आखिर कैसे अलग है क्यूबा 

cubaक्यूबा के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा कार्यक्रमों ने वैश्विक स्तर पर समाजवादी समाज के विकास की दिशा को रेखांकित करना शुरू कर दिया है। तीसरी दुनिया के देशों में उसके डॉक्टरों एवं चिकित्साकर्मियों ने क्यूबा को नई पहचान दी है और यह पहचान सहयोग एवं समर्थन की ऐसी पहचान है, जो दिल को छूती है। जो काम कई देशों की सरकारें नहीं कर पाती, उन देशों की आम जनता के लिये क्यूबा की सरकार और उसके डॉक्टर करते हैं। विश्व समुदाय एवं विश्व जनमत के लिये चलाये जाने वाले कार्यक्रमों ने महाद्वीपीय एवं वैश्विक सोच को विकसित करने का काम किया है। क्यूबा और वेनेजुएला के संयुक्त कार्यक्रम- ‘ऑपरेशन मिरेकल‘ की शुरुआत 8 जुलाई 2004 में हुई थी। 2014 में उसकी दसवीं वर्षगांठ मनाई गई। इस कार्यक्रम के अंतर्गत वेनेजुएला में 26 ‘आई केयर सेन्टर‘ विकसित किये गये और वहां 17 लातिनी अमेरिकी देशों के अलावा इटली, पुर्तगाल और पोर्टो रिको के लोगों का भी इलाज किया गया। ऑपरेशन मिरेकल के तहत लाखों लोगों का इलाज एवं ऑपरेशन हुआ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में लगभग 39 मिलियन लोग नेत्रहीन हैं, मगर इनमें से 80 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो इलाज या ऑपरेशन के बाद देख सकते हैं। इस कार्यक्रम का मकसद उन लोगों का इलाज करना है, जो अपनी आर्थिक स्थिति, गरीबी और भौगोलिक रूप से ऐसी जगह रहते हैं, जहां से आना कठिन हो। ऐसे लोगों का इलाज यहां तक कि ऑपरेशन भी, निःशुल्क ही नही किया जाता है, बल्कि उन्हें लाने और इलाज के बाद उन्हें वापस अपने घर भेजने तक का खर्च इस कार्यक्रम के आयोजक देश क्यूबा और वेनेजुएला उठाते हैं। इसके लिये विमान सेवा भी उपलब्ध करायी जाती है। प्राकृतिक आपदा हो या इबोला जैसे रोग से फैली महामारी हो, क्यूबा के डॉक्टरों एवं चिकित्साकर्मियों की भूमिका लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है। एक छोटा सा देश, अपने सीमित साधन और समाजवादी व्यवस्था के साथ, आम जनता के पक्ष में, लोगों को बचाने की लड़ाई लड़ता हुआ नजर आता है। उसके लिये मानवता या मानवाधिकार राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि आम लोगों का सामाजिक अधिकार है, जिसके पीछे प्राकृतिक एवं वैधानिक शक्तियों को जनसमर्थक सरकारें खड़ा करती हैं। उसने विपरीत समाज व्यवस्था और उनकी सरकारों को, अपने सामाजिक एवं वैविश्वक जिम्मेदारियों की राह में आने नहीं दिया।
हैती में जब 21वीं सदी की शुरुआत में ही भयानक भूकंप की प्राकृतिक आपदा आयी, तो क्यूबा ने अपने स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टरों को वहां भेजा। लगभग 11,000 क्यूबा के स्वास्थ्यकर्मी, जिसमें से ज्यादातर डॉक्टर हैं, पिछले 16 सालों से हैती में लोगों की चिकित्सा संबंधी सेवा कर रहे हैं। आज भी वहां 700 क्यूबा के स्वास्थ्यकर्मी काम कर रहे हैं। उन्होंने 20 मिलियन हैतीवासियों की चिकित्सा की। 3,73,000 ऑपरेशन किये और 1,50,000 नवजात शिशुओं का जन्म कराया। और यह सब निःशुल्क किया गया। आज भी 1,300 युवा हैतीवासी क्यूबा की सरकार से स्कॉलरशिप पाते हैं, उन्होंने क्यूबा के विश्वविद्यालय से स्नातक किया। क्यूबा, अल्बा देश और लातिनी अमेरिका के समाजवादी देशों के सहयोग का ही परिणाम है, कि हैती महाद्वीपीय एकजुटता की अनिवार्यताओं से संचालित हो रहा है। इस समय 32 अफ्रीकी देशों में 4,048 क्यूबायी चिकित्साकर्मी सेवा कार्य कर रहे हैं, जिनमें से 2,269 डॉक्टर हैं। पश्चिमी अफ्रीका के देशों में महामारी की तरह फैले अज्ञात रोग इबोला से लड़ने के लिये 16 सितम्बर को क्यूबा ने अपने डॉक्टर एवं स्वास्थ्यकर्मियों को भेजने की घोषणा की है।
यह सच है, कि क्यूबा सीमित साधन वाला एक गरीब देश है, मगर उसने 121 देशों के 38,940 डॉक्टरों को निःशुल्क शिक्षा एवं प्रशिक्षण की व्यवस्था अपने देश में की। आज भी 10,000 विदेशी छात्र क्यूबा में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें से 6,000 विदेशी छात्र निःशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उनका खर्च क्यूबा की क्रांतिकारी सरकार उठाती है। दुनिया भर के 66 देशों में क्यूबा के 52,000 डॉक्टर काम कर रहे हैं। 1969 में क्यूबा में समाजवादी सरकार बनने से लेकर अब तक, वहां के 3,25,710 स्वास्थ्य चिकित्सक एवं चिकित्साकर्मियों ने 158 देशों के ‘मिशन‘ में भाग लिया।
क्यूबा की सरकार अपने देश के सभी नागरिकों की जिम्मेदारी उठाती है। भोजन, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा, सामाजिक सुरक्षा से लेकर उनके परिवार की जितनी जिम्मेदारियां है, वह सरकार उठाती है। उनके निजी जीवन में मुद्रा की कोई खास जरूरत ही नहीं होती, वो अपने देश और समाज का हिस्सा होते हैं। वैसे भी क्यूबा का हर एक नागरिक अपने देश की सरकार है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सम्बंधी सेवा कार्य से लगभग 6 बिलियन डॉलर की आय क्यूबा की सरकार को होती है। आज क्यूबा में 60,000 डॉक्टर अपने देश में काम करते हैं। 136 क्यूबाई पर 1 डॉक्टर का अनुपात है। 85 प्रतिशत क्यूबावासियों के पास अपना घर है, और 99.4 प्रतिशत लोग शिक्षित हैं। जिस समय पूंजीवादी सरकारें अपने लोगों की सामाजिक सुरक्षा एवं सामाजिक कार्यक्रमों में भारी कटौतियां कर रहे हैं, क्यूबा की यह उपलब्धि अपने आप में बड़ी है, कि वह लोगों को सुरक्षित करने और उन्हें बचाने के अभियान में लगा है।
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अंकुर विजयवर्गीय
टाइम्स ऑफ इंडिया से रिपोर्टर के तौर पर पत्रकारिता की विधिवत शुरुआत। वहां से दूरदर्शन पहुंचे ओर उसके बाद जी न्यूज और जी नेटवर्क के क्षेत्रीय चैनल जी 24 घंटे छत्तीसगढ़ के भोपाल संवाददाता के तौर पर कार्य। इसी बीच होशंगाबाद के पास बांद्राभान में नर्मदा बचाओ आंदोलन में मेधा पाटकर के साथ कुछ समय तक काम किया। दिल्ली और अखबार का प्रेम एक बार फिर से दिल्ली ले आया। फिर पांच साल हिन्दुस्तान टाइम्स के लिए काम किया। अपने जुदा अंदाज की रिपोर्टिंग के चलते भोपाल और दिल्ली के राजनीतिक हलकों में खास पहचान। लिखने का शौक पत्रकारिता में ले आया और अब पत्रकारिता में इस लिखने के शौक को जिंदा रखे हुए है। साहित्य से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं, लेकिन फिर भी साहित्य और खास तौर पर हिन्दी सहित्य को युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाने की उत्कट इच्छा। पत्रकार एवं संस्कृतिकर्मी संजय द्विवेदी पर एकाग्र पुस्तक “कुछ तो लोग कहेंगे” का संपादन। विभिन्न सामाजिक संगठनों से संबंद्वता। संप्रति – सहायक संपादक (डिजिटल), दिल्ली प्रेस समूह, ई-3, रानी झांसी मार्ग, झंडेवालान एस्टेट, नई दिल्ली-110055

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