‘ देवपुत्र ‘ पढ़ पाऊँ हर दिन

मुझको चंदा पर जाना है

मुझको यान दिला दो न माँ|

एक अटेची नई दिला दो

ट्रेक सूट सिलवा दो न माँ|

 

टिफिन बाक्स में ताजा पोषित

लंच पेक करवा दो न माँ|

हो सकता है वहां ठंड‌ हो

कंबल एक रखा दो न मां|

 

रोज़ नहाऊंगा मल मल के

लाइफ बाँय रखवा दो न माँ|

ब्रेक फास्ट में न हो अड़चन

ब्रेड बटर सिकवा दो न माँ|

 

‘ देव पुत्र’ पढ़ पाऊँ हर दिन

पांच अंक रखवा दो न माँ|

संपादक को पाँच साल का

अग्रिम भी भिजवा दो न माँ|

 

ठंडा पानी ले जाना है

कूलर भी भरवा दो न माँ|

गरम चाय भी कहाँ मिलेगी

थर्मस फुल करवा दो न माँ|

 

मंदिर में जल्दी से चलकर

पूजा पाठ करा दो न माँ|

पापाजी से ढेर दुआयें

जल्दी से दिलवा दो न माँ|

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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