दादी हार गईं हैं लगा लगा कर टेरा|
अम्मू भाई उठो हुई शाला की बेरा|
मम्मी ने तो आलू डोसे पका दिये हैं|
मन पसंद हैं तुम्हें ,समोसे बना दिये हैं|
पापा खड़े हुये हैं लेकर बस्ता तेरा|
अम्मू भाई उठो हुई शाला की बेरा|
देखो उठकर भोर सुहानी धूप सुनहली|
बैठी है आंगन में चिड़िया रंग रंगीली|
पूरब में आकर सूरज ने स्वर्ण बिखेरा
अम्मू भाई उठो हुई शाला की बेरा|
वेन तुम्हारी तनिक देर में आ जायेगी|
हार्न बजाकर अम्मू अम्मू चिल्लायेगी|
नहीं लगेगा वाहन का अब फिर से फेरा|
अम्मू भाई उठो हुई शाला की बेरा|
सुबह सुबह से तुमको रोज़ उठाना पड़ता|
दादा दादी मम्मी को चिल्लाना पड़ता|
इस कारण से समय व्यर्थ होता बहुतेरा|
अम्मू भाई उठो हुई शाला की बेरा|
बहुत प्यारा गीत
भानु गुमास्ता