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पतझड़ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
भवानी प्रसाद लोधी बनकर आये सफेद बादल पतझड़ में डटकर लड रही थी शाखायें कुछ की कलियां टूटी, कुछ थी मुरझायी असीम प्रीत के थे जो दावे करते पहर देखकर लिया साथ बदल शरद ऋतु ने दिया है पतझड़ वर्षा ऋतु में घन बनकर घटा छायेगी फिर शाखायें लहराकर गीत…