…और हो गई नानाजी की देह एम्स के हवाले

...और हो गई नानाजी की देह आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स) के हवाले

स्व. नानाजी देशमुख का पार्थिव शरीर विशेष विमान द्वारा आज चित्रकूट से नई दिल्ली लाया गया। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, सांसद अनिल माधव दवे एवं संस्थान के अध्यक्ष श्री वीरेंद्रजीत सिंह नानाजी का पार्थिव शरीर लेकर आज दोपहर दिल्ली हवाई अड्डे पहुंचे जहां नानाजी के हजारों प्रशंसक एवं कार्यकर्ता नानाजी अमर रहें, भारत माता की जय आदि नारों के साथ उनकी पार्थिव देह को एक वैन में रख जनता के अंतिम दर्शनों के लिए आयोजित कार्यक्रम स्थल केशव कुंज की ओर रवाना हुए।

वैन में स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सांसद अनिल माधव दवे आदि पार्थिव देह के साथ उपस्थित थे। इस अवसर पर लोकसभा के उपाध्यक्ष करिया मुंडा, नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली, भाजपा अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी, पूर्व भाजपा अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह, संगठन महामंत्री श्री रामलाल समेत हजारों की संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे।

सैकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ नानाजी के पार्थिव शरीर को सर्वप्रथम दीनदयाल शोध संस्थान के मुख्यालय लाया गया जहां कुछ देऱ के लिए पार्थिव शरीर जनता के दर्शनार्थ रखा गया। उल्लेखनीय है कि यह मुख्यालय नानाजी देशमुख का दिल्ली का निवास स्थान भी था। यहां पर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एवं नानाजी के परिजनों ने उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

पुनः काफिले के साथ उनका पार्थिव शरीर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के झण्डेवालां स्थित केशवकुंज कार्यालय लाया गया जहां काफिले में शामिल गण्यमान्य नेताओं,कार्यकर्ताओं के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह सुऱेश जोशी उपाख्य भैय्याजी जोशी, सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल, पूर्व उप प्रधानमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी संसदीय दल के अध्यक्ष श्री लालकृष्ण आडवाणी, वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी, संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री मदनदास देवी, विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता आचार्य गिरिराज किशोर, क्षेत्र संघचालक डॉ. बजरंगलाल गुप्त, प्रांत संघचालक श्री रमेश प्रकाश, प्रो. देवेन्द्र स्वरूप, श्री माधव देशमुख, श्री हरीशचन्द्र श्रीवास्तव, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खण्डुरी, झारखंड के उपमुख्य मंत्री श्री रघुवर दास समेत हजारों स्यवंसेवकों ने नानाजी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

इस अवसर पर भारत की राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार, लोकसभा के महासचिव की ओर से उनके प्रतिनिधियों ने नानाजी के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि निवेदित की। लोकसभा के उपाध्यक्ष श्री करिया मुंडा, राज्यसभा के महासचिव श्री अग्निहोत्री ने स्वयं उपस्थित होकर नानाजी के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किए।

श्रद्धांजलि कार्यक्रम को संक्षिप्त रूप से भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष श्री लालकृष्ण आडवाणी ने संबोधित करते हुए कहा कि नानाजी ने समाज सेवा का संकल्प लिया और उस पर आजीवन चलते रहे। इस कार्य के लिए उन्होंने राजनीति के पथ का भी त्याग कर दिया। वह सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। इस अवसर पर दधीचि देहदान समिति के अध्यक्ष आलोक कुमार ने नानाजी देशमुख के पार्थिव शरीर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान को सौंपने की संपूर्ण प्रक्रिया के बारे में शोकाकुल लोगों को जानकारी दी।

तत्पश्चात् नानाजी की पार्थिव देह को काफिले के साथ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ले जाया गया जहां उसे अंतिम रूप से चिकित्सा अनुसंधान के कार्यों के लिए चिकित्सकों को सौंप दिया गया। नानाजी ने चूंकि अपनी वसीयत में देहदान की प्रक्रिया को ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया कहकर संबोधित किया है, अतएव इसे ही अंतिम संस्कार मानकर कार्यकर्ता अपने-अपने गंतव्य की ओर लौट गए। उल्लेखनीय है कि नानाजी नई दिल्ली की सेवा संस्था दधीचि देहदान समिति के प्रथम देहदानी थे। इस संदर्भ में अपनी अंतिम वसीयत की पंक्तियों में जो मनोभाव उन्होंने प्रकट किए थे, प्रस्तुत है उसका अविकल पाठ- संपादक

नानाजी देशमुख की अंतिम वसीयत

मैं नाना देशमुख पुत्र स्वर्गीय श्री अमृतराव देशमुख,निवासी दीनदयाल शोध संस्थान, 7-ई, स्वामी रामतीर्थ नगर, रानी झांसी मार्ग, नयी दिल्ली-110055, आज दिनांक 11 अक्तूबर, 1997 को दिल्ली में यह अपनी अंतिम वसीयत घोषित करता हूं।

1-मेरी यह मानव देह मानवमात्र की सेवा करने के लिए सर्वशक्तिमान परमात्मा द्वारा वरदान के रुप में मुझे प्राप्त है। उसी की अनुकंपा से मैं आज तक इस देह द्वारा मानव सेवा करता आया हूं। मेरी मृत्यु के बाद भी इस देह का जरूरतमंदों के लिए उपयोग किया जाए, यह मेरी एकमेव अभिलाषा है।

2-मैंने इस विषय पर गंभीरता से विचार किया है। अपने सहयोगियों एवं हितचिंतकों से भी चर्चा की है। स्वस्थ मन, संतुलित मस्तिष्क एवं सुदीर्घ चिंतन के उपरांत मैं स्थिर मति होकर अपने इस शरीर को निम्न प्रकार से अर्पित करता हूं।

3-मैं एतद् द्वारा अपनी मृत्यु के पश्चात् अपनी आंखें, कान ( पर्दा और हड्डियां), गुर्दे एवं दिमागी अवयव मृत्यु होने पर जरूरतमंद लोगों में प्रत्यारोपण के लिए दान करता हूं। मेरी मृत्यु होने के समय तक हुई वैज्ञानिक प्रगति के फलस्वरूप मेरे अन्य अंगों का भी प्रत्यारोपण संभव हुआ तो मेरे शरीर के अन्य अवयव भी प्रत्यारोपण के लिए मैं दान करता हूं।

4-मैं इस विषय के द्वारा अपनी मृत्यु के पश्चात् अपने उपरोक्त व अन्य सभी अंगों को चिकित्सकीय उपयोग के लिए निकालने का अधिकार उस कार्य के लिए सक्षम व्यक्तियों को देता हूं। यह अधिकार मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 की धारा 3 के अन्तर्गत भी दिया गया माना जाए। यह दान एवं अधिकार निश्चित, अपरिवर्तनीय और किसी भी अवस्था में वापस नहीं हो सकेगा।

5-मैं एतद् द्वारा शरीर के शेष अवयवों को किसी भी ऐसे मेडिकल कॉलेज या अन्य संस्था को दान करता हूं जहां इसकी चिकित्सकीय या वैज्ञानिक शोध के लिए आवश्यकता हो। मैं चाहता हूं कि मेरे साथी और अन्य संबंधी लोग कृपया इस दान को ही मेरे शरीर का अंतिम संस्कार मानें। यह मेरे जीवन की चिरवांछित अभिलाषा रही है। किसी भी अन्य प्रकार की विधि की आवश्यक्ता इस देहदान की विधि के बाद न समझें।

6- मैंने, अपनी मृत्यु के स्थान से, मेरी देह को उपयुक्त मेडिकल कॉलेज, अस्पताल या अन्य उपयुक्त संस्थान तक पहुंचाने के लिए रु.11000/-( ग्यारह हजार रुपये) ड्राफ्ट क्रमांक824243 दिनांक- 12-9-1997 बैंक शाखा-भारतीय स्टेट बैंक, झंडेवालान एक्सटेंशन, नयी दिल्ली द्वारा दधीचि देहदान समिति को सौंप दिया है।

मैं श्री आलोक कुमार, अध्यक्ष-दधीचि देहदान समिति, 150, डी.डी.ए. फ्लैट्स, मानसरोवर पार्क, शहादरा, दिल्ली-110032 को इस वसीयत का निष्पादक नियुक्त करता हूं। यह निष्पादन यथासंभव अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के द्वारा कराने का प्रयास करें।

मैंने अपने इस वसीयत पत्र पर आज उपरोक्त दिनांक और स्थान पर मेरी पुत्री श्रीमती कुमुद सिंह एवं पुत्र हेमन्त पाण्डे की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए हैं। इन दोनों ने मेरे अनुरोध पर मेरी व परस्पर की उपस्थिति में इस इच्छा पत्र पर गवाह के नाते हस्ताक्षर किए हैं।

नाना देशमुख
11 अक्तूबर, 1997, दिल्ली

3 COMMENTS

  1. युगपुरूष थे नानाजी। आधुनिक युग के इस दधीचि को शत् शत् नमन…

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