कुंभ राशी

कुंभ राशी (गू,गे,गो,सा,सी,सू,से,सो,द) का राशिफल(2012 )—-

2012 का यह राशिफल चन्द्र राशि आधारित है और वैदिक ज्‍योतिष के सिद्धान्‍तों के आधार पर तैयार किया गया है।

शनि की ढैया की वजह से जीवन में उथल-पुथल मची रहेगी। लेकिन फिर भी ऐसे मौके कई बार आयेंगे, जब आपके काम बनेंगे। इस वर्ष सहज भाव में आपकी राशी के स्वामी शनि देव विराज मान हें..जो आगे चलकर चोथे भाव यानी केंद्र भाव में रहेंगे..आपकी राशी शनि के ढैय्या से मुक्त होने वाली हें.. रहू देव का संचरण दशम और नवम भाव में हें..शनि देव नवम स्थान से भ्रमण करते हुए 19 मई से एक अगस्त तक अष्टम भाव में रहेंगे..बाकि समय पुनह भाग्य भाव में ही रहेंगे..नये वर्ष का प्रारंभ कुछ तनाव भरा, उथल पुथल से परिपूर्ण कुछ निराशाजनक हो सकता है | किन्तु ज़रा सा भी घबराने या विचलित होने की आवश्यकता नहीं | धीरज व सूझ बूझ से काम लेंगे तो सब ठीक हो जायेगा | आय में उतार-चढ़ाव आता रहेगा, जिसे आप अपने परिश्रम व प्रभु की आराधना से दूर कर सकते है | यदि आप नोकरी करते हें तो आपकी समस्या समाप्त होने की संभावना हें..ट्रांसफर हो सकता हे…इन्कम में उतार-चढ़ाव आता रहेगा. भाग्य पूरी तरह आपके साथ नहीं है, इसलिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी. साल के दूसरे पखवाड़े में हालात बदलेंगे. कहीं दूर से कोई शुभ समाचार मिल सकता है. अटका हुआ धन वापस आने की संभावना.साहित्यिक क्षेत्र के लोगों के लिए समय बहुत अच्छा है. विदेश यात्रा का योग है. छोटी-मोटी समस्याओं को हटा दें तो भाग्य आपका साथ देगा. स्त्रियों के लिए समय अच्छा है. संतान सुख प्राप्ति के योग हैं.जब आप यह जानते हो की भाग्य पूरी तरह आपके साथ नहीं है, तो ऐसे में आपको कड़ी मेहनत व अपने ईश्वर में निष्ठां तथा श्रद्धा रखनी होगी | साहित्यिक क्षेत्र के लोगों के लिए समय उत्तम है, सामाजिक मान – सम्मान, यश – कीर्ति, पद प्रतिष्ठा प्राप्त होगी | नौकरी में प्रगति तथा कोई विशेष उपलब्धि के योग हैं | साल के मध्य में परिस्थिति आपके नियंत्रण में होगी, शुभ समाचार मिलने लगेंगे, रुके कार्य सिद्ध होंगे तथा बकाया व अटका हुआ धन वापस आएगा | स्वयं अपना व परिवार के वरिष्ट सदस्यों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना अनिवार्य होगा | विदेश यात्रा व प्रवास के प्रबल योग है | उत्तम संतान सुख प्राप्ति के योग हैं | अटका हुआ धन वापस आने की संभावना. नौकरी में प्रगति के योग हैं.

स्वास्थ्य —-

गोचर में शुक्र का सातवें भाव में स्थित होना बिमारी के कारण पौरूष कि कमी या उसकी अधिकता का कारण बन सकता है. सूर्य का आठवें भाव में होने के कारण चेहरे और सिर पर घाव होने कि संभावना को दर्शाता है. सूर्योपासना के लाभ होगा.आलस्‍य से दूर रहें..यातायात नियमों का पालन करें. तेज वाहन चलाना बहादुरी का काम नहीं है इस बात का ध्‍यान रखें.मानसिक तनाव या माइग्रेन के दर्द से पीड़ित हो सकते हैं.गोचर में मंगल की स्थिति के कारण इस समय महिलाओं को कुछ मासिक धर्म संबंधी समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है.इन सभी के कारण तनाव ,दिमागी परेशानियां ,श्वास संबंधी बीमारी,जोड़ों में दर्द, पेट संबंधी विकार और निर्जलीकरण जैसी समस्या पैदा हो सकती हें..सावधान रहें..संतान को भी कष्‍ट मिलने के योग हैं.

ये करें उपाय—

01 .–प्रत्येक माह की प्रदोष को महामृत्यंजय मन्त्र के 1100 जप करें

02 .–भगवान शिव का केसर,गाय के दूध,कुशा,फल आदि से प्रेम पूर्वक अभिषेक करना चाहिए..

03 .–इस समय हनुमान जी की सेवा -आराधना से भी लाभ होगा..

04 .–संभव हो तो परामर्श लेकर..नीलम/कटेला/काला हकीक/जमुनिया ..पुष्य नक्षत्र में धारण करें.(चांदी में).लाभ होगा..

05 .–शनिवार के दिन भेरव देव की सेवा-आराधना करें ..(प्रार्थना-अर्चना करें)

06 .–शनिवार के दिन काली वस्तु ( चमड़े के काले जुटे,बेल्ट,काला छाता,लोंग का तेल,कम्बल,काले तिल,काले उड़द,लोहा,) का दान किसी बुजुर्ग व्यक्ति को करें..शनिवार के दिन शाम को..

07 .–शनिवार के दिन गुड के साथ काले उड़द को पीसकर .गूँथ लेवें ..फिर उसकी छोटी गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं,,ऐसा सात शनिवार तक करें..

08 .–शनिवार का वृत-उपवास करें..खाने में काली-नीली सामग्री प्रयोग करें..

09 .–शनि मन्त्र/शनि नील स्रोत का पथ भी शुभ फल दाई रहेगा..

वास्तु और कुम्भ राशी के जातक–

कुम्भ राशी वाले जातकों को पश्चिम-उत्तर दिश शुभ-लाभकारी होती हें..इस राशी के जातक यदि अपने भवन/आवास/मकान पर नीला या गुलाबी कलर करेंगे तो अधिक लाभ होगा..इनको सीमेंट का रंग/भूरा रंग भी लाभकारी हें..इस राशी के जातक यदि किसी भी शहर के इशान भाग/हिस्से में निवास करेंगे तो अधिक लाभ होगा..

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