अजब गजब रिवाज थे राज रजवारे के

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अनिल अनूप
पटियाला (पंजाब) में पुरानी रियासत के महल आज भी महाराजा भुपिंदर सिंह की 365 रानियों के किस्से बयान करते हैं। महाराजा भुपिंदर सिंह ने यहां वर्ष 1900 से वर्ष 1938 तक राज किया। महाराज भुपिंद्र सिंह का जीवन रंगीनियों से भरा हुआ था।
इतिहासकारों के मुताबिक महाराजा की 10 अधिकृत रानियों के समेत कुल 365 रानियां थीं। इन रानियों की सुख सुविधा का महाराज पूरा ख्याल रखता था।महाराजा की रानियों के किस्से तो इतिहास में दफन हो चुके हैं, जबकि उनके लिए बनाए गए महल अब ऐतिहासिक धरोहर बन चुके हैं।
भव्य महलों में रहती थी रानियां
365 रानियों के लिए पटियाला में भव्य महल बनाए गए थे। रानियों के स्वास्थ्य की जांच के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम भी इन महलों में ही रहती थी। उनकी इच्छा के मुताबिक उन्हें हर चीज मुहैया करवाई जाती थी।
दीवान जरमनी दास के मुताबिक महाराजा भुपिंदर सिंह की दस पत्नियों से 83 बच्चे हुए थे जिनमें 53 ही जी पाए थे। महाराजा कैसे अपनी 365 रानियों को संतुष्ट रखते थे इसे लेकर इतिहास में एक किस्सा बहुत मशहूर है।
कहते हैं कि महाराजा पटियाला के महल में रोजाना 365 लालटेनें जलाई जाती थीं। जिस पर उनकी 365 रानियों में से हर रानी का हर लालटेन पर नाम लिखा होता था। जो लालटेन सुबह पहले बुझती थी महाराजा उस लालटेन पर लिखे रानी के नाम को पढ़ते थे और फिर उसी के साथ रात गुजारते थे।
10 एकड़ क्षेत्र में फैला किला मुबारक परिसर पटियाला शहर के बीचों बीच स्थित है। मुख्‍य महल, गेस्‍ट हाउस और दरबार हॉल इस किले के परिसर के प्रमुख भाग हैं। इस परिसर के बाहर दर्शनी गेट, शिव मंदिर और दुकानें हैं। किला सैलानियों को विशेष रूप से आकर्षित करता है। इसके वास्तुशिल्प पर मुगलकालीन और राजस्थानी शिल्प का प्रभाव स्‍पष्‍ट रूप से झलकता है। परिसर में उत्तर और दक्षिण छोरों पर 10 बरामदे हैं जिनका आकार प्रकार अलग ही प्रकार का है। मुख्‍य महल को देख कर लगता है कि जैसे महलों का एक झुंड हो। हर कमरे का अलग नाम और पहचान है।
इन दोनों महलों को बड़ी संख्‍या में भीत्ति चित्रों से सजाया गया है, जि‍न्हें महाराजा नरेन्द्र सिंह की देखरेख में बनवाया गया था। किला मुबारक के अंदर बने इन महलों में 16 रंगे हुए और कांच से सजाए गए चेंबर हैं। उदाहरण के लिए महल के दरबार कक्ष में भगवान विष्णु के अवतारों और वीरता की कहानियों को दर्शाया गया है।
महिला चेंबर में लोकप्रिय प्रेम प्रसंग की कहानियां चित्रित की गई हैं। महल के अन्‍य दो चेंबरों में अच्‍छे और बुरे राजाओं के गुण-दोषों पर प्रकाश डाला गया है। इन महलों में बने भीत्ति चित्र 19 वीं शताब्दी में बने भारत के श्रेष्‍ठ भीत्ति चित्रों में एक हैं। ये भित्तिचित्र राजस्थानी, पहाड़ी और अवधि संस्‍कृति को दर्शाते हैंl
यह हॉल सार्वजनिक समारोहों में लोगों के एकत्रित होने के लिए बनवाया गया था। इस हॉल को अब एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है, जिसमें आकर्षक फानूस और विभिन्‍न अस्त्र-शस्त्रों को रखा गया है। इस संग्रहालय में गुरू गोविंद सिंह की तलवार और कटार के साथ-साथ नादिर शाह की तलवार भी देखी जा सकती है। यह दो मंजिला हॉल एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है। हॉल में लकड़ी और कांच की शानदार कारीगरी की गई है।
इस इमारत को अतिथि गृह के रूप में इस्‍तेमाल किया जाता था। इसका विशाल प्रवेश द्वार और दो आंगन पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं, यहां फव्वारे और टैंक आंगन की शोभा बढ़ाते हैं। रनबास के आंगन में एक रंगी हुई दीवारें और सोन जड़ा सिंहासन बना है जो लोगों को काफी लुभाता है। रंगी हुई दीवारों के सामने ही ऊपरी खंड में कुछ मंडप भी हैं, जो एक-दूसरे के सामने बने हुए हैं।
इस छोटी दो मंजिली इमारत के आंगन में एक कुआं बना हुआ है। इस इमारत को किचन के दौर पर इस्‍तेमाल किया जाता था। लस्सी खाना रनबास के सटा हुआ है और किला अंदरूनी के लिए यहां से रास्ता जाता है। स्‍थानीय निवासियों का कहना है कि एक जमाने में यहां 3500 लोगों को खाना बनाया जाता था।
महाराजा पटियाला की पार्टी में नंगे लोगों को मिलती थी एंट्री , अगर इतिहास की बात करें तो ऐसी-ऐसी बातें सुनने में आती है। जो शायद ही हमने अपने सपनो में सोची हों, ऐसी ही एक सच्ची अजब-गजब कहानी के बारे में आपको बताते हैं। जो पटियाला के महाराजा भुपिंदर सिंह की है जो अपने महल में निर्वस्‍त्र पार्टी आयोजित करवाते थे। दरअसल महाराजा भुपिंदर सिंह के दीवान जरमनी दास ने अपने किताब ‘महाराजा’ में भुपिंदर सिंह की रंगीनमिजाजी का जिक्र किया है। इस किताब में बताया गया है कि भुपिंदर ने पटियाला में एक ‘लीला भवन’ बनवाया था। जहां केवल निर्वस्त्र लोगों को ही प्रवेश मिलता था। महल के बाहर एक स्वीमिंग पूल भी था जहां 150 महिलाएं और पुरुष साथ में नहाया करते थे। ये पार्टियां कुछ खास मौके पर आयोजित करवाई जाती थीं जहां यूरोपियन और अमेरिकि महिलाओं को बुलाया जाता था।
महाराजा भूपिंदर सिंह ने 1900 से 1938 तक राजगद्दी को संभाला। पुरानी रियासत के महल आज भी महाराजा भुपिंदर सिंह की 365 रानियों के किस्से बयान करते हैं। इतिहासकारों के मुताबिक महाराजा भूपिंदर सिहं की 10 अधिकृत रानियों सहित कुल 365 रानियां थीं। इन 365 रानियों के लिए पटियाला में भव्य महल बनाए गए थे। हालांकि महाराजा की रानियों के किस्से तो अब इतिहास में दफन हो चुके हैं। लेकिन उनकी कुछ पुरानी बातें आज भी लोगों को याद हैंl महाराजा भुपिंदर सिंह का किला पटियाला शहर के बीचोबीच 10 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। मुख्य महल, गेस्ट हाउस और दरबार हॉल इस किले के परिसर के प्रमुख भाग हैं। इस परिसर के बाहर दर्शनी गेट, शिव मंदिर और दुकानें हैं। इन दोनों महलों को बड़ी संख्‍या में भीत्ति चित्रों से सजाया गया है, जि‍न्हें महाराजा नरेन्द्र सिंह की देखरेख में बनवाया गया था। किला मुबारक के अंदर बने इन महलों में 16 रंगे हुए और कांच से सजाए गए चैंबर हैं।

3 COMMENTS

  1. दीवान जर्मनी दास ने अपनी पुस्तक Maharaja; lives and loves and intrigues of Indian princes (१९७९) यह भी लिखा है कि किसी कन्या पर दिल आने पर महाराजा भुपिंदर सिंह ने उसके माता पिता को उपहारों सहित विवाह का प्रस्ताव भेजा तो उन्होंने रातों रात परिवार सहित रियासत छोड़ भागने का प्रयत्न किया लेकिन सीमा पर पकड़े जाने पर उन्हें बंदीगृह में ठहराया गया था| बंदीगृह में न जाने कहाँ से अजगर आ जाने पर कोलाहल मच गया और तभी एक नौजवान हाथ में लट्ठ लिए वहां पहुंचा और उसने तुरंत सांप को मार दिया| माता-पिता ने नौजवान को सांप से उनकी रक्षा करने पर उसका धन्यवाद दिया और यह सोच कि महाराजा की विपदा न रहेगी बंदीगृह में ही कन्या का विवाह उस नौजवान के साथ कर दिया| नौजवान कोई और नहीं स्वयं महाराजा भुपिंदर सिंह था!

  2. क्षमा करेंगे अनिल अनूप जी . .
    आपसे पूछना चाहूंगी ये इतिहास किसी राजा की है या शैतान की ?

    • रजनी जी
      मैंने इतिहास का एक पन्ना खोली है जिसे पढकर निर्णय आप जैसे सुधी पाठकों का होता है लेखक का काम पाठ उपलब्ध कराना भर होता है….

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