारतीय अख़बार है जिसने अपना इंटरनेट संस्करण 1995 को जारी किया था। इसके तीन साल के भीतर 1998 तक लगभग 48 समाचार पत्र ऑनलाइन हो चुके थे। उस समय खबरों का अम्बार इंटरनेट के माध्यम से जनता तक पहुंचाया जाना शुरू हो गया था। उस समय देश में इंटरनेट का मायाजाल ठीक तरीके से फैला नही था। इंटरनेट के कनेक्शन गिने चुने थे। साथ ही बहुत कम लोगों के पास ही कंप्यूटर था। जिस वजह से वेब मीडिया को अपने पैर पसारने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। गावों में कम्प्यूटर जैसी कोई चीज है बहुत कम लोग जानते थे। टेलिविजन का भी अस्तित्व गावों में ठीक तरीके से नही था। रेडियो का मायाजाल हर तरफ फैला हुआ था। वेब मीडिया का माध्यम बिल्कुल नया था। पूर्णत: सुविधाएं न होने की वजह से ऐसा लग रहा था कि अखबार, रेडियों और टीवी चैनलों के रहते इसकी सफलता के गुणगान नही किये जा सकते थे। उस समय वेब मीडिया अपने पैरों पर बेहद मुश्किल से खड़ा हो रहा था। इंटरनेट के आधुनिक युग में समाचारों और विचारों को आसानी से पूरे विश्व तक पहुंचा सकता था। धीरे –धीरे वेब मीडिया के बारे में सोच बदलती गई और इसका विस्तार होता गया। आज के इस समय में हम इस मीडिया के बढ़े महत्व को नजरअंदाज नहीं कर सकते है। वेब मीडिया की अगर हम बात करे तो प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सबसे आसान और अच्छे विकल्प के रूप में उभर कर सामने आया है। वेब मीडिया को हम इंटरनेट मीडिया, ऑनलाइन मीडिया, सायबर मीडिया के नाम से भी जानते हैं । प्रिंट मीडिया से वेब मीडिया कुछ अलग रुप में है ,क्योंकि इसके पाठकों की संख्या को असीमित होती है। इसके लिए मात्र इंटरनेट और कंप्यूटर, लैपटॉप, या अब मोबाईल की ही जरूरत होती है अगर ये सुविधा आप के पास है तो आप आसानी से किसी भी जानकारी को वेब मीडिया से बिना समय गवांए ले सकते हैं। वेब-मीडिया सर्वव्यापकता को भी चरितार्थ करती है जिसमें ख़बरें दिन के चौबीसों घंटे और हफ़्ते के सातों दिन उपलब्ध रहती हैं । अगर बात करें हम वेब मीडिया की खासियत की तो ये रेडियो, अख़बार, और खबरिया चैनलों से बिलकुल अलग है। वेब मीडिया में किसी भी प्रकार का समाचार सुरक्षित रखने के लिए अख़बार और पत्रिका की तरह किसी आलमीरा लायब्रेरी की कोई जरूरत नहीं होती है। बस वेब के लिंक पर एक क्लिक करे और अपना उपयोगी कंटेंट प्राप्त करें। बात करे हम एक वेब मीडिया की शुरूआत की तो आमतौर पर ये टीवी चैनल, रेडियो, और दैनिक अख़बार की तुलना में काफी कम लागत से हम शुरू कर सकते हैं। वेब मीडिया को एक साथ कई भाषाओं में चलाया जा सकता है । इंटरनेट पत्रकारिता की में लागत कुछ हजार ही रहती है। न ज्यादा बड़े आफिस की जरूरत है न ही अधिक कर्मचारियों की । अपनी स्वेच्छा से एक नाम के साथ मामूली फीस अदाकर सिर्फ एक कंप्यूटर, कैमरा, स्कैनर, इंटरनेट कनेक्शन और सर्वर स्पेस के साथ इसकी शुरुआत हम आसानी से कर सकते हैं। एक बार बस आप ने इसकी शुरूआत कर दी तो आप की इन खबरों को दुनिया के किसी भी कोने में इंटरनेट और कम्प्यूटर के माध्यम से पढ़ा जा सकता है। पाठकों को घर, रास्ते में या आफिस में बिना समय गवांए उसके काम का लेख या ख़बर बस एक क्लिक पर मिल जाता है। लगातार अपने वर्चस्व को आगे ले जा रही वेब मीडिया को देख अब हर कोई इसकी तरफ झुकने लगा है। अब स्थिति यह है कि हर मीडिया हाउस ने ये स्वीकार कर लिया कि बिना वेब पेज के आगे नही बढ़ा जा सकता है। खबरों के साथ अब वेब पर वीडियो और आडियो की सुविधा इस बात को चीख-चीख के कह रहा है कि अब कुछ ही सालों में वेब मीडिया का ही परचम लहराएगा। बदलते जमाने के साथ वक्त भी बदला। अब वेब के लिए एक नई शुरूआत हो चुकी थी। एक दूसरे को आपस में जोडने वाले मोबाइल के इस युग में जैसे ही एंरॉइड और स्मार्ट फोन का जमाना आया सब कुछ बदल के रख दिया। अब हर वह व्यक्ति जिसके पास ऐसे फोन होते है उसमे वह इंटरनेट की सुविधा के साथ कभी भी किसी समय किसी वेब मीडिया के पेज को खोल कर खबरों का लगा अम्बार पढ़ सकता है। मोबाइल पर वीडियो भी देख सकता है। सस्ते स्मार्ट फोन की इस क्रांति ने अपनी शाख हर गांव और कस्बे तक फैला रखी है। आज कल हालात ये हो गए हैं कि किसी भी खबर को सुनते ही जिज्ञासा के अनुसार हम टीवी या अखबार का इंतजार नही करते है, जैसे ही हम किसी बड़ी खबर के बारे में सुनते हैं सबसे पहला काम उसे इंटरनेट के मायाजाल से बंधे वेब पेजों पर खोजने लगते हैं और आसानी से देख पढ़ भी सकते हैं। हर खबर की जल्द से जल्द अपडेट पाठकों का रूझान अपनी तरफ वेब मीडिया ही खीचती हैं। वेब मीडिया पाठकों के लिए समाचार प्राप्ति का सबसे खास माध्यम बन चुका है । देश विदेश के किसी भी कोने की मनचाही सूचनाओं को वेब मीडिया पर ही प्राप्त कर सकते हैं। मोबाइल की अगर बात करे तो फेसबुक, व्हाटसप, जैसी सुविधाओं नें वेब पत्रकारिता के लिए एक नई आस जगाकर रख दी है। फेसबुक पर सैकड़ों से हजारों लोगों के आपस में मित्र के रूप में जुड़े रहते हैं। कोई ऐसी बड़ी ख़बर के घटते ही फेसबुक, व्हाटसप, पर वह वाइरल की तरह फैल जाती है। उससे जुड़े लोगों कों घटना की सारी जानकारी तुंरत मिल जाती है। इसके लिए टीवी देखने और अख़बार छपने का इंतजार नही करना पड़ता है। आज का युवा इन स्मार्ट फोन को लेकर इंटरनेट के सहारे आपस में जुडे रहते है। फेसबुक की छाप ने लोगों को अपने आप में कैद कर रखा है। लोग इसका प्रयोग किए बिना रह नही सकते है। सफर में हो या आफिस में सोशल मीडिया के सहारे अपने आप को व्यस्त रखते है। न्यूज से लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं भी देते हैं। इस उन्नति को देखते हुए हर मीडिया हाऊस ने अपना एक फेसबुक पर भी पेज बनाना शुरू कर दिया है। जिससे कि लोग उस पेज से जुड़े और अपनी ख़बर और बात को जल्दी से जल्दी जनता तक पहुंचा सके। इसके लिए बस उस न्यूज पेपर या टीवी चैनल के पेज को लाइक करना होता है। इस कामयाबी को देखते हुए प्रिंट मीडिया हो या ख़बरिया चैनल के समझ में ये तो या गया था कि अपने वर्चस्व को बचाने के लिए अब बेब मीडिया का प्रयोग करना ज़रूरी है वरना अस्तित्व को ख़तरा हो सकता है। इस तरह से वेब मीडिया प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक पर भारी पड़ता जा रहा है। बात करे अगर हम किसी ख़बर की लोगों की प्रतिक्रियाएं की तो अख़बार में जनता अपनी प्रतिक्रिया देती है पर स्पेस कम होने की वजह से हर किसी की प्रतिक्रिया को नही छापा जाता है। टीवी चैनलों में इसकी सुविधा नही है। जनता को अपनी बात पूरी रखने का पूरा हक इस जमाने की वेब मीडिया ने दिया है।वह किसी भी सूचना के नीचे जाकर अपनी प्रतिक्रिया के स्पष्ट तौर पर रख सकता है। क्योंकि वेब मीडिया में स्पेस की कोई सम्स्या नही होती है। अख़बार की अगर हम बात करें तो आठ से तीस पेज तक का ही अख़बार निकलता है, जगह की कमी की वजह से बहुत सारी खबरें नही छप पाती है। खबरिया चैनल भी कुछ कमं नही है इस मामले में देश, विदेश में हुई हर घटनाओं को तो वो दिखा नही सकते है क्योंकि समय का आभास लगातार टीवी चैनल पर बना रहता है। खबर के साथ उन्हें अपने फायदे के लिए विज्ञापन भी दिखाना जरूरी होता है। विज्ञापन ही कमाई का एक जरिया होता है। खबरों के प्रकाशन के मामले में एक बार फिर वेब पत्रकारिता ने प्रिंट, इलेक्ट्रानिक मीडिया को अपने प में जकड़ रखा है। यहां भी इन दोनों मीडिया को वेब मीडिया ने मात दे दी है। किसी भी बड़ी घटनाओं की सूचना जितनी तेजी से इस माध्याम से दी जा सकती है, वह मीडिया के अन्य किसी रूप में संभव नहीं । खबरों से अलग हटकर बात की जाए तो जॉब, शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन सुविधाएं, पर्यटन, होटल बुकिंग, रेल-हवाई टिकट, बीमा, कर्ज, बैंकिंग सेवाएं, शॉपिंग, कारोबार, पाने में वेब मीडिया ने अहम भूमिका निभाई है। वेब मीडिया को लेकर अगर हम इनकम की बात करें तो हर दिन प्रतिदिन सुधर रही है। आज कल हर एक कम्पनी चाहे वह सरकरी हो या फिर निजी शहर से लेकर गांव गांव तक अपना साम्राज्य स्थापित करने के लिए बनाने के लिए वेब पर विज्ञापन का सहारा ले रही हैं। प्रिंट मीडिया और टीवी चैनल में विज्ञापन की ऊंची दरों और सीमित पहुंच को लेकर अब विज्ञापनदाताओं का भी नजरिया बदलना शुरू हो गया है। अधिक स्पेस की वजह से विज्ञापन को आसानी से जारी किया जा सकता है। बात करे अगर हम विज्ञापन पाने की तो गूगल, जेडो, सहित अनेक ऐसी एजेंसियां हैं जो वेबसाइटों के लिए विज्ञापन जारी करती हैं एवं उनके भुगतान सीधे बैंक खातों में करती हैं। केंद्र सरकार और अनेक राज्य सरकारें भी अब वेबसाइटों को विज्ञापन दे रही हैं, जिनसे इनके संचालकों को अच्छी खासी आय हो रही है। इसी तरह, यूट्‍यूब चैनल के माध्यम से आप अपने वीडियो पर रेवेन्यू पा सकते हैं। ऑनलाइन जर्नलिज्म परंपरागत पत्रकारिता से इन अर्थों में भिन्न है उसका सारा कारोबार ऑनलाइन होता है। इस पत्रकारिता में समय की भारी बचत होती है। ऑनलाइन पत्रकारिता में मल्टीमीडिया का प्रयोग होता है जिसमें, टैक्स्ट, ग्राफिक्स, ध्वनि, संगीत, गतिमान वीडियो, थ्री-डी एनीमेशन, रेडियो ब्रॉडकास्टिंग, टीव्ही टेलीकास्टिंग प्रमुख हैं यह सारा काम ऑनलाइन होता है। अब हर एक कम्पनी चाहे वह बड़ी हो या छोटी अपनीं एक वेबसाइट बनाती है ।कम्पनी के बारे में जानकारी लोगों को उस वेबसाइट से मिल जाती है। बात करे अगर हम सरकारी दफ्तरों की तो अब अधिकतर काम ज़नता की सुविधाओं को देखते हुए आनलाइन होता जा रहा है। किसी विभाग में अगर हम नौकरी की बात करे तो ये सारा काम अब समय की बचत और सुविधाओं को देखते हुए आनलाइन कर दिया गया है। अपनी ज़रूरत के अनुसार नेट के जरिए लोग जॉब का फार्म भर सकते हैं। और डाक से प्रवेश पत्र आने का इंतज़ार न कर नेट से अपना रजिस्ट्रेशन नम्बर की सहायता से निकाल सकते है। वेब मीडिया ने एक नया परिवर्तन किया इंटरव्यू हो विजनेस की बातचीत बस एक मेल से कर सकते हैं। यहां तक आप देश विदेश से वेब कैमरा के जरिए आप वीडियो कॉल भी करके बातचीत कर सकते हैं, बस कम्प्यूटर के साथ इंटरनेट और वेब कैमरा की जरूरत होती है। वेब पत्रकारिता को लेकर अब हर तरफ इंटरनेट पर आधारित दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक पत्र-पत्रिकाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऑनलाइन पत्रकारिता में हर सुविधाओं के कारण स्थानीयता का कोई मतलब नहीं है लेकिन समाचारों की महत्ता और प्रांसगिकता के आधार पर वर्गीकरण करें तो न्यू मीडिया की पत्रकारिता को भी हम स्थानीय, प्रादेशिक, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर देख सकते हैं। आज कल की पत्रकारिता की बात करें तो जानकारी के लिए वेब मीडिया पर निर्भर होता जा रहा है। किसी टीवी चैनल, या प्रिंट में काम कर रहा कोई पत्रकार हफ्ते, या महीने भर पहले घटी किसी घटना को खोजने के लिए न्यू मीडिया का ही सहारा लेता है। क्योंकि वेब मीडिया में हर उस कंटेंट को प्राप्त किया जा सकता है जब तक उसे इंटरनेट से हटाया न जाए। अख़बार में छपी उस ख़बर को लोग पढ़ तो सकते हैं पर अगर कही उस कंटेंट की जरूरत पड़ गई तो आप हर समय उस न्यूजपेपर को साथ तो रख नही सकते है। ऐसी स्थिति में वेब मीडिया एक विकल्प के साथ आप के सामने होता है।

यदि हम हिंदी भाषा पर केंद्रित हो कर सोचें तो ऑनलाइन पत्र और पत्रकारिता की स्थिति दयनीय दिख सकती है।लेकिन वेब तकनीक को देश के बड़े अखबार वालों ने जल्दी अपनाया. आज हम देश-विदेश की कई हिंदी दैनिकों को घर बैठे पढ़ सकते हैं। अमर उजाला,आज तक, दैनिक जागरण , दैनिक जागरण ई-पेपर , दैनिक भास्कर , नई दुनिया – नव भारत अखबार, नवभारत टाइम्स, पंजाब केसरी, प्रभा साक्षी, प्रभात खबर, राजस्थान पत्रिका, राष्ट्रीय सहारा, यूनीवार्ता, पीटीआई भाषा आदि को हम वेब पर असानी से पढ़ सकते है। विश्व की प्रमुखतम आईटी कंपनियाँ भी भाषाओ की महत्वता को भाँपते हुए अब लगातार हिंदी में समाचार पोर्टल का संचालन करने लगे हैं जैसे – याहू, गूगल हिंदी, एमएसएन, रीडिफ़.कॉम, आदि । इन सब सुविधाओं के बाद भी वेब मीडिया के विकास में अभी भी कुछ बाधाएं आ रही हैं। सबसे बड़ी दिक्कत इंटरनेट की उपलब्धता को लेकर है दूर दराज गावों के इलाकों में इंटरनेट का विस्तार न होना इंटरनेट की स्पीड का धीमा होना साथ ही बिजली की समस्या है। कंप्यूटर, लैपटॉप या नेटबुक के दाम अधिक होना जो कि अभी भी आम आदमी की पहुंच में नहीं है। अब बात हो रही है 4जी की लेकिन असलियत यह है कि देश में 2जी और 3जी का अमल भी ढंग से नहीं हुआ है। कई बार सही सामग्री खोजने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है, जिसे आसान बनाना होगा और ऐसे नए सर्च इंजन विकसित करने होंगे जो एक विषय विशेष पर भरपूर सामग्री से भरे हों। ऐसी कुछ बुनियादी चीजों की कमियों को पूरा करने पर वेब मीडिया को मजबूती मिल जाएगी। ये समस्या के दूर होते ही न्यू मीडिया का पूरा प्रभाव प्रिंट और टीवी चैनल पर पडेगा। बदलते इस दौर में अब अधिकतर काम आनलाइन होता जा रहा है। समय की महत्वता हर व्यक्ति की जरूरत बनती जा रही है। घण्टों बैठकर वक्त की बर्बादी कोई नही करना चाहता है। शिक्षा का स्तर और कम्प्यूटर ज्ञान का होना वेब मीडिया के लिए जरूरी है। सरकारी बहुत सारी ऐसी सेवाएं जिसे वेब मीडिया के जरिए से आसान बना दिया गया है। इंटरनेट बैकिंग घर बैठे आप किसी को पैसे भेज सकते है बैंक जाकर लाइन लगाने की जरूरत भी नही है। मोबाइल बिल, बिजली बिल, पासपोर्ट सेवाएं के आनलाइन होनें से काफी कुछ परेशानियों का हल निकल कर आया है। इन सारी महत्वपूर्ण कार्यों को देखते हुए कहा जा सकता है कि आज के बदलते इस दौर में वेब मीडिया की स्वीकार्यता लगातार बढ़ती जा रही है।

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