अफगान विजेता: सरदार हरि सिंह नलवा का जलवा

—विनय कुमार विनायक
अफगान विजेता सरदार हरि सिंह नलवा का जलवा,
कुछ ऐसा कि बाघ का जबड़ा दो फाड़कर चीर दिया!

महाराजा रणजीत सिंह ने उन्हें ‘बाघमार’ उपाधि दी,
हरिसिंह को सम्मान में कहा था वीर राजा नल सा!

तबसे महाराजा रणजीत सिंह की सेना खालसा का,
वो सर्वोच्च कमांडर हरि सिंह कहलाने लगे नलवा!

अठाईस अप्रैल सत्रह सौ इकानवे में गुजरांवाला में
जन्मे थे नलवा जो अब है पाकिस्तान का हिस्सा!

गुरुदयालसिंह उप्पल व धर्म कौर का लाल कमाल,
कश्मीर-कसूर-काबुल-कांधार-पेशावर-मुलतान विजेता!

नलवा ने सिन्धु नदी के पार अफगान साम्राज्य का
वो हिस्सा जीता जो अब्दाली तैमूर तक अखण्ड था!

महाराजा ने उसे कश्मीर पेशावर का गवर्नर बनाया,
नलवा ने कश्मीर में ढाल दिए हरि सिंग्गी सिक्का!

पेशावर के शासक यार मोहम्मद ने हार कर दिया
नजराना जिससे काबुल के अजीम ने जिहाद किया!

पैंतालीस हजार खट्टक व युसुफजई कबिलाई लेकर
अकबरशाह ने आक्रमण किया नलवा भी तैयार था!

हरि सिंह नलवा की सेना शेर ए दिल रजामान ने
पोनटून पुल पारकर जीत लिया जहांगीरिया किला!

दस हजार पठानों को गाजर मूली सा संहार किया,
‘तौबा-तौबा खुदा खुद खालसा शुद’ पठानों ने कहा!

‘खुदा माफ करे खुदा खुद खालसा हो गए’ कहकर
पठान सेना भाग गई फिर से जोड़ने सैन्य शक्ति!

नलवा ने स्यालकोट कसूर अटक मुलतान शोपियां
पखली नौसेरा सिरीकोट पेशावर जमरुद युद्ध लड़ा!

अठारह सौ सात से सैंतीस तक लगातार हारा नहीं,
अंततःखैबर दर्रा को आक्रांताओं के लिए बंद किया!

खैबर दर्रा बंदकर महफूज किया देश को नलवा ने
जिससे यवन-शक-हूण-तुर्क-पठान-मुगल लुटेरे आए!

अठारह सौ छत्तीस में अफगानी सेना ने की हमला,
जमरुद के युद्धभूमि में जिसमें घायल हुए नलवा!

अठारह सौ सैंतीस में नलवा ने रणजीत सिंह से
जमरुद किले में सेना मांगी जो माहभर न आई!

राजा रणजीत सिंह पुत्र शादी में उधर थे व्यस्त,
नलवा मुट्ठीभर सैनिक के साथ लड़ते हुए पस्त!

अफगानों में हरिसिंह नलवा का ऐसा था आतंक,
कि वीरगति पानेपर भी कोई हो न सका निशंक!

अफगानी कौम में उनके नाम का था ऐसा असर!
कि रोते बच्चे को चुप करती मांऐं नलवा कहकर!

कहते हैं भारतीय तिरंगे में हरा रंग हरि सिंह पर
न्योछावर उनकी आन देश की हरित पहचान पर!
—विनय कुमार विनायक

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