कभी न बुझने वाली लौ हैं अमिताभ बच्चन…

अमिताभ बच्चन हिन्दी फिल्मों के अभिनेता हैं। हिन्दी सिनेमा में चार दशकों से ज्यादा का वक्त बिता चुके अमिताभ बच्चन को उनकी फिल्मों से ‘एंग्री यंग मैन’ की उपाधि प्राप्त है। वे हिन्दी सिनेमा के सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली अभिनेता माने जाते हैं। उन्हें लोग ‘सदी के महानायक’ के तौर पर भी जानते हैं और प्‍यार से बिगबी, शहंशाह भी कहते हैं। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पर उन्हें 3 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा 14 बार उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड भी मिल चुका है। फिल्मों के साथ साथ वे गायक, निर्माता और टीवी प्रिजेंटर भी रहे हैं। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान से भी नवाजा है।
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पृष्ठभूमि-

 

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को उत्तर प्रदेश के इलाहबाद में हुआ। बच्चन कायस्थ परिवार से संबंध रखते हैं। प्रसिद्ध हिंदी कवि डॉ. हरिवंश राय बच्चन उनके पिता थे। उनकी मां तेजी बच्चन को थिएटर में गहरी रुचि थी, फिर भी उन्होंने घर संभालना ही पसंद किया। वर्ष 2003 में अमिताभ के सिर से पिता का साया उठ गया, जबकि उनकी मां ने 21 दिसंबर 2007 को उन्हें अलविदा कहा। उनका मां के प्रति हमेशा से गहरा लगाव रहा।

 

अमिताभ का अर्थ है ‘कभी न बुझने वाली लौ’ और उन्होंने अपने नाम का अर्थ सार्थक कर दिखाया। अमिताभ ऐसा नाम है, जिन्हें आज की युवा पीढ़ी ही नहीं, बल्कि आने वाली कई पीढ़ियां अपना आदर्श मान सकती हैं। उन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में प्रमुख व्यक्ति बनने के लिए संघर्ष के दौर से गुजरना पड़ा।उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम हरिवंश राय बच्चन था। उनके पिता हिंदी जगत के मशहूर कवि रहे हैं। उनकी मां का नाम तेजी बच्चन था। उनके एक छोटे भाई भी हैं जिनका नाम अजिताभ है। अमिताभ का नाम पहले इंकलाब रखा गया था लेकिन उनके पिता के साथी रहे कवि सुमित्रानंदन पंत के कहने पर उनका नाम अमिताभ रखा गया।

 

पढ़ाई-

 

अमिताभ बच्चन शेरवुड कॉलेज, नैनीताल के छात्र रहे हैं। इसके बाद की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोरीमल कॉलेज से की थी। पढ़ाई में भी वे काफी अव्‍वल थे और कक्षा के अच्‍छे छात्रों में उनकी गिनती होती थी। कहीं ना कहीं ये गुण उनके पिताजी से ही आए थे क्‍योंकि वे भी जानेमाने कवि रहे थे।
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शादी-

 

अमिताभ बच्चन की शादी अभिनेत्री जया भादुड़ी से हुई। उनसे उनकी पहली मुलाकात पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में हुई थी। अमिताभ की एक बेटी श्वेता नंदा और बेटा अभिषेक बच्चन हैं। दोनों की शादी हो गई है। अमिताभ का एक नाती, एक नातिन और एक पोती आराध्या भी है।
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करियर

 

पिता के काव्यो से क्रांतिकारी ज्वाला और माता की रंगमंच से जुड़ी गहरी विचारधारा ने बाल्य अवस्था में ही बालक अमित के रक्त में कला के 9 रसो का संचार किया | दो बार एम.ए कर चुके अमिताभ ने 20 वर्ष की आयु में, अभिनय में अपना कैरियर आजमाने के लिए कोलकाता की एक शिपिंग फर्म बर्ड एंड कंपनी की नौकरी छोड़ माया नगरी मुंबई का रुख किया |

 

अमिताभ बच्चन की शुरूआत फिल्मों में वॉयस नैरेटर के तौर पर फिल्म ‘भुवन शोम’ से हुई थी लेकिन अभिनेता के तौर पर उनके करियर की शुरूआत फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ से हुई। इसके बाद उन्होंने कई फिल्में कीं लेकिन वे ज्यादा सफल नहीं हो पाईं। फिल्म ‘जंजीर’ उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। इसके बाद उन्होंने लगातार हिट फिल्मों की झड़ी तो लगाई ही, इसके साथ ही साथ वे हर दर्शक वर्ग में लोकप्रिय हो गए और फिल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय का लोहा भी मनवाया।

 

संघर्ष के अग्निपथ से आरम्भ हुई यात्रा अब हिंदुस्तान के लाखो-करोड़ो दिलो तक पहुच चुकी थी और फिर आया भारतीय सिनेमा के इतिहास में सुनहरे हर्फो से लिखा 15 अगस्त 1975 का दिन, जब शोले पर्दे पर उतरी जहा वीरू-जय की जोड़ी अमर हो गई और अमिताभ, अमिताभ से एंग्री यंगमेन बन गये इसके बाद तो डॉन,त्रिशूल,कभी-कभी,अमर अकबर एंथोनी,सिलसिला,शहंशाह, हम जैसी फिल्मो ने ना केवल भारत बल्कि विदेशो में भी अमिताभ को लोकप्रिय बना दिया |
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प्रसिद्ध फिल्में-

 

सात हिंदुस्तानी, आनंद, जंजीर, अभिमान, सौदागर, चुपके चुपके, दीवार, शोले, कभी कभी, अमर अकबर एंथनी, त्रिशूल, डॉन, मुकद्दर का सिकंदर, मि. नटवरलाल, लावारिस, सिलसिला, कालिया, सत्ते पे सत्ता, नमक हलाल, शक्ति, कुली, शराबी, मर्द, शहंशाह, अग्निपथ, खुदा गवाह, मोहब्बतें, बागबान, ब्लैक, वक्त, सरकार, चीनी कम, भूतनाथ, पा, सत्याग्रह, शमिताभ जैसी शानदार फिल्मों ने ही उन्हें सदी का महानायक बना दिया। अभिताभ ने हिंदी सिनेमा में ‘जंजीर’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘खुदा गवाह’, ‘कुली’, ‘कुंवारा बाप’, ‘फरार’, ‘शोले’, ‘चुपके चुपके’, ‘कसमें वादे’, ‘त्रिशूल’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘मि. नटवरलाल’, ‘काला पत्थर’, ‘दोस्ताना’, ‘सिलसिला’, ‘शान’, ‘लावारिस’ और ‘शक्ति’ जैसी मशहूर फिल्मों में काम किया। इसके अलावा उन्होंने ‘कौन बनेगा करोड़पति’ कई रियलिटी शो से भी दर्शकों को अपना दिवाना बनाया। अमिताभ ने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं।
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करोड़ों दिलो पर राज करने वाले करोड़पति

 

नमस्कार देवियों और सज्जनों में अमिताभ बच्चन कौन बनेगा करोड़पति में आपका हार्दिक स्वागत करता हु.

 

ये वो अल्फाज़ है जो आजकल हर रात 9 बजे हिंदुस्तान के हर शहर, हर क़स्बे, हर गाँव, हर घर में सुनाई देता है सोनी चैनल पर शुरू हुए कौन बनेगा करोड़पति शो ने टीवी चैनल पर सफलता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और इसकी कामयाबी का सारा श्रेय जाता है अमिताभ बच्चन को, हमेशा रुपहले पर्दे पर एक्शन-इमोशन को जीने वाले शहंशाह को पहली बार टीवी पर एंकर के रूप में देखकर दुनिया उनकी और ज्यादा दीवानी हो गई. आज हर प्रतियोगी अमिताभ से मिलकर इतना भावुक हो जाते है कि जैसे उन्हें भगवान के दर्शन हो गये.
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नायक भी-गायक भी

अमिताभ बच्चन की सबसे बड़ी ताकत उनकी आवाज़ है. जो दिल को छू लेने वाले संवादों के साथ सुरों में भी ढल जाती है|
रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे….., होली खेले रघुवीर अवध में…..
ये अमिताभ के गाये वो गीत हैं जिसके बिना होली का त्यौहार अधूरा है.
इतना ही नही डॉन का एक्शन हो या चुपके-चुपके की कोमेडी, बागबान का घायल पिता हो या सिलसिला का नाकाम प्रेमी हो, अभिमान का अहंकारी पति हो या पा का बीमार बच्चा ओरो,हर किरदार को वास्तविक बनाने की जो कला अमिताभ के पास है वो शायद दुनिया में किसी और अभिनेता के पास नही है, इसीलिए अमिताभ बच्चन को सदी के महानायक के ख़िताब से नवाज़ा गया है.
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बेमिसाल अंदाज़

डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नही नामुमकिन है…..,आज मेरे पास बंगला है गाडी है,बैंक बैलेंस है,क्या है तुम्हारे पास……., मर्द को दर्द नही होता…., हम जहा खड़े हो जाते है लाइन भी वही से शुरू होती है …..
ये वो खास अंदाज़ है जो आज भी हर बच्चे,बूढ़े और जवान की जुबान पर रहता है| दिवार फिल्म में भगवान से संवाद करना,शोले में सिक्का उछालना,ये अमित जी के अभिनय के वो रंग है जिसने उन्हें चित्रपट पर अमिट कर दिया है |
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अमिताभ बच्चन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें-

 

अमिताभ बच्चन ‘सदी के महानायक’ कहे जाते हैं। वे हिन्दी फिल्मों के सबसे बड़े सुपरस्टार माने जाते हैं।

 

– उन्हें असली पहचान फिल्म ‘जंजीर’ से मिली थी। यह फिल्म अमिताभ से पहले कई बड़े अभिनेताओं को ऑफर हुई थी जिसमें मशहूर अभिनेता राजकुमार भी शामिल थे लेकिन राजकुमार ने इस फिल्म को यह कहकर ठुकरा दिया था कि डायरेक्‍टर के बालों के तेल की खुशबू अच्‍छी नहीं है।

 

– 70 और 80 के दौर में फिल्‍मी सीन्‍स में अमिताभ बच्‍चन का ही आधिपत्‍य था। इस वजह से फ्रेंच डायरेक्‍टर फ़्राँस्वा त्रुफ़ो ने उन्‍हें ‘वन मैन इंडस्‍ट्री’ तक करार दिया था।

 

– अपने करियर के दौरान उन्‍होंने कई पुरस्‍कार जीते हैं जिसमें सर्वश्रेष्‍ठ अभिनेता के तौर पर 3 राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार भी शामिल है। इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल्‍स और कई अवार्ड समारोहों में उन्‍हें कई पुरस्‍कारों से सम्‍मानित किया गया है। वे 14 फिल्‍मफेयर पुरस्‍कार भी जीत चुके हैं। उन्‍हें फिल्‍मफेयर में सबसे ज्‍यादा 39 बार नामांकित किया जा चुका है। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित किया है। अमिताभ बच्चन को अब तक चार बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। इनमें फ़िल्म “पा” में उनके अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला है। अमिताभ बच्चन ने यह पुरस्कार तीसरी बार जीता है। इससे पहले उनको यह पुरस्कार फ़िल्म “अग्निपथ” और “ब्लैक” के लिए मिल चुका है। इसके अलावा वह ‘सात हिन्दुस्तानी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ नवोदित कलाकार का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं।

 

– फिल्‍मों में बोले गए उनके डॉयलाग आज भी लोगों के दिलों में ताजा हैं। उनके सुपरहिट करियर में उनके फिल्‍मस के डॉयलाग्‍स का भी अ‍हम रोल रहा है।

 

– उन्‍हें भारत सरकार की तरफ से 1984 में पद्मश्री, 2001 में पद्मभूषण और 2015 में पद्मविभूषण जैसे सम्‍मान मिल चुके हैं।

 

– करियर के शुरूआती दौर में उन्‍हें काफी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ा था। उनकी फिल्‍में लगातार फलाप हो रही थीं तब वे वापिस घर लौटने का मन बना चुके थे लेकिन फिल्‍म जंजीर उनके करियर का टर्निंग प्‍वाइंट बन गई और फिल्‍म इंडस्‍ट्री में ‘एंग्री यंग मैन’ का उदय हुआ।

 

– आज जिस अमिताभ बच्‍चन के आवाज की पूरी दुनिया कायल है, एक समय था जब उनकी आवाज उनके करियर में रोड़ा बन रही थी और उन्‍हें नकार दिया गया था लेकिन बाद में उनकी आवाज ही उनकी ताकत बनी और उनकी आवाज औरों से काफी जुदा और भारी थी, इस वजह से उन्‍हें कई निर्देशकों ने कई फिल्‍मों में अपनी कहानी को नैरेट तक करवाया। कई प्रोग्राम्‍स को उन्‍होंने भी होस्‍ट किया।
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अमिताभ के करियर का बुरा दौर:-

 

– उनकी फिल्‍में अच्‍छा बिजनेस कर रही थीं कि अचानक 26 जुलाई 1982 को कुली फिल्‍म की शूटिंग के दौरान उन्‍हें गंभीर चोट लगी गई। दरअसल, फिल्‍म के एक एक्‍शन दृश्‍य में अभिनेता पुनीत इस्‍सर को अमिताभ को मुक्‍का मारना था और उन्‍हें मेज से टकराकर जमीन पर गिरना था। लेकिन जैसे ही वे मेज की तरफ कूदे, मेज का कोना उनके आंतों में लग गया जिसकी वजह से उनका काफी खून बह गया और स्‍थिति इतनी गंभीर हो गई कि ऐसा लगने लगा कि वे मौत के करीब हैं लेकिन लोगों की दुआओं की वजह से वे ठीक हो गए।
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राजनीति में प्रवेश:-

 

– कुली में लगी चोट के बाद उन्‍हें लगा कि वे अब फिल्‍में नहीं कर पाएंगे और उन्‍होंने अपने पैर राजनीति में बढ़ा दिए। उन्‍होंने 8वें लोकसभा चुनाव में अपने गृह क्षेत्र इलाहाबाद की सीट से उ.प्र. के पूर्व मुख्‍यमंत्री एचएन बहुगुणा को काफी ज्‍यादा वोटों से हराया।

 

– राजनीति में ज्‍यादा दिन वे नहीं टिक सके और फिर उन्‍होंने फिल्‍मों को ही अपने लिए उचित समझा।

 

– जब उनकी कंपनी एबीसीएल आर्थिक संकट से जूझ रही थी तब उनके मित्र और राजनी‍तिज्ञ अमर सिंह ने उनकी काफी मदद की थी। बाद में अमिताभ ने भी अमर सिंह की समाजवादी पार्टी को काफी सहयोग किया। उनकी पत्‍नी जया बच्‍चन ने समाजवादी पार्टी को ज्‍वाइन कर लिया और वे राज्‍यसभा की सदस्‍य बन गईं। अमिताभ ने पार्टी के लिए कई विज्ञापन और राजनीतिक अभियान भी किए।

 

– फिल्‍मेां से एक बार फिर उन्‍होंने वापसी की और फिल्‍म ‘शहंशाह’ हिट हुई। इसके बाद उनके अग्निपथ में निभाए गए अभिनय को भी काफी सराहा गया और इसके लिए उन्‍हें राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार भी मिला लेकिन उस दौरान बाकी कई फिल्‍में कोई खास कमाल नहीं दिखा स‍कीं।

 

फिल्‍मों में तगड़ी वापसी:-

 

– 2000 में आई मोहब्‍बतें उनके डूबते करियर को बचाने में काफी मददगार साबित हुई और फिल्‍म को और उनके अभिनय को काफी सराहा गया। इसके बाद उन्‍होंने कई फिल्‍मों में काम किया जिसे आलोचकों के साथ साथ दर्शकों ने भी काफी पसंद किया।

 

– 2005 में आई फिल्‍म ‘ब्‍लैक’ में उन्‍होंने शानदार अभिनय किया और उन्‍हें राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार से एक बार फिर सम्‍मानित किया गया।

 

– फिल्‍म पा में उन्‍होंने अपने बेटे अभिषेक बच्‍चन के ही बेटे का किरदार निभाया। फिल्‍म को काफी पसंद किया गया और एक बार फिर उन्‍हें राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार से नवाजा गया।

– वे काफी लंबे समय से गुजरात पर्यटन के ब्रांड एंबेसडर भी हैं।

 

– उन्‍होंने टीवी की दुनिया में भी बुलंदियों के झंडे गाड़े हैं और उनके द्वारा होस्‍ट किया गया केबीसी बहुत पापुलर हुआ। इसने टीआरपी के सारे रिकार्ड तोड़ दिए और इस प्रोग्राम के जरिए कई लोग करोड़पति बने।
सामाजिक कार्यों में आगे:-
– इन सबके इतर अमिताभ बच्‍चन लोगों की मदद के लिए भी हमेशा आगे खड़े रहते हैं। वे सामाजिक कार्यों में काफी आगे रहते हैं। कर्ज में डूबे आंध्रप्रदेश के 40 किसानों को अमिताभ ने 11 लाख रूपए की मदद की। ऐसे ही विदर्भ के किसानों की भी उन्‍होंने 30 लाख रूपए की मदद की। इसके अलावा और भी कई ऐसे मौके रहे हैं जिसमें अमिताभ ने दरियादिली दिखाई है और लोगों की मदद की है।

 

– जून 2000 में वे पहले ऐसे एशिया के व्‍यक्ति थे जिनकी लंदन के मैडम तुसाद संग्रहालय में वैक्‍स की मूर्ति स्‍थापित गई थी।

 

– उनके ऊपर कई किताबें भी लिखी जा चुकी हैं-
अमिताभ बच्‍चन: द लिजेंड 1999 में, टू बी ऑर नॉट टू बी: अमिताभ बच्‍चन 2004 में, एबी: द लिजेंड (ए फोटोग्राफर्स ट्रिब्‍यूट) 2006 में, अमिताभ बच्‍चन: एक जीवित किंवदंती 2006 में, अमिताभ: द मेकिंग ऑफ ए सुपरस्‍टार 2006 में, लुकिंग फॉर द बिग बी: बॉलीवुड, बच्‍चन एंड मी 2007 में और बच्‍चनालिया 2009 में प्रकाशित हुई हैं।

 

– वे शुद्ध शाकाहारी हैं और 2012 में ‘पेटा’ इंडिया द्वारा उन्‍हें ‘हॉटेस्‍ट वेजिटेरियन’ करार दिया गया। पेटा एशिया द्वारा कराए गए एक कांटेस्‍ट पोल में एशिया के सेक्सियस्‍ट वेजिटेरियन का टाईटल भी उन्‍होंने जीता।
टेक्‍नोलॉजी के दौर में भी सबसे एक्टिव बच्‍चन:-

 

आज का दौर सोशल मीडिया का है। खबरें पल पल में इंटरनेट पर अपलोड होती रहती हैं। ऐसे में हमारे बिगबी कहां पीछे रहने वाले हैं। वे भी फेसबुक, ट्विटर का जमकर इस्‍तेमाल करते हैं और यही कारण है कि दोनों सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर उनके फैंस की संख्‍या लाखों-करोड़ों में है। वे अपने प्रंशसको को कभी नहीं निराश करते हैं और पल पल की घटनाओं को वे इन माध्‍यमों के जरिए शेयर करते हैं।
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उन्होंने अपने जीवनकाल में खूब सुर्खियां बटोरीं। वह अभिनेत्री रेखा के साथ रिश्ते को लेकर भी चर्चा में रहे। बताया जाता है कि रेखा दिल ही दिल में अमिताभ को चाहती थीं, लेकिन अमिताभ कभी इस रिश्ते को लेकर आगे नहीं बढ़े।

 

युवा उनके आदर्शों को लेकर जीवन में आगे बढ़ने के सपने संजो सकते हैं, क्योंकि वक्त कब, कहां, किसका कैसे बदल जाए यह कोई नहीं बता सकता। अमिताभ ने अपने जीवन के कांटों को पार कर ऐसी जगह जा पहुंचे, जिससे वह सभी की आंखों का तारा बन गए। राह में लाख कांटे आएं, लेकिन आपके पग डगमगाएं नहीं, यही प्रेरणा देता है महानायक का संघर्षमय जीवन।
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अमिताभ बच्चन का जीवन परिचय

 

अमिताभ बच्‍चन का जन्‍म 11 अक्‍टूबर 1942 इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में हुआ था
इनके पिता का नाम डॉ॰ हरिवंश राय बच्चन (DR. Harivanshrai Bachchan) तथा माता का नाम तेजी बच्चन (Teji Bachchan) है
बच्चन जी के पिता का देहांत 2003 में जबकि इनकी माता की मृत्यु 21 दिसंबर 2007 को हुई थीं
इनके पिता प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे
अमिताभ बच्‍चन के बचपन का नाम इंंकलाब था
अमिताभ बच्चन ने दो बार एम. ए. की उपाधि ग्रहण की है
अभिताभ बच्‍चन जी मुम्‍बई आने से पहले पॉच साल 1963 से 1968 तक कोलकाता में व्‍यतीत कियेे थे
बच्‍चन जी ने कोलकाता में रहकर दो प्राइवेट कंपनीयों के साथ काम किया जिसमें पहली कंपनी थी ‘बर्ड एंड हिल्जर्स, और दूसरी कंंपनी थी ‘ब्लैकर्स’ थी
बच्‍चन जी की पहली फिल्‍म सात हिन्‍दुस्‍तानी थी जिसके लिए इनको राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार भी मिला था
यह फिल्‍म बच्‍चन जी की एकलौती ब्‍लैैक एण्‍ड ब्‍हाइट फिल्‍म थी
अमिताभ बच्चन का विवाह 3 जून, 1973 को अभिनेत्री जया भादुड़ी से हुआ
अमिताभ बच्चन और जया भादुडी की दो श्वेता बच्चन नंदा और अभिषेक बच्चन संतान हैं
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी अमिताभ बच्‍चन जी केे अच्‍छेे मित्र थे
अमिताभ बच्‍चन जी की पहली हिट फिल्‍म जंजीर थी
बच्‍चन जी ने फिल्‍मोंं के अलावा टीवी शो कौन बनेगा करोडपति, बिग बोस और आज की रात है जिंदगी जैसे हिट सीरियल भी कियेे हैं
बच्‍चन जी इलाहाबाद लोक सभा सीट से चुनाव लडा और एच.एन. बहुगुणा को भारी मतों से पराजित किया था
अमिताभ बच्‍चन को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में पद्मश्री और पद्म भूषण तथा वर्ष 2015 में पद्म विभूषण से सम्‍मानित किया गया है
अमिताभ की श्रेष्ठ फ़िल्में हैं – आनंद, ज़ंजीर, अभिमान, दीवार, शोले, त्रिशूल, मुकद्दर का सिकंदर, कुली, सिलसिला, अमर अकबर एंथनी, काला पत्थर, अग्निपथ, बाग़बान, ब्लैक और पा आदि है
निर्देशक सत्यजीत रे ने अपनी फिल्म शतरंज के खिलाड़ी में बच्चन की आवाज का इस्तेमाल किया था
अमिताभ बच्‍चन दोनों हाथों से लिख सकते हैं
अमिताभ बच्‍चन जी ने सबसे अधिक डबल रोल में भूमिका निभाई है जबकि उन्‍होंने महान फिल्‍म में ट्रिपल रोल की भूमिका निभाई थी
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पराधीन भारत से लेकर मोदी काल तक 75 वर्ष की आयु में लगभग 150 फिल्मे, अनगिनत विज्ञापन,पोलियो,धुम्रपान निषेध,गुजरात पर्यटन, मतदान जागरूकता अभियान जैसे समाज कल्याण के कार्यो के साथ, ये सात हिन्दुस्तानियों का हिन्दुस्तानी आज भी बिना रुके, बिना थके बॉलीवुड के सरकार बनकर दर्शको को मनोरंजन के ख़जाने से करोड़पति बना रहे है. शायद ये चाहने वालो की दुआ और उपरवाले का करम है जो अमिताभ बच्चन को बुजुर्ग नही होने देता है.
सदी के इस विहंगम व्यक्तित्व वाले युवा के जन्म-दिवस पर यही मंगल कामना है कि आप हमेशा यश के क्षितिज पर ध्रुवतारे के सामान जगमगाते रहे…

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