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और क्या चाहिये... - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
राह है ,राही भी है ,मंज़िल भले ही दूर हो, एक पड़ाव चाहिये मुड़कर देखने के लिये। कला है, ,प्रतिभा है, रचना है,,, ,, रचनाकार भी, थोड़े सपने चाहियें, साकार होने के लियें। आरोह है, अवरोह है ,तान हैं, आलाप भी, शब्द भी तो चाहियें ,गीत बनने के…