साल 2007 में जब महेंद्र सिंह धोनी ने जब टीम इंडिया की कप्तानी संभाली तो शायद ही किसी ने सोचा था कि धोनी की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम सफलता की नई कहानी लिखेगी। लेकिन धोनी ने अपनी कप्तानी और साहस भरे फैसलों से ना सिर्फ टीम इंडिया को टेस्ट की बादशाहत का दर्जा दिलाया बल्कि वनडे विश्व कप,टी-20 विश्व कप और आईसीसी चैंपियन ट्राफी का खिताब हासिल करके अपना नाम हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज कराया।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया लगातार जीत के रथ पर सवार रही। धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया की सरजमी पर पहली बार वनडे सीरीज जीती। ये पहला मौका था जब टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया में वनडे सीरीज जीती थी। जबकि धोनी की अगुआई में ही टीम इंडिया ने साल 2016 में तीन मैचों की टी-20 सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को 3-0 से हरा कर इतिहास रच दिया। ऐसा पहली बार हुआ था कि ऑस्ट्रेलिया को टीम इंडिया ने उसी के घर में किसी सीरीज में सभी मैचों में हराया।
धोनी भारत के सबसे सफल कप्तान है। इसमे कोई शक नहीं है। धोनी ने भारत के लिए 199 मैचों में अगुआई की जिसमे से उन्होंने 110 मैचों में टीम इंडिया को विजयी बनाया। जबकि 74 मैचों में टीम को हार का सामना करना पड़ा। इस दौरान धोनी की जीत का प्रतिशत 59.57 प्रतिशत रहा जो भारत के किसी कप्तान का बतौर कप्तान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने 2014 में हुए टी-20 विश्कप में फाइनल तक का सफर तय किया लेकिन वहां टीम इंडिया को मात मिली और उसे खिताब से महरुम रहना पड़ा। साथ ही धोनी 2015 में हुए विश्व कप में भी टीम इंडिया को सेमीफाइनल तक ले गए जहां टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी।
वनडे क्रिकेट के अलावा टी-20 में भी धोनी ने अपनी कप्तानी को लोहा मनवाया। धोनी ने 72 टी-20 मैचों में अगुआई करते हुए टीम इंडिया को 41 मैचों में जीत दिलाई जबकि 28 मैचों में वो असफल साबित हुए।
धोनी को कप्तानी के दवाब से निपटना बखूबी आता था। इसलिए वो क्रिकेट की दुनिया में कैप्टन कूल के नाम से जाने गए। धोनी ने कप्तानी को अपनी बल्लाबाजी पर हावी नहीं होने दिया। इसी कारण वो कप्तानी के साथ-साथ बल्लेबाजी में हिट भी रहे। धोनी ने बतौर कप्तान 6633 रन बनाए। इस दौरान धोनी का औसत 54 का रहा जो उनके करियर औसत से ज्यादा है।
आज जिस मुकाम पर टीम इंडिया है उसमे धोनी की सफलता को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। धोनी ने भले ही टीम इंडिया के लिए कप्तानी छोड़ दी है लेकिन वो बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज टीम इंडिया के लिए खेलते रहेंगे। लेकिन एक बात जो सच है वो ये कि अब हम धोनी को मैदान पर टॉस उछलाते हुए नहीं देख पाएंगे।
रवि कुमार छवि