#नोटबंदी के एक माह बाद देश के हालात


मृत्युंजय दीक्षित
500 व एक हजार का #नोटबंद होने के बाद एक महीना बीत चुका है। पीएम मोदी ने देशवासियों के सहयोग से #कालेधन और #भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की ऐतिहासिक शुरूआत कर दी है। पीएम मोदी जनसभाओं व कार्यक्रमों में #नोटबंदी को अब तक का सबसे ऐतिहासक कदम बता रहे हैं और विपक्ष नोटबंदी को लेकर लगातार आक्रामक बना हुआ है। कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी नोटबंदी को देश के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बता रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और उप्र में भाजपा विरोधी सभी दल नोटबंदी पर लगतार हमलावर हो रहे हैं। उप्र के विधानसभा चुनावो को ध्यान में रखते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा मुखिया मुलायम सिंह तथा उनके बबुआ ने अपनी भाषाशैली की सभी मर्यादाओं को ताक पर रख दिया है। नोटबंदी के बाद सबसे बड़ी बात यह हुयी है कि विपक्ष ने देश की संसद को बंधक बना रखा है। भाजपा के पितामह लालकृष्ण आडवाणी नाराज हो गये तो देश के महामहिम को भी हाथ जोड़कर सरकार व विप़क्ष के सांसदों से संसद चलाने की अपील करनी पड़ गयी है। संसद में हंगामा करने को विपक्ष ने अपना मौलिक अधिकार और कर्तव्य समझ लिया है। अल्पमत बहुमत को बंधक बनाकर अपनी बात मनवाने का असफल प्रयास कर रहा है। यह वही विपक्ष है जो सरकार पर आरोप लगा रहा था कि मोदी सरकार ने दो साल बाद भी कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ अब तक कोई बड़ा कदम नही उठाया है। लेकिन जब कदम उठायाा तो यह सभी दल अंदर तक बुरी तरह से हिल गये हैं।
नोटबंदी विरोधी दल नित नये पैतरें लाकर विरोध कर रहे हैं और सोच रहे हैं कि ऐसा करके वह पीएम मोदी से फैसला बदलवा लेंगे। संसद में अभद्र तरीके से मोदी लाओ – मोदी लाओं के नारे लगा रहे हैं। कांग्रेसी युवराज कह रह हैं कि पीएम मोदी ने अपनी टीआरपी को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया है। जबकि वास्तविकता यह है कि टीआरपी बढ़ाने का खेल तो आज के नेता कर रहे हैं जिसमें सबसे आगे राहुल गांधी और केजरीवाल हैं जिसमें अब ममता बनर्जी काफी आगे निकल चुकी हैं। नोटबंदी पर राहुल गांधी कह रहे है कि वह जब बोलेंगे तो भूकम्प आ जायेगा। उनके बयान पर पलटवार करते हुए सरकार का कहना है कि कहीं यह भूकम्प उनके अपने लोगों के लिए ही भारी न पड़ जाये। वास्तव में जब से मोदी सरकार बनी है तभी से देश का अल्पमत विपक्ष अपनी सत्ता में वापसी की के सपने देखरहा है। उसे लग रहा है कि वह ऐसा करके पीएम मोदी को ढुका लेंगे तथा फिर उन्हें जनता के बीच पूरी तरह से फ्लाप व झूठा साबित करने में सफल हो जायेंगे। जबकि उनका यह विचार सपना ही रहेगा।
नोटबंदी के बाद लोकसभा व विधानसभा के उपचुनाव हुये हैं जिसमें भाजपा को अच्छी सफलता मिली वहीं महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के निकाय चुनावों में भाजपा की लहर चली । जिससे साफ पता चल रहा है कि फिलहाल जनता पीएम मोदी के साथ है तथा वह देश में पूरी तरह से बदलाव चाहती है। विपक्ष लाख कोशिशों के बाद भी जनमानस को सरकार के खिलाफ भड़का नहीं पा रहा है।
नोटबंदी के एक माह बाद कई पहलू सकारात्मक भी सामने आ रहे हैं । तो कई नकारात्मक पहलू भी सामने आ रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह हुई है कि पाकिस्तान में दाऊद व आतंकियों का जाली नोटों का कारोबार पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। अभी हाल ही में खबर आयी है कि पाकिस्तान में दाऊद, लश्कर व जैश के लोगों को भारत विरोधी अभियान चलाने में मदद करने वाला जाली नोटों के सबसे बड़े सरगना जावेद हनानी ने आत्महत्या कर ली है। उसका हजारांे करोड़ का जाली नोट बर्बाद हो चुका है। इस सरगना की गतिविधियों पर भारत और अमेरिका की खुफिया एजेंसियां की निगाहें लगातार बनी हुयी थीं। नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते होने वाले नकली नोटों के कारोबार को गहरा झटका लगा है। कहा जा रहा है कि पंजाब बार्डर के खेतों पर नोटों से भरे बैग और थैले नहीं दिखलायी पड़ रहे हैं। पंजाब में नोटबंदी के बाद भारी मात्रा में जाली करेंसी बरामद हो चुकी है। पूरे देशभर में छापेमारी में करोड़ों की संख्या में नोट लगातार बरामद हो रहे हैं। नोटों की तस्करी करने वाले जमाखोरों पर कड़ी कार्यवाही हो रही है। बैंकों के भ्रष्ट अध्किारी सकते में हैं। अब तक 50 से अधिक बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों पर कालेधन को सफेद करने के आरोप में कार्यवाही हो चुकी है।
सबसे बड़ा असर #नक्सलवाद पर पड़ा है। नोटबंदी के बाद अब तक 564 से अधिक #नक्सलवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं तथा दो दर्जन से अधिक नक्सलवादी मौत के घाट उतारे जा चुके हैं। खबर है कि नक्सलवादियों लगभग एक हजार करोड़ रूपया गुप्त स्थानों पर दबा लिया है तथा वह बदले की कार्यवाही के लिए तड़प पर रहे है। दूसरी बात यह हुई है कि देशभर में फलो व सब्जियों के दामों में भारी कमी देखी जा रही है। हालांकि कहीं कही गेहूं ,चावल व चना के दामों में तेजी भी देखी जा रही है।
यह बात अलग हैं कि बैंकों में अचानक कैश की भरी कमी के चलते बैंको व एटीएम के बाहर लम्बी कतारें लगी हुई हैं। कई जगहों पर कतारों की कमी अवश्य आयी हैं अब मोदी सरकार की सबसे बड़ी समस्या और परीक्षा की घड़ी यह है कि बैंकों व एटीएम में लगी कतारें कितनी जल्दी समाप्त होती है। विश्लषक सरकार से पूछ रहे हैं कि अब तक कितना कालाधान सरकार के पास आया और उसका क्या उपयोग होने जा रहा हैं। जनमानस की निगाहें 50 दिन पूरे होने के बाद क्या होगा इस पर टिक गयी हैं। मीडिया जगत में चर्चा हो रही है कि क्या 50 दिन बाद देश की जनता के अच्छे दिन आ जायेंगे। भ्रष्टाचार और कालेधन की समस्या का अंत हो जायेगा। सरकार इन्हीं सब समस्याओं का अंत करने के लिए कैशलेस व्यवस्था का प्रचार प्रसार करने लग गयी है। पीएम मोदी ने अपने सांसदो व विधायकों से #कैशलेसव्यवस्था काचुनाव प्रचार की तरह प्रचार करने की बात कही है। सरकार ने कैशलेस व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए कई कदमों की घोषणा की है। सरकार ने सबसे ऐतिहासिक फैसला यह लिया है कि आने वाले दिनों मे प्लास्टिक की करंेसी बाजार में चलने लगेंगी। जिससे नकली नोटों पर लगाम लग सकेगी।
नोटबंदी के चलते आज बाजार का सारा समीकरण बदल गया है। सबसे ज्यादा असर रियल स्टेट व लोन व्यवस्था पर पड़ने वाला है। रियल स्टेट में दरों में भारी कमी आ रही है। वहीं विकास दर में गिरावट का अनुमान लगाया गया है। नोटबंदी के बाद जीडीपी जो 7. 6 फीसदी तक जा रही थी वह घटकर 7.1 ही रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। अचानक नोटबंदी से पर्यटकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा हैं। जबकि दूसरी ओर सबसे बड़ी बात यह भी हुई है कि देश के 47 शहरी नगर निगम जबर्दस्त तरीके से अमीर हो गये हैं। जनता ने अपना सारा नोट सरकारी बिलों के भुगतान मे निपटा लिया है।
कहा जा रहा है कि नोटबंदी का असर आगामी विधानसभा चुनावों में अवश्य दिखलायी पड़ेगा। उप्र में कई छोटे दलों को चुनाव प्रचार करने व भीड़ जुटाने के लिए धन की भारी कमी हो गयी है। यही कारण है कि आज सपा व बसपा जैसे दल भाजपा को चुनावों में सबक सिखाने की बात कह रहे हैं। मायावती को तो मोदी फोबिया हो ही गया है। लेकिन फिलहाल केंद्र सरकार अपना फैसला किसी भी प्रकार के दबाव में आकर बदलने नहीं जा रही।

3 COMMENTS

  1. देश में काले धन की समस्या है. इलाज के रूप में नोतबंदी नाम की शल्य चिकित्सा की गई है. काले धन वालो के होस फाख्ता हो गए है.

    • सचमुच?जमीनी हकीकत तो यह है कि बड़े मूल्य वाले अधिकतर नोट बैंकों में आ चुके हैं और उम्मीद की जाती है की बाकि इन बचे हुए दिनों में आ जायेंगे,तो फिर काले नोट कहाँ गए?अब तो एक नई काल बाजारी ने जन्म ले लिया,नए नोटों की काला बाजारी. विशेष बात यह है कि उसमे अभी तक एक ही राजनैतिक दल विशेष के लोग पकडे गए हैं.

  2. जो windfall gain की उम्मीद की जा रही थी, प्रचारित किया जा रहा था, उस पर मुझे शुरू से शंका था. बैंक मैनेजर, रेलवे कैशियर एवं पेट्रोल पंपो ने इस कदम की हवा निकालने में कोई कसर बांकी नही छोड़ा. अब सरकार को जनवरी के पहले हफ्ते में इस सवाल का सामना करना पड़ेगा की आखिर नोटबन्दी का औचित्य क्या था.

    कैश लेस से क्या लाभ होगा, जो टैक्स सिस्टम बहुत जटिल है सो और भी जटिल हो जाएगी.

    आज भारत को आवश्यकता है कि जो ब्लैक मनी विदेशी बैंक, सोना आदि इत्यादी में ब्लाक हो गया है उसे सिस्टम में लाया जाए.

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