गुजर जाती है उम्र,रिश्ते बनाने में।

0
153

गुजर जाती है उम्र,रिश्ते बनाने में।
पर पल नही लगता इसे ठुकराने में।।

वक्त लगता है,अपना घर बनाने में।
पर पल नही लगता,इसे गिराने में।।

उम्र खत्म हो जाती है,धन कमाने में।
पर पल नही लगता है,उसे गवांने में।।

बड़ी मुश्किलें आती है,एक सच्चा दोस्त बनाने में,
पर पल भर नही लगता,उससे दुश्मनी बनाने में।।

जिंदगी घटती जाती है,पल पल बिताने में।
पर उम्र बढ़ती जाती है,हर पल बिताने में।।

समय लगता है भू से आसमान जाने में।
पर पल न लगता,उसे जमींन पे गिराने में।।

काफी वक्त लगता है,जिंदगी को बनाने में।
पर पल भर नही लगता उसे बिगाड़ने में।।

आर के रस्तोगी

Previous articleधर्म की आड़ में दुराचार
Next article‘कामधेनु दीपावली” सरकार का नहीं समाज का अभियान बने
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here