प्रवक्ता पर एक पखवाड़े से गाँधी के सिद्धांतों और हिंद स्वराज को लेकर विमर्श चल रहा है . आज भारत हीं नहीं संसार के अनेक देशों के विद्वान गाँधी दर्शन में वैश्विक स्तर पर संघर्षों से उत्पन्न कुव्यवस्था का समाधान बता रहे हैं .
बीते दिनों गाँधी जयंती के दौरान काहिरा में आयोजित एक संगोष्ठी में अरब के गणमान्य नेताओं ने गाँधी के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की.मिस्र में भारतीय राजदूत आर ० स्वामीनाथन ने अपने संबोधन में कहा कि बापू ने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में सत्य और अहिंसा के प्रयोग से विजय हासिल कर दुनिया को चौंका दिया था . और तब विश्व ने पहली बार अहिंसा की गूंज सुनी .
अरब लीग के महासचिव उम्र मूसा ने गाँधी को दुनिया भर में उपेक्षितों की आवाज बताते हुए याद दिलाया कि वो गाँधी ही थे जिन्होंने सन ३१ में फिलिस्तीन का समर्थन किया था .
मिस्र के पूर्व विदेशमंत्री अहमद माहिर ने अन्तराष्ट्रीय तंत्र में दोहरे मानदंड के चलन पर विशेष चिंता जाहिर की . अहमद माहिर ने कहा कि गाँधी के विचार हीं हैं जिनको अपना कर अरब और पश्चिम के बीच जारी मतभेद समाप्त जा सकते हैं . कार्यक्रम के दौरान एक प्रदर्शनी भी लगाई गयी जिसमें गाँधी के विचारों के जरिये वैश्विक समस्याओं के उत्तर ढूंढने की कोशिश की गयी थी . अरब जैसे अन्धविश्वासी समाज में गाँधी दर्शन की सराहना निश्चय ही दुनिया को बदलाव की ओर ले जायेगा .