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ऊसर जीजिविषा और वो - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
बलबीर राणा भैजी सुनशान स्याह रात बैठा वह प्रहरी । अन्धयारे में आँख विछाये] उस अन्धकार को ढूंढता जो माँ के अस्तित्व को ध्वस्त करने को आतुर। यकायक सचेत हाsती निगाहें पलकें बिचरण करती] खोजती हर उस शाये और आहट को जो कहर ना बन जाये मातृभूमी पर। उसके दर्द…