सुरेश बरनवाल
यदि अन्ना कोई विदेशी सेलिब्रिटी होते और फेसबुक पर होते तो उन्हें क्लिक करने वालों की संख्या भी मीडिया के लिए एक समाचार होता। आखिर हो भी क्यों नहीं, हमारी मीडिया के लिए वह हर बात समाचार होती है, जिसे नयी होने का भ्रम दिया जा सकता हो। अन्ना हजारे मीडिया के लिए महत्वपूर्ण हैं या भारत की जनता के लिए, इस पर विचार इसलिए भी जरूरी है क्योंकि मीडिया ने उन्हें सुर्खियां बनाया जबकि जनता ने उन्हें सर्वमान्य नेता। पहले हम मीडिया वाले अन्ना हजारे पर विचार करें। भ्रष्टाचार के लगातार आते समाचारों ने मीडिया को इस विषय पर केन्द्रित कर दिया था। ऐसे में अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के विरूद्ध संग्राम भी उन्हीं समाचारों की एक कड़ी था जिसे लेकर मीडिया पहले से ही सिर फुटौव्वल कर रहा था। दरअसल मीडिया ने जब अन्ना हजारे को कैमरे में लिया तो उसे भी अहसास नहीं था कि पूरा देश इस विषय पर एक होकर अन्ना हजारे को नेता और सबसे बड़ा ब्रेकिंग न्यूज बना देगा। इसलिए मीडिया का अन्ना हजारे उतना महान नहीं हो सकता जितना देश की जनता का। यह कैसे, आइये इसपर भी थोड़ा विचार करते हैं।
भ्रष्टाचार की खबरों से देश के करदाताओं को बहुत दुख होता है। आम आदमी इस भ्रष्टाचार के कारण अपनी रोजी-रोटी से हाथ धो बैठता है। परन्तु इन बेचारों के पास भ्रष्टाचार के विरोध के लिए कोई सांगठनिक प्रयास नहीं था।
गलियों, नुक्कड़ों और ऑफिस में चर्चा करने के सिवाय भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई विज्ञापन कैम्पेन भी नहीं चला सके थे यह लोग। विरोध दर्ज कराने का तो कोई सवाल ही नहीं पैदा होता था। दरअसल सभी जानते थे कि शिकायत या विरोध जिसके पास भी दर्ज कराया जा सकता है, वह खुद भ्रष्ट हैं। यानि कुत्ते से कहना कि तू कुत्ता है। यह कुत्ता से कटवाने का ही काम होगा। इसलिए जनता चुप बैठी थी। मन मारकर खीज कर रह जाती थी। ऐसे में जब अन्ना हजारे को मीडिया वालों ने समाचार बनाया तो जनता को स्पष्ट लगा कि यह ब्रेकिंग न्यूज ही नहीं है, बल्कि यह तो एक अवसर है अपनी बात को कहने का। अपने विरोध को देश की संसद तक पहुंचाने का। प्रखर मूक ने होंठ हिलाए और हाथ में झंडे थामे। मीडिया का समाचार देश की जनता का संदेश बन गया। अन्ना को वह खुला और प्रखर समर्थन मिला कि वह खुद हतप्रभ रह गए। जंतर मंतर पर अन्ना से अधिक कठिन और लम्बा अनशन करने वाले भौंचक्के रह गए। देश की वह हस्तियां जो वास्तव में देश के भ्रष्टाचार से दुखी थीं, सक्रिय हो गईं और हर आम-ओ-खास ने एक चेन बना ली। इस समर्थन से देश की जनता का स्पष्ट संदेश निकला,‘भ्रष्टाचार को खतम करो।’ इस संदेश को देश की संसद ने समझा। हमेशा से बहरी और बेशर्म रही सरकार तुरन्त जागी और अन्ना से मिलने के लिए देश के चोटी के नेता आने लगे। वह राजनीतिक दल जो स्वयं भ्रष्ट लोगों से चन्दा लेकर अपनी जेब भरते हैं, हुंकार भरने लगे अन्ना के साथ आने के लिए। स्विस बैंकों में अपने खाते रखने वाले नेताओं ने सोचा यदि वह अन्ना के साथ नहीं हुए तो जनता उनके खिलाफ भी आवाज बुलन्द कर सकती है। वे भी भागे अन्ना से मिलने और समाचार बनने। परन्तु भला हो अन्ना का, जो उन्होंने ऐसे नेताओं से मिलने को मना कर दिया। अब जनता ने अपना संदेश दे दिया है। अपनी एकता इस मुद्दे पर दिखा दी है। जाहिर है कि अब इस उद्देश्य के लिए मंच भी बनेंगे और उनसे यह आवाज निरन्तर प्रसारित होती रहेगी। आशा की जा सकती है कि अगले आम चुनावों में भ्रष्टाचार अब सबसे बड़ा मुद्दा होगा।
जनता की आवाज तो सब तक पहुंच गई। अब लोकपाल बिल पर अन्ना हजारे और उनकी टीम जुटी है परन्तु इस टीम के साथ जुड़े विवाद और टीम का देश के भ्रष्ट नेताओं के साथ बैठ जाना, देश की आम जनता को शंका में डाल रहा है। देश की जनता की आवाज बड़ी स्पष्ट थी और आशा है इस आवाज को मंच देने वाले अन्ना भी इस आवाज के पीछे छिपे संदेश को पूरी तरह समझ रहे होंगे। अन्ना यह अवश्य समझ रहे होंगे कि महत्वपूर्ण घटना जनता की आवाज है न कि अन्ना हजारे स्वयं या मीडिया द्वारा उन्हें मिला प्रचार। यह जनता का संदेश था जिसे सभी स्थानों पर पहुंचना है। यह आवाज पहली बार उभरी है इसलिए इस आवाज की जय। अन्ना इसका माध्यम बने, इसलिए अन्ना की जय। परन्तु इस आवाज के साथ खिलवाड़ कोई करने का साहस न करे। न नेता, न संसद और न ही अन्ना की टीम।
जनता सब जानती है
जिसको पुलिस नहीं पहिचाने
जिसको न्यायाधीश न जानें
चोर लुटेरे भ्रष्टाचारी
घूम रहे हैं सीना ताने
गफलत में मत रहना
ये सबकी रग रग पहिचानती है
जनता है ये सब जानती है।।
किसने है यह सड़क बनाई
किसने कितनी करी कमाई
किसने कितना डामर खाया
किसने कितनी गिट्टी खायी
किसको कितना मिला कमीशन
किसने कैसे दी परमीशन
सौ करोड़ का रोड बन गया
देखो तो इसकी कण्डीशन
थोड़ी सी मिट्टी खुदवा दी
ऊपर थोड़ी मुरम बिछा दी
तबड़ तोड़ चले बुल्डोजर
एक इंच गिट्टी टपका दी
ऐसी कैसी डेमोक्रेशी
जनता की हुई ऐसी तैसी
ट्राफिक बन्द रहा छः महीने
सड़क रही वैसी की वैसी
अन्दर ज्वाला भड़की
बाहर श्मशान की शान्ति है।
जनता है ये सब जानती है।।
किसने कब दंगा करवाया
किने किस किस को मरवाया
किने हमको जाति धर्म भाषा
के चक्कर में उलझाया
किसने खेल खेल में खाया
टू जी स्पेक्ट्रम की माया
राजा को केवल दस प्रतिशत
नव्बे प्रतिशत किसने खाया
कैसे कौन कहाँ से आया
किसने थामस को बिठलाया
किसने छोड़ा क्वात्रोची को
किसने एण्डरसन भगवाया
किसने किया किया खजाना खाली
भर दी बैंक विदेशों वाली
किसने किसने जामा रखी है
कितनी कहाँ कमाई काली
एक बार उठ खड़ी हुई तो
नहीं किसी की मानती है
जनता है ये सब जानती है।।
आओ बदलें सोच पुरानी
कोउ नृप होय हमें का हानी
उठो क्रान्ति की कलम उठाकर
प्रजातन्त्र की लिखें कहानी
जनता प्रजातन्त्र की रानी
राजा कुँवर भरेंगे पानी
बड़े बड़े तानाशाहों को
पल में याद दिलादी नानी
अब तो तनिक बड़े हो जायें
तेवर जरा खड़े हो जायें
अन्ना रामदेव के पीछे
मिलकर सभी खड़े हो जायें
पहले भ्रष्टाचार मिटायें
सारा पैसा वापिस लायें
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई
मिलकर इनको सबक सिखायें
दिल्ली के जन्तर मन्तर से
शुरू हो गयी क्रान्ति है
जनता है ये सब जानती है।।