मोबाइल ऐप्स हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं?

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  (जैसा कि अधिकांश मोबाइल एप्लिकेशन बाज़ार में चीनी ऐप्स का बोलबाला है, आज हमें स्वदेशी ऐप विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, जो महत्वपूर्ण ऐप्स के उपयोग को सुरक्षित करने में मदद करेगा।)
–प्रियंका सौरभ रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,भारत ने हाल ही में सुरक्षा खतरे के मद्देनजर 59 एप्स के अलावा 47 और चीनी एप्स को ब्लॉक करने की बात कही है। ये  एप्प्स ऐसी गतिविधियों में लगे हुए हैं जो भारत देश  की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा हैं।

वैसे तो दुनिया भर के मोबाइल उपयोगकर्ता आमतौर पर आंतरिक सुरक्षा के महत्व से अनजान होते हैं और अक्सर मानते हैं कि फ्री मोबाइल ऐप डाउनलोड के लिए सुरक्षित हैं। वास्तव में  इस तरह के एप्प्स मोबाइल मालवेयर विकसित करने में कम लागत और आसानी की वजह से आंतरिक सुरक्षा के लिए मोबाइल खतरों का मुख्य स्रोत बन जाते हैं।

 मैलवेयर किसी एकल कंप्यूटर, सर्वर या कंप्यूटर नेटवर्क को नुकसान पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया गया आक्रमण है। रैनसमवेयर, स्पाई वेयर, और ट्रोजन सभी मैलवेयर के ही प्रकार हैं।
वन्नक्री एक रैंसमवेयर हमला था जो मई, 2017 में तेजी से दुनिया भर में फैल गया था। रैंसमवेयर ने उपयोगकर्ताओं के उपकरणों को अपने स्तर पर लॉक कर दिया और उपयोगकर्ताओं को  एक निश्चित फिरौती का भुगतान करने तक डेटा और सॉफ़्टवेयर तक पहुंचने से रोक दिया। दुनिया भर के अन्य शहरों के साथ-साथ भारत के शीर्ष पांच शहर (कोलकाता, दिल्ली, भुवनेश्वर, पुणे और मुंबई) इसके कारण प्रभावित हुए थे, भारत के बैंकिंग सेक्टर में इससे खलबली मच गई थी.

इसी तरह फ़िशिंग एक  संवेदनशील ई-मेल और वेबसाइटों का उपयोग करके व्यक्तिगत जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश करने का  फ्रॉड तरीका है। यह तब होता है जब एक हमलावर एक पीड़ित को एक ईमेल, त्वरित संदेश या पाठ संदेश खोलने में धोखा देता है और उसकी जानकारी चुरा लेता है। अक्सर ये उपयोगकर्ता की डेटा चोरी करने के लिए किया जाता है, जिसमें लॉगिन क्रेडेंशियल और क्रेडिट कार्ड नंबर शामिल होते हैं।

इंटरनेट की दुनिया में डेनियल-ऑफ-सर्विस  एक ऐसा हमला है जो मशीन या नेटवर्क को बंद करने के लिए होता है, ये  हमले ट्रैफिक के साथ टार्गेट  या किसी दुर्घटना को ट्रिगर करने वाली जानकारी भेजकर किये जाते हैं। 2012 में यूएसए में छह बैंकों पर ऐसा ही हमला किया गया था।

एक स्थानीय, राज्य या केंद्र सरकार अपने नागरिकों से संबंधित गोपनीय डेटा एकत्रित किये  रखती है। इस डेटा की अनधिकृत पहुंच किसी देश पर गंभीर खतरे पैदा कर सकती है। जैसे  हमारे देश में आधार डेटा का उल्लंघन। आज के दौर में सोशल नेटवर्किंग साइटों पर किसी व्यक्ति द्वारा साझा की गई तस्वीरें, वीडियो और अन्य व्यक्तिगत जानकारी अनुचित रूप से दूसरों द्वारा उपयोग की जा सकती है, जिससे गंभीर और यहां तक कि जानलेवा घटनाएं हो रही हैं। इसलिए यह नागरिकों के लिए हानिकारक है।

बड़ी-बड़ी कंपनी के कर्मचारियों के पास अपने मोबाइल पर बहुत सारा डेटा और जानकारी होती है। साइबर हमले या मोबाइल ऐप के माध्यम से ऐसी जानकारी की चोरी से  पेटेंट या मूल काम की हानि हो सकती है साथ ही कर्मचारियों / ग्राहकों के निजी डेटा की हानि हो सकती है। आजकल कई सार्वजनिक कर्मचारी मोबाइल पर महत्वपूर्ण  डेटा भी संग्रहीत करते हैं। उनके मोबाइल माइक्रोफोन या कैमरे को दूर संचार के माध्यम से चालू और ऑफ  किया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा का खतरा बना रहता है।
दिगीतकल होते इंडिया में कार्ड और मोबाइल भुगतान 20% तक बढ़ जाने के कारण 2019 में कैशलेस भुगतान की दिशा में भारत का जोर तेज हुआ है। और आजकल तो अधिकांश भुगतान मोबाइल फोन के माध्यम से किया जाता है, ऐसे ऐप उपयोगकर्ता की संवेदनशील जानकारी को चुरा लेते है और उपयोगकर्ता को वित्तीय सुरक्षा पर खतरा पैदा करते है।

ऐसे मोबाइल एप्लिकेशन देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। सरकार की पहल और आवश्यक कदम  इस आंतरिक सुरक्षा खतरे से निपटने में मदद कर सकते हैं।

जैसा कि अधिकांश मोबाइल एप्लिकेशन बाजार में चीनी एप्प्स का वर्चस्व है, आज हमें स्वदेशी ऐप विकसित करने के लिए प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है, जो महत्वपूर्ण ऐप्स का सुरक्षित उपयोग करने में मदद करेंगे।
जैसे साइबर सुरक्षा भारत पहल  2018 में मुख्य सरकारी सुरक्षा अधिकारियों के लिए सुरक्षा उपायों के लिए साइबर क्राइम और निर्माण क्षमता के बारे में जागरूकता फैलाने और सभी सरकारी विभागों में आईटी कर्मचारियों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, वैसे अब आम आदमी के लिए करने की जरूरत है। मोबाइल एप्लिकेशन आधारित खतरों को कम करने के लिए लोगों में जागरूकता विकसित करने की  भी आवश्यकता है।

 एक सुरक्षित एवं भरोसेमंद  मोबाइल तंत्र बनने के लिए भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका, सिंगापुर, जापान आदि जैसे कई विकसित देशों से हाथ मिलाने की आवश्यकता है। ये समझौते भारत को और भी अधिक परिष्कृत मोबाइल ऐप आधारित साइबर खतरों को चुनौती देने में मदद करेंगे।

साथ- साथ ही डेटा को सुरक्षित करने के लिए व्यक्तिगत स्तर की रणनीति अपनाई जानी चाहिए जैसे, एक जटिल पास कोड के साथ फोन को लॉक करना, स्टोरेज को एन्क्रिप्ट करना, सेल फोन को दूरस्थ रूप से पोंछना सीखना आदि।

देखे तो आज भारत में  लगभग 420 मिलियन मोबाइल फोन उपभोक्ता हैं। एक एकल मोबाइल डेटा उल्लंघन भी किसी भी देश के सामने राष्ट्रीय आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। इसलिए आज हमें सीमा सुरक्षा की तरह भविष्य में आने वाली किसी भी तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना अनिवार्य है। ऐसा चौकनापन देश की आंतरिक सुरक्षा को सुरक्षित रखने में मदद करने के साथ-साथ गोपनीय की सुरक्षा के साथ-साथ उपयोगकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी भी सुनिश्चित करेगा।

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