विश्व के समग्र धर्मों का जन्म स्थल एशिया

—विनय कुमार विनायक
सर्व विश्व धर्मों का जन्म स्थल है
एशिया,यहां के आर्यों ने
वेद-उपनिषद-पुराण
ईरानी ने अवेस्ता-ए-जिन्द
यहूदी ने ओल्ड टेस्टामेंट-एपो कृफा
चीनी ने ताओ ते किंग
बौद्ध ने त्रिपिटक,जैन ने आगम
ईसाई ने एंजिल/बाइबिल
और इस्लाम ने कुरान/हदीस
पूरे विश्व को दिया
जय हो महान एशिया!
यहां राम, कृष्ण सनातनी,
जरस्थुष्ट आर्य पारसी,
यहूदी इब्राहिम-मूसा,
चीनी लाओत्से-कन्फूसी,
यहां वर्णवाद,पशु हिंसा,
बली प्रथा विरोधी बुद्ध,जिन
यहूदी विद्रोही ईसा
और मूर्ति पूजा अवरोधी
पैगम्बर ने जन्म लिया
धन्य एशिया! धन्य एशिया!
न जाने ऐसे कितने सापेक्ष-विरोधी
दर्शनों ने तेरी कोख में
सहोदर सा अंगड़ाई लिया
हिंदी आर्यों का ब्रह्म,
ईरानी आर्य-पारसियों का
अहुर माजदा (वरुण; ब्रह्मा)
एक ही महासत्ता के प्रति आस्था
इन्द्र, वरुण, मित्र, नासत्य,
अग्नि, सूर्य और बेरेथ्रघ्न
दोनों के साझे देवता
दोनों आर्य बंधु वर
एक कबिलाई सहोदर
एक सिन्धु के रहे उधर
एक सिन्धु के इधर
दोनों में कुछ भी नहीं
मात्र भौगोलिक अंतर
दोनों बहुदेववादी करते
प्रकृति पूजन,यज्ञ-यजन,
सूर्य-चन्द्र-अग्नि नमन
एक सा तन मन जन
जरस्थुष्ट का संकलन-
“अवेस्ता-ए-जिन्द’/वेद के छंद
ऋग्वेद के मानिन्द!
परवर्ती यहूदी और ईसा ने लिए
ईरानी-पारसी धर्म से दर्शन ऋण
यहूदी की शैतान संकल्पना
पारसी का है अहिरमान
बाइबिल की बुद्धिमानों की कथा का
अवेस्ता में है मूल प्रमाण
एंजिल का दर्शन
“मरे हुए का जी उठना’
“दानव पर अंतिम जय’
“कयामत के दिन की बात’
अवेस्ता से ही किए गए आयात।
—विनय कुमार विनायक
दुमका, झारखण्ड-814101.

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