अर्श से फर्श पर डेरा प्रमुख

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आशीष रावत

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह समाचारपत्रों की सुर्खियों में पूरी तरह से छाए हुए हैं। हिंसा में दर्जनों लोग मारे गए है और खरबों रुपए की सम्पत्ति डेरा गुंडों ने बर्बाद कर दी। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पंचकूला की सीबीआई कोर्ट ने साध्वी से रेप के मामले में दोषी करार दिया। राम रहीम ने यूं तो अपनी छवि एक रॉकस्टार बाबा की तरह बनाई थी, लेकिन अब उनका कुकर्मी चेहरा सामने आ गया है। अंग्रेजी के एक समाचारपत्र द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित समाचार के अनुसार पिछले कई वर्ष में उन महिलाओं ने अपने ऊपर काफी कष्ट झेला जिनके साथ डेरा प्रमुख ने कुकर्म किया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी। जब पुलिस के सामने दोनों ने अपना बयान दर्ज करवाया तो सभी बातों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि डेरा प्रमुख अपने आवास में महिलाओं के साथ रेप करता था। राम रहीम का आवास उनकी गुफा कहलाता है। राम रहीम के चेले रेप करने को ‘बाबा की माफी’ बताते थे, तो बाबा के आसपास सिर्फ महिला अनुयायी ही हमेशा तैनात रहती थीं। कई लड़कियां तो सिर्फ इस वजह से बाबा के डेरे में रहती थीं, क्योंकि उनके घरवाले राम रहीम के भक्त थे। यही कारण था कि वह डेरा नहीं छोड़ सकती थीं। एक साध्वी ने बताया कि जब वह राम रहीम के आवास से बाहर आईं तो उनसे कई लोगों ने पूछा कि क्या तुम्हें ‘बाबा की माफी’ मिली? पहले उन्हें समझ नहीं आया, लेकिन बाद में पता लगा कि माफी का मतलब क्या होता है।

डेरा सच्चा सौदा की स्थापना सन् 1948 में शाह मस्ताना महाराज ने की। शाह मस्ताना महाराज के बाद डेरा की गद्दी शाह सतनाम महाराज ने सम्भाली। उन्होंने सन् 1990 में अपने अनुयायी सन्त गुरमीत सिंह को गद्दी सौंप दी। इसके बाद सन्त गुरमीत राम का नाम सन्त गुरमीत राम रहीम सिंह इंसा कर दिया गया। डेरा की हरियाणा के सिरसा में लगभग सात सौ एकड़ खेती की जमीन है। तीन अस्पताल, एक इंटरनेशनल आई बैंक, गैस स्टेशन और मार्केट कॉम्प्लेक्स के अलावा दुनिया में करीब ढाई सौ आश्रम हैं। इसके अलावा डेरा के तमाम बैंक अकाउंट भी हैं जो अभी तक सामने नहीं आए हैं। डेरा प्रमुख के पास लग्जरी कारों का एक लम्बा काफिला भी है। डेरा सच्चा सौदा आश्रम लगभग 68 वर्षों से चल रहा है। कहा जाता है कि डेरा सच्चा सौदा का साम्राज्य देश से लेकर विदेश तक फैला है। अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और तो और संयुक्त अरब अमीरात तक इसके आश्रम और अनुयायी हैं। दावा तो यहां तक किया जाता है कि दुनियाभर में डेरे के करीब पांच करोड़ अनुयायी हैं। जिनमें से करीब पच्चीस लाख अनुयायी तो अकेले हरियाणा में हैं। इनका आश्रम कई चैरिटी कार्यक्रम भी चलाता है। इसके अलावा गुरमीत राम रहीम सिंह दावा कर चुका है कि उसने भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली को गुरुमंत्र दिया, जिसके बाद उनका बल्ला चल निकला। विराट ही नहीं गुरमीत राम रहीम सिंह ने यह भी दावा किया था कि शिखर धवन, आशीष नेहरा, जहीर खान, यूसुफ पठान ने भी उन्हीं से टिप्स लिए हैं। गुरमीत राम रहीम सिंह के आश्रम के लगभग बीचों-बीच कांच और दीवारों से बना एक भवन है जिसे बाबा की गुफा कहा जाता है। गुफा में जाने के लिए दो-तीन और दरवाजे हैं। गुफा तक के रास्ते में हर जगह सादे कपड़ों में या फिर बकायदा कमांडो शैली में बंदूक लिए लोग तैनात मिलते हैं। गुरमीत राम रहीम सिंह की लगभग 209 शिष्याएं खासतौर पर चुनी जाती हैं।

गुरमीत राम रहीम का जन्म 15 अगस्त, 1967 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के गुरुसर मोडिया में जाट सिख परिवार में हुआ। जब ये सात वर्ष के थे तो 31 मार्च, 1974 को तत्कालीन डेरा प्रमुख शाह सतनाम सिंह ने इन्हें नाम दिया। 23 सितम्बर, 1990 को शाह सतनाम सिंह ने गुरमीत सिंह को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। गुरमीत राम रहीम सिंह पर वर्ष 2001 में एक साध्वी के साथ यौन शोषण का मामला दर्ज हुआ। 2002 में एक पत्रकार रामचंद्र की हत्या का आरोप भी लगा। 2003 में डेरा की प्रबंधन समिति के सदस्य रणजीत सिंह हत्या करवाने का भी आरोप गुरमीत राम रहीम सिंह पर लगा। 2007 में गुरु गोविन्द सिंह के लिबास पर सिखों से विवाद भी राम रहीम को झेलना पड़ा। 2010 में डेरा के पूर्व मैनेजर फकीर चंद की गुमशुदगी का मामला इनके खिलाफ आया। 2012 में डेरे के लगभग चार सौ साधुओं को नपुंसक बनाने का आरोप भी लगा। गुरमीत राम रहीम सिंह प्रचार के बेहद शौकीन हैं। इसलिए वो कई टीवी चैनल और समाचारपत्रों का संचालन भी करते हैं। राम रहीम महिलाओं के भी बहुत शौकीन हैं। वर्ष 2002 में उनके आश्रम की दो साध्वियों ने एक गुमनाम पत्र तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं पंजाब और हरियाणा के मुख्य न्यायाधीश व देश के अन्य पत्रकारों को लिखा। मजेदार बात यह है कि अटल जी और अन्य लोगों ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया। मगर पंजाब-हरियाणा के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले की जांच का आदेश सिरसा के जिलाधीश को दिया। जिसने अपनी जांच रिपोर्ट में इस आरोप की पुष्टि की। उच्च न्यायालय ने इस केस की जांच का कार्यभार सीबीआई को सौंप दिया। डेरा सच्चा सौदा ने इस केस की जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों पर तरह-तरह के दबाव डाले। डेढ़ वर्ष तक उन्हें जांच के लिए आश्रम के अंदर तक घुसने नहीं दिया मगर इन जांबाज पुलिस अधिकारियों ने कड़ा परिश्रम करके उन साध्वियों का पता लगा लिया जिन्होंने यह गुमनाम पत्र भेजा था। इसके बाद सीबीआई ने राम रहीम के खिलाफ सबूत जुटाने शुरू कर दिए।

डेरा सच्चा सौदा का मामला हो, जाट आरक्षण का मुद्दा हो या फिर सन्त रामपाल का, तीनों ही मामलों में कुछ बातें समान हैं। इनमें सरकार ने भीड़ इकट्ठी होने दी। जाट आंदोलन से पहले जाट नेताओं ने भाषणों में साफ कर दिया था कि हम दिल्ली का पानी, दूध और सब्जियां रोक देंगे। चाहे राजनीतिक कारण कह लीजिए या फिर सरकार की अकर्मण्यता, वह इनसे सख्ती से कभी पेश नहीं आई। रामपाल के साथ भी यही हुआ, जबकि साफ दिख रहा था कि क्या होने जा रहा है। डेरा सच्चा सौदा वाले मामले में जब लोग इकट््ठे हो रहे थे तो कह रहे थे कि हम गुरुजी के दर्शन करने आ रहे हैं। किसी को दर्शन करना है तो वह पंचकुला क्यों आता, सिरसा जाता। लगता है सरकार जानबूझकर समझना नहीं चाह रही थी। पहले वह जाटों को नाराज नहीं करना चाहती थी और अब डेरे वालों को नाराज नहीं करना चाह रही थी। दुःख की बात यह है कि वर्ष 2014 हरियाणा विधानसभा चुनाव में जिस तरह से डेरा सच्चा सौदा प्रमुख ने खुलेआम भारतीय जनता पार्टी का समर्थन किया था उसका कर्ज आज भी भाजपा हाईकमान अदा कर रहा है। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा या फिर इंडियन नेशनल लोकदल, डेरा प्रमुख को कोई नाराज नहीं करना चाहता क्योंकि सभी पार्टियां उनसे वोट मांगने जाती हैं। पंजाब और हरियाणा में डेरे पिछड़े और दलित सिखों को इकट्ठा करने की जगह बन गए हैं। पारम्परिक तौर पर जाट और सिखों की पार्टी माने जाने वाले शिरोमणि अकाली दल इसी वजह से डेरों को पसंद नहीं करते हैं। यही कारण है कि डेरों और अकाली दल के बीच तनातनी चलती है। हकीकत यह है कि वर्ष 2012 के पंजाब विधानसभा चुनाव में डेरा ने कांग्रेस का समर्थन किया था। यही वजह है कि कांग्रेस के नेता पंजाब या हरियाणा में डेरा समर्थकों की हिंसा की खुलकर आलोचना करते कम दिखेंगे।

हरियाणा की खट्टर सरकार ने न्यायालय को यह आश्वासन दिया था कि पूरी स्थिति नियंत्रण में है और किसी तरह की हिंसा नहीं होगी मगर इसके बावजूद प्रशासन ने अपनी आंखें बंद कर ली और कुम्भकर्णी नींद सो गया। उसने गुरमीत राम रहीम सिंह को मनमानी करने की खुली छूट दे दी। सरकार दावा करती रही कि उसने धारा-144 और कफ्र्यू लगा दिया है। मगर यह दावे सिर्फ कागजी थे। प्रसन्नता की बात यह है कि इस देश की न्यायपालिका अभी तक निष्पक्ष है। यही कारण है कि उसने निकम्मेपन के लिए खट्टर सरकार को जमकर फटकार लगाई। इससे पहले भी हरियाणा सरकार के निकम्मेपन की पोल रामपाल कांड ने खोल दी। तब भी हरियाणा सरकार के निकम्मेपन की वजह से रामपाल के आश्रम में हजारों श्रद्धालु इकट््ठे हो गए थे। उच्च न्यायालय के दबाव के कारण रामपाल को गिरफ्तार करना पड़ा और इस दौरान हुई हिंसा में कई लोग मारे गए। मगर इससे भी खट्टर साहब ने कोई सबक लेने की कोशिश नहीं की। भाजपा हाईकमान इस बात को भलीभांति जानता है कि आने वाले राजस्थान और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में गुरमीत राम रहीम सिंह उसके लिए वोट छापने की मशीन साबित हो सकते हैं। यही कारण है कि वह इस आरोपी को दामाद जैसी सुविधाएं प्रदान कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी हिंसा की घटनाओं की निंदा करते हुए शांति बनाए रखने की अपील की। लेकिन अक्सर विवादों में रहने वाले भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने हिंसा की घटना पर सबसे अलग ही बयान दिया। उन्होंने कहा कि करोड़ों लोग डेरा सच्चा सौदा के बाबा को सच, भगवान मान रहे हैं। एक की बात सुनी जा रही है, करोड़ों लोगों की बात क्यों नहीं सुनी जा रही। मैं जो कहना चाहता हूं वही मैंने कहा है। एक आदमी ने शिकायत की है और करोड़ों लोग राम रहीम के साथ खड़े हैं तो करोड़ों सही हैं या एक? क्या यह लोकतंत्र और न्यायपालिका का मजाक नहीं? आखिर क्या वजह है कि बलात्कार जैसे गम्भीर अपराध में न्यायालय द्वारा दोषी करार देने के बाद भी समर्थक यह मानने को तैयार नहीं होते कि उनके गुरु ने कुछ गलत किया है?

 

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