अनिल जैन हो सकते हैं दक्षिण दिल्ली लोस से भाजपा के प्रत्याशी

-इंद्र प्रकाश यादव-   elecstion
उत्तर प्रदेश के रहने वाले डॉ. अनिल जैन को दक्षिण दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी बनाए जाने की पूरी संभावना है। फिरोजाबाद के रहने वाले डॉ. जैन की पढ़ाई लखनऊ में हुई है। उन्होंने लखनऊ के किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय से एमबीबीएस किया है। डॉ. अनिल जैन 2001 से भाजपा के राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं तथा इस दौरान कई राज्यों में  इन्होंने सफलतापूर्वक चुनाव प्रभारी की भूमिका भी निभाई और गत दिल्ली विधानसभा चुनाव में वे इस क्षेत्र के चुनाव प्रभारी थे। इस क्षेत्र में भाजपा ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 10 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज की। स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं में वे अच्छे-खासे लोकप्रिय भी हैं। ऐसे में कयास लगाये जा रहे हैं कि इनको भाजपा दक्षिण दिल्ली से प्रत्याशी बना सकती हैं। पार्टी के बेहतर प्रदर्शन के पीछे इनका महत्वपूर्ण योगदान बताया जाता है। 2 महीने बाद ही लोकसभा चुनाव होने हैं ऐसे में सभी पार्टियां लोस चुनाव में अपनी जीत के लिए हर जुगत में लग गयी हैं और प्रत्याशी चुनाव के विभिन्न फैक्टरों पर ध्यान दिया जा रहा है। ऐसे बहुत से समीकरण हैं जो स्पष्ट कर रहे हैं कि डॉ. अनिल जैन दक्षिण लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी बनाये जा सकते हैं। दिल्ली में पूर्वांचल के लोगों की संख्या 40 फीसदी के आस पास है और ऐसे में डॉ. जैन पूर्वांचल के लोगों की पहली पसंद है। हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनावों में दक्षिण दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में भाजपा को 3,59,301 कांग्रेस को 2,37,204 आम आदमी पार्टी को 2,82,812 और बसपा को 1,16,013 मत पड़े। इन आंकड़ों को देखने से स्पष्ट है कि कुछ क्षेत्रों को छोड़ दें तो, आमतौर पर लोगों ने जतीय समीकरण से हटकर ही मतदान किया। लोगों ने उम्मीदवार की जाति की बजाए उसकी छवि पर ज्यादा ध्यान दिया। आम आदमी पार्टी की बात करें तो इसने प्रवासी पूर्वांचली और उत्तराखण्डी मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग में विशेष पैठ बनाई है। दलित वोटरों का अभी भी बसपा की तरफ झुकाव है ऐसे में बसपा का मजबूत उम्मीदवार क्षेत्र में होगा तो भाजपा का काम आसान हो जाएगा। दक्षिण दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में कुल दस विधान सभा क्षेत्र हैं, जिनमें सात सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की और तीन पर ‘आप’ ने जिसमें कि संगम विहार में मात्र 770 वोटों के अंतर से हार हुई। इस क्षेत्र में जातिगत जनसंख्या पर गौर करें तो सबसे अधिक वैश्य उसके बाद ब्राह्मणों और फिर गुर्जरों की संख्या हैं। चुनावी जानकारों का मानना है कि गुर्जर और जाट एक दूसरे को वोट करने झिझकते हैं। इनका प्रभाव कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित है। इस क्षेत्र में 18 से 20 प्रतिशत दलित हैं, जिनमें अब जाति के आधार पर बिखराव हो गया है। जाटव जहां बसपा को वोट करते हैं, वहीं इस बार वाल्मीकि कांग्रेस को छोड़कर आम आदमी पार्टी के साथ हो गए और अन्य पिछड़ी जाति के लोगों की संख्या भी अच्छी है, पर उनमें भी क्षेत्रीय आधार पर बंटवारा है। 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दक्षिण दिल्ली से रमेश विदुड़ी को चुनाव लड़ाया था जोकि एक लाख से अधिक अंतर से हारे थे। विधान सभा चुनाव में इस बार तुगलकाबाद से उनको मुश्किल से जीत मिली है। ऐसे में सूत्रों की माने तो इस बार रमेश बिदुड़ी को टिकट मिलना मुश्किल है। दूसरी ओर बताया जा रहा है कि रामवीर सिंह गुर्जर बहुल पूर्वी दिल्ली से टिकट लेने की सोच रहे हैं और प्रवेश साहिब सिंह जाट बहुल पश्चिमी दिल्ली से चाहते हैं। सूत्रों के मुताबिक शीर्ष नेतृत्व किसी भी विधायक को चुनाव लड़ाने के पक्ष में नहीं है, ऐसा इसलिए क्योंकि आम आदमी पार्टी की सरकार के गिरने की स्थिति में भाजपा के सरकार बनाने की स्थिति आ सकती है। वैसे भी दक्षिण दिल्ली के भाजपा कार्यकत्र्ता ऐसे उम्मीदवार की मांग कर रहे हैं जिसकी छवि अच्छी हो। दूसरी तरफ इस क्षेत्र में पूर्वांचली मतदाताओं का अच्छा खासा प्रभाव है। इसलिए किसी उत्तर प्रदेश या बिहार के नेता को टिकट मिलने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
दक्षिण दिल्ली लोकसभा क्षेत्र
मण्डलों की संख्या            : 40
मतदान केन्द्रों की संख्या     : 1636
गाॅंवों की संख्या               : 55
कुल मतदाता                  : 15,39,768
महिला मतदाता              : 6,50,342
पुरुष मतदाता                 : 8,89,426

जतिगत समीकरण
बनिया                          : 3,00,000
ब्राह्मण                          : 2,00,000
गुर्जर                            : 1,35,000
जाट                             : 1,20,000
दलित                           : 3,25,000
मुस्लिम                          : 1,00,000
अन्य ओबीसी
(यादव, पाल, लोहार, केवट,
बढ़ई, कुर्मी, माली आदि        : 1,80,000
अन्य सामान्य, पंजाबी, ठाकुर,
त्यागी, कायस्थ, सिख, इसाई  : 1,80,000

प्रवासी मतदाता
पूर्वांचली (उत्तर प्रदेश, बिहार-झारखंड)  : 40%
उत्तराखंडी                                  : 10%
हरयाणवी                                  : 10%
राजस्थान+ मध्यप्रदेश                     : 10%
मूल निवासी + अन्य                       : 30%

3 COMMENTS

  1. अनिल जैन को कि छवि के सामने रमेश विदूरी कुछ भी नहीं…

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